लखनऊ: यूपी का एक ऐसा आईपीएस अधिकारी कल रिटायर हो गया, जिसकी वजह से बीते दो वर्षों से राज्य को उसका स्थाई डीजीपी नहीं मिल पा रहा था. वर्ष 1987 बैच के आईपीएस और पूर्व डीजीपी मुकुल गोयल आखिरकार 29 फरवरी को रिटायर हो गए. गोयल के रिटायर होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में स्थाई डीजीपी मिलने के सभी रास्ते खुल गए हैं. गोयल को सरकार ने मई 2022 अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए, डीजीपी के पद से हटा दिया था. इसी के बाद से यूपीएससी और योगी सरकार के बीच डीजीपी के चयन को लेकर तलवारे खिंचीं हुई थीं.
अल्मोड़ा के ASP से लेकर DGP तक का तय किया सफर: मुजफ्फरनगर के रहने वाले मुकुल गोयल वर्ष 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. दिल्ली आईआईटी से इलेक्ट्रिकल में बीटेक करने के साथ मुकुल गोयल ने मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री हासिल की थी. वर्ष 1987 में आईपीएस बनने के बाद मुकुल गोयल की पहली तैनाती बतौर एएसपी नैनीताल में हुई थी.
प्रोबेशन पीरियड खत्म करने के बाद एसपी सिटी बरेली बनाए गए और मुकुल गोयल का पहली बार अल्मोड़ा के पुलिस कप्तान बने थे. अल्मोड़ा के बाद मुकुल गोयल जालौन, आजमगढ़, मैनपुरी, हाथरस, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर और मेरठ जैसे जिलों में पुलिस कप्तान रहे. गोयल को ईओडब्ल्यू और विजिलेंस में भी एसपी बनाया गया था. गोयल यूपी के एडीजी कानून व्यवस्था भी रहे. इसके बाद यूपी में योगी सरकार बनी और उन्हें 2 जुलाई 2021 को योगी सरकार ने डीजीपी बनाया था.
योगी सरकार में मुकुल गोयल को लेकर शुरू हुआ विवाद: मुकुल गोयल ऐसे तो अपनी पुलिस सेवा के दौरान कई बार विवादों में आए. जैसे वर्ष 2000 में सहारनपुर में पूर्व बीजेपी विधायक निर्भय पाल की हत्या के बाद उन्हें एसएसपी के पद से सस्पेंड कर दिया गया था. वर्ष 2006 के कथित पुलिस भर्ती घोटाले में कुल 25 आईपीएस अधिकारियों का नाम सामने आए थे, जिसमें मुकुल गोयल का नाम भी शामिल था.
इसके अलावा मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान मुकुल गोयल एडीजी कानून व्यवस्था थे और वो दंगे को रोकने में सफल नहीं हुए थे. लेकिन मुकुल गोयल उस वक्त सबसे अधिक चर्चा में आ गए जब वो डीजीपी थे और एक ही पल में योगी सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया. सरकार ने उन्हें शासकीय कार्यों की अवहेलना करने और विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार के आरोपी के चलते हटाया था. सरकार ने अस्थाई डीजीपी नियुक्त कर नए डीजीपी के चयन के लिए आयोग को प्रस्ताव भेजा था.
गोयल को लेकर आयोग-सरकार में थी ठनी: मुकुल गोयल को अचानक हटाए जाने से यूपीएससी नाराज था. ऐसे में योगी सरकार ने जो नए डीजीपी के चयन के लिए प्रस्ताव भेजा था, उसे आयोग ने बैरंग वापस भेजते हुए मुकुल गोयल को बिना किसी ठोस कारण के हटाने का कारण पूछ लिया. सरकार ने भी जवाब में कहा कि, मुकुल गोयल पर यूपी पुलिस भर्ती घोटाले का आरोप है.
इतना ही नहीं मुजफ्फनगर दंगे के दौरान भी उन्होंने एडीजी कानून व्यवस्था रहते लापरवाही दिखाई थी, जिस कारण उन्हें हटा दिया गया है. इसके बाद आयोग ने फिर सवाल पूछ डाला कि जब गोयल में इतनी कमियां थीं, तो उन्हें डीजीपी सरकार ने क्यों बनाया. इसके बाद योगी सरकार समझ चुकी थी कि अब जब तक मुकुल गोयल पुलिस सेवा में है, तब तक न ही स्थाई डीजीपी मिल सकता है और न ही आयोग को संतोषजनक जवाब दिया जा सकता है.
IPS गोयल के रिटायर होने का सरकार कर रही थी बेसब्री से इंतजार: आयोग नियमों का हवाला देते हुए मुकुल गोयल के रहते स्थाई डीजीपी के चयन में रुचि नहीं ले रही थी. लिहाजा योगी सरकार ने पहले डीएस चौहान, फिर आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और अब प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बना दिया. अब जब मुकुल गोयल रिटायर हो चुके है, तो सरकार आसानी से आयोग को स्थाई डीजीपी के लिए आयोग को प्रस्ताव भेजेगी और आयोग वरिष्ठ अधिकारियों की पैनल लिस्ट से तीन वरिष्ठ अफसरों की सूची सरकार को भेज देगी. इसके बाद सरकार स्थाई डीजीपी नियुक्त कर सकेगी.