सरगुजा: आज के समय में महिला हर क्षेत्र में आगे है. चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर खेल. आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. बेहतर स्वास्थ्य के लिये अच्छा खान पान भी जरुरी है. महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छी डाइट लेना चाहिए.
महिलाओं के जीवन के 3 खास पड़ाव: अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पोषण विभाग की प्रमुख डॉ सुमन सिंह ने बताया कि ''महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए बड़ी उम्र में नहीं, बल्कि 12 वर्ष की उम्र या जब पीरियड्स शुरू होते हैं, तब से ही अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना होता है. महिलाओं के जीवन में 3 बड़े पड़ाव आते हैं. पहला जब किसी किशोरी के पीरियड्स शुरू होते हैं. दूसरा जब वो प्रेग्नेंट होती और बच्चे को जन्म देती है. तीसरा 45 की उम्र के बाद या जब पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं. इन तीनों पड़ाव में महिलाओं को अपनी डाइट में बदलाव और सुधार करने की जरूरत होती है.''
पीरियड्स से जब शुरू होता है पहला पड़ाव: डाइटीशियन डॉ सुमन सिंह कहती हैं कि ''जब किसी किशोरी के पीरियड्स शुरू होते हैं तो उसके शरीर में बड़े बदलाव भी शुरू हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें आयरन, कैल्शियम, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर डाइट लेना चाहिये. आयरन के लिए अंकुरित चना, मूंग और गुड़ का सेवन सुबह सुबह करें. कैल्शियम के लिये हमें दूध या दूध से बनी चीज, पनीर या नॉनवेज में मछली खाना चाहिए. मगज के बीज और रागी का सेवन भी करना चाहिये इन दोनों में आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है.''
प्रेग्नेंसी से शुरू होता है दूसरा पड़ाव: प्रेग्नेंसी शुरु होते ही महिलाओं को खान पान पर खास ध्यान देना चाहिए. अगर किसी महिला को थायरॉइड या किडनी से सम्बंधित कोई समस्या ना हो तो वे अंकुरित, चना, मूंग और गुड़ डाइट में ले सकती हैं. इसके अलावा हर 2 घंटे मे थोड़ा थोड़ा खाते रहना चाहिये. जैसे मखाना, भीगे हुए मेवे, छाछ, दही, नारियल पानी, होम मेड जूस, छेने का पानी अगर पीते हैं तो ये बहुत अच्छा है, यह प्रोटीन होता है. चावल का पानी (माड़) में नींबू का रस डालकर खाना चाहिये. फ्रूट्स, दलिया, रागी, ज्वार-बाजरे से बनी हुई रोटी डाइट में शामिल करना चाहिए. 2 से 3 घंटे पहले बना भोजन ही डाइट में लें. बासी भोजन को अवाइड करें.
दूसरे पड़ाव का महत्वपूर्ण अंग है स्तनपान: बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान का समय आता है. इस समय महिलाओं में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम की मांग दोगुनी हो जाती है, क्योंकि उतना ही डाइट बच्चे के लिये भी चाहिए होता है. इस समय भी आपके न्यूट्रीशन का स्तर अच्छा होना चाहिये. कुछ कुछ देर में मां को कुछ ना कुछ खाते रहना चाहिए. आपका ब्रेकफास्ट बहुत हेल्दी होना चाहिये. इसमें दही, सादी रोटी, उबली हुई सब्जी, तेल मसाला ना खायें और फ्रूट में अमरूद, पपीता खायें.
45 की उम्र में पीरियड्स बंद होना तीसरा पड़ाव: महिलाओं के पीरियड्स आमतौर पर 45 की उम्र के बाद बंद हो जाते हैं. ऐसे समय में महिलाओं को अपने सामान्य डाइट में थोड़ा बदलाव करने की जरूरत होती है. महिलाएं सुबह उठकर आधे घंटे के अंदर नट्स या सीड्स खायें, फिर योगा के बाद हेल्दी ब्रेकफास्ट ले सकती हैं. जिसमें रोटी, सब्जी, इडली, साम्भर, डोसा, अंकुरित चना शामिल करें. इसके कुछ देर बाद फ्रूट खायें या घर का बना हुआ जूस पी सकते हैं. इसके 2 घंटे बाद अच्छा लंच लेना चाहिए. लंच में चावल-दाल का सेवन करें, क्योंकि दाल में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है. डाइट में हरी सब्जियों को भी शामिल करें. शाम को 4-5 बजे के बीच मखाना, सूखे मेवे, रागी का लड्डू खा सकते हैं. रात को एकदम सादा हल्का खाना खायें.
एनिमिक महिलाओं के लिए डाइट प्लान: ज्यादातर महिलाएं एनिमिक होती हैं. उनके लिए मुनगे (सहजन) की भाजी भी बहुत अच्छी होती है. यह बेहद लाभकारी होती है. उन्हें दलिया या दो रोटी सब्जी के साथ भाजी को डाइट में जरूर एड करना चाहिए. आयरन का एब्जॉर्सन विटामिन सी करता है. इसके लिए अंकुरित चना, मूंग खाते समय उसमें नींबू जरूर एड करें या उसके साथ विटामिन सी वाले फल खाएं, तो आपके शरीर में आयरन का एब्जॉर्सन बहुत अच्छा होगा.