वाराणसी: साल 2020 के जनवरी में फर्रुखाबाद की वह घटना आज भी लोगों के जेहन में ताजा है. जब एक बर्थडे पार्टी में शातिर अपराधी सुभाष बाथम ने 23 बच्चों को बंधक बना लिया था. तब IPS मोहित अग्रवाल ने बच्चों की जान बचाई थी. पुलिस से मुठभेड़ में सुभाष बाथम मारा गया था. मोहित वर्तमान में वाराणसी में बतौर पुलिस कमिश्नर तैनात हैं. इस घटना के बाद मां और पिता का साया सिर से उठ जाने से सुभाष की डेढ़ साल की बच्ची अनाथ हो गई थी. इस पर मोहित बच्ची के अभिभावक के तौर पर सामने आए. उसकी देखभाल और खर्च का जिम्मा उठा लिया. अब बच्ची का एडमिशन फर्रूखाबाद के नामी स्कूल में कराया है.
तत्कालीन आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल को उस हार्डकोर अपराधी को मार गिराने और 23 बच्चों को सकुशल बचाने के लिए राष्ट्रपति ने पुलिस मेडल फॉर गैलंट्री से भी सम्मानित किया था. इस घटना का दुखद पहलू यह था कि सुभाष के मारे जाने के बाद उत्तेजित भीड़ ने उसकी पत्नी की भी हत्या कर दी थी. पत्नी रूबी को भीड़ ने मारापीटा, जिससे उसकी भी मौत हो गई थी. हालांकि बंधक बनाए गए सभी बच्चे सकुशल छुड़ा लिए गए थे. सुभाष की डेढ़ साल की बच्ची इस माता-पिता की मौत के बाद अनाथ हो गई थी.
उस समय सुभाष के परिवार का कोई भी सदस्य उस बच्ची को रखने को तैयार नहीं हुआ. यह देख IPS मोहित अग्रवाल ने बच्ची के भरण-पोषण का जिम्मा उठाया. तब मोहित ने बच्ची को पढ़ा लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा करने की बात कही थी. जब मोहावा कछियाना निवासी वेदवती ने बच्ची को गोद ले लिया तो उन्होंने वेदवती व बच्ची का बैंक में संयुक्त खाता खुलवाया. इसके बाद से ही मोहित अपने वेतन से हर महीने पांच हजार रुपये उस खाते में डाल रहे हैं. वेदवती के पति अजय कुमार दिल्ली में रसोइया हैं. वहीं बच्ची वेदवती को मां बुलाती है. बता दें कि अभी कुछ दिन पहले उस बच्ची का फर्रूखाबाद के बेहद मशहूर स्कूल में एडमिशन कराया गया है. पुलिस कमिश्नर वाराणसी मोहित आग्रवाल का कहना है कि बच्ची के बेहतर भविष्य के लिए उनसे जो भी होगा, वह उससे कभी पीछे नहीं हटेंगे.