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इंटरनेशनल गीता जयंती महोत्सव में लखनऊ के कलाकारों ने मनरा नृत्य से बांधा समा, जानें क्या है परंपरा

कुरुक्षेत्र में इंटरनेशनल गीता जयंती महोत्सव का दूसरा दिन है. यहां पर लोगों को कलाकार अपनी कला से आकर्षित कर रहे हैं.

International Gita Jayanti Festival
International Gita Jayanti Festival (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में 28 नवंबर से इंटरनेशनल गीता जयंती महोत्सव का आगाज हो चुका है. आज गीता महोत्सव का दूसरा दिन है. यहां पर दूसरे राज्यों से आए हुए कलाकारों द्वारा अपने परंपरागत नृत्य की प्रस्तुति दी जा रही है. जैसे ही लखनऊ से आए हुए कलाकारों द्वारा महोत्सव में मनरा नृत्य किया गया, वैसे ही उन्हें देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लग गया. वहां पर पर्यटक उनके नृत्य पर झूमते हुए नजर आए.

लोगों की पसंद बना मनरा नृत्य: मुख्य कलाकार निधि श्रीवास्तव ने बताया कि वह पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए हैं और यहां पर आने पर उनको काफी अच्छा लग रहा है. वह अपना परंपरागत नृत्य मनरा यहां पर प्रस्तुत कर रहे हैं.लोग इस नृत्य को काफी पसंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि समय बदल रहा है. लेकिन वह आज भी परंपरागत नृत्य मंत्र को करके अपनी संस्कृति से रूबरू करवा रहे हैं.

International Gita Jayanti Festival (Etv Bharat)

क्या है मनरा नृत्य: जब कोई मनिहार चूड़ी बेचने के लिए गांव में आता है और महिलाएं जब चूड़ी खरीदते समय दाम को लेकर या गुणवत्ता को लेकर मनिहार के साथ नोक-जोख करती है. उससे ही यह नृत्य बनाया गया है और कैसे महिलाएं मनिहार के साथ चूड़ियों को लेने के लिए नोंकझोक करती थी. वह सभी इस नृत्य के जरिए दर्शाया गया है. उन्होंने कहा कि उनके समूह में 13 लोग शामिल है और वह पिछले काफी सालों से यह नृत्य करते आ रहे हैं. अपने साथ युवा कलाकारों को भी जोड़ रहे हैं. ताकि यह नृत्य लगातार चलता रहे और हमारे आने वाली पीढ़ियां हमारी संस्कृति के बारे में जानती रहे.

कब से प्रचलन में है मनरा नृत्य: जब उनसे नृत्य के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह नृत्य तब से चला आ रहा है, जब से महिला और पुरुष ने पृथ्वी पर जन्म लिया है. क्योंकि महिलाएं चूड़ी पहनती है और जब से महिला पुरुष बने हैं. तब से ही चूड़ियां बनी हुई है और चूड़ियां पहनने को लेकर मनिहार के साथ जो नोकझोंक होती है. उसी को इस नृत्य में दर्शाया गया है. यह नृत्य पिछले कई दशकों से चला आ रहा है. मुख्य कलाकार निधि श्रीवास्तव ने बताया कि उनके नृत्य और गायन कला अलग है. हालांकि यहां पर आए हुए कुछ ही लोग उसको समझ पाते हैं. लेकिन जो हमारी नृत्य शैली है और जो उसमें गायन शैली है. उस पर लोग थिरकने को जरूर मजबूर हो जाते हैं.

संस्कृति को विदेश में पहुंचाने का प्रयास: समूह की गायिका नीरजा श्रीवास्तव ने बताया कि हम पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए हैं. लेकिन पहले बार में ही हमें यहां पर आकर काफी अच्छा लगा है. कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा इसको भारत ही नहीं विदेशों के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए जो प्रयास किया गया है. वह सार्थक होते हुए दिखाई दे रहे हैं. यहां पर वह अपने नृत्य की प्रस्तुति देते हैं, जो लोगों को काफी पसंद आ रही है.

ये भी पढ़ें:कुरुक्षेत्र में इंटरनेशनल गीता जयंती महोत्सव का आगाज, राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने किया शुभारंभ, 25 राज्यों के कलाकार बिखेरेंगे सांस्कृतिक रंग

ये भी पढ़ें: कुरुक्षेत्र में आज से शुरू होगा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024, हरियाणा CM ने एक दिन पहले लगाई झाडू

कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में 28 नवंबर से इंटरनेशनल गीता जयंती महोत्सव का आगाज हो चुका है. आज गीता महोत्सव का दूसरा दिन है. यहां पर दूसरे राज्यों से आए हुए कलाकारों द्वारा अपने परंपरागत नृत्य की प्रस्तुति दी जा रही है. जैसे ही लखनऊ से आए हुए कलाकारों द्वारा महोत्सव में मनरा नृत्य किया गया, वैसे ही उन्हें देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लग गया. वहां पर पर्यटक उनके नृत्य पर झूमते हुए नजर आए.

लोगों की पसंद बना मनरा नृत्य: मुख्य कलाकार निधि श्रीवास्तव ने बताया कि वह पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए हैं और यहां पर आने पर उनको काफी अच्छा लग रहा है. वह अपना परंपरागत नृत्य मनरा यहां पर प्रस्तुत कर रहे हैं.लोग इस नृत्य को काफी पसंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि समय बदल रहा है. लेकिन वह आज भी परंपरागत नृत्य मंत्र को करके अपनी संस्कृति से रूबरू करवा रहे हैं.

International Gita Jayanti Festival (Etv Bharat)

क्या है मनरा नृत्य: जब कोई मनिहार चूड़ी बेचने के लिए गांव में आता है और महिलाएं जब चूड़ी खरीदते समय दाम को लेकर या गुणवत्ता को लेकर मनिहार के साथ नोक-जोख करती है. उससे ही यह नृत्य बनाया गया है और कैसे महिलाएं मनिहार के साथ चूड़ियों को लेने के लिए नोंकझोक करती थी. वह सभी इस नृत्य के जरिए दर्शाया गया है. उन्होंने कहा कि उनके समूह में 13 लोग शामिल है और वह पिछले काफी सालों से यह नृत्य करते आ रहे हैं. अपने साथ युवा कलाकारों को भी जोड़ रहे हैं. ताकि यह नृत्य लगातार चलता रहे और हमारे आने वाली पीढ़ियां हमारी संस्कृति के बारे में जानती रहे.

कब से प्रचलन में है मनरा नृत्य: जब उनसे नृत्य के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह नृत्य तब से चला आ रहा है, जब से महिला और पुरुष ने पृथ्वी पर जन्म लिया है. क्योंकि महिलाएं चूड़ी पहनती है और जब से महिला पुरुष बने हैं. तब से ही चूड़ियां बनी हुई है और चूड़ियां पहनने को लेकर मनिहार के साथ जो नोकझोंक होती है. उसी को इस नृत्य में दर्शाया गया है. यह नृत्य पिछले कई दशकों से चला आ रहा है. मुख्य कलाकार निधि श्रीवास्तव ने बताया कि उनके नृत्य और गायन कला अलग है. हालांकि यहां पर आए हुए कुछ ही लोग उसको समझ पाते हैं. लेकिन जो हमारी नृत्य शैली है और जो उसमें गायन शैली है. उस पर लोग थिरकने को जरूर मजबूर हो जाते हैं.

संस्कृति को विदेश में पहुंचाने का प्रयास: समूह की गायिका नीरजा श्रीवास्तव ने बताया कि हम पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए हैं. लेकिन पहले बार में ही हमें यहां पर आकर काफी अच्छा लगा है. कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा इसको भारत ही नहीं विदेशों के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए जो प्रयास किया गया है. वह सार्थक होते हुए दिखाई दे रहे हैं. यहां पर वह अपने नृत्य की प्रस्तुति देते हैं, जो लोगों को काफी पसंद आ रही है.

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Last Updated : 2 hours ago
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