मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद में शहर की गंदगी को पूरी तरह से निपटाने के लिए मुक्तिधाम परिसर में इंसुलेटर हाउस बनाया गया है.जिसकी लागत 15 लाख रुपए आई थी.लेकिन इंसुलेटर अब शहर के सीने में सफेद हाथी साबित हो रहा है.क्योंकि जिस कचरा के निपटान के लिए इसका निर्माण हुआ था,वो कचरा इंसुलेटर तक पहुंच ही नहीं रहा.ये इंसुलेटर बिना किसी उपयोग के अपने जर्जर होने का इंतजार कर रहा है.
इंसुलेटर के पार्ट्स हुए चोरी : देखरेख और सुरक्षा के अभाव में इंसुलेटर के पार्ट्स चोरी हो चुके हैं.ऐसे में इसे अब चलाना मुश्किल है.सूत्रों के मुताबिक इंसुलेटर को बनाने और इसे चालू ना करने के पीछे सिर्फ कमीशनखोरी है.क्योंकि हो सकता है कि ये मशीन चलने लायक ही ना हो.इसलिए इसे चालू ही नहीं होने दिया गया.अब हालात ये है कि कीमती सामान चोरी हो चुके हैं तो जवाब मांगने पर बहाना ही मिलेगा.
कचरा नहीं जला,लेकिन चूल्हा जरुर जला : जिस उद्देश्य से कचरा जलाने के लिए 15 लाख की लागत से इंसुलेटर बनाया गया,उस उद्देश्य की पूर्ति तो हुई नहीं.हां कुछ लोगों का बैंक बैलेंस जरुर इस इंसुलेटर ने सुधार दिया है.ये भले ही कचरा ना जला पाया.लेकिन खुद के लगने के कारण जिम्मेदारों के भ्रष्टाचार के कारण उनके घर का चूल्हा जरुर जला रहा है.
''कचरे और गंदगी को नष्ट करने के लिए शासन ने 15 लाख की राशि इंसुलेटर मशीन के लिए दिया गया. लेकिन ये मशीन आज तक नहीं चली. 15 लाख की राशि में गड़बड़ी की गई. शासन की राशि को दुरुपयोग हुआ.'' धर्मेंद्र पटवा, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष
जब इस मामले की पूरी तफ्तीश के लिए नगर पालिका परिषद की वर्तमान अध्यक्ष प्रभा पटेल से पूछा गया तो उन्होंने मामले की जानकारी से अनभिज्ञ होना बताया.
''इंसुलेटर तो लगा है लेकिन चल रहा है या नहीं इसकी जानकारी मुझे नही है. मेरे कार्यकाल के समय का नही है. इसलिए उसके बारे में ज्यादा नही जानती.'' प्रभा पटेल,अध्यक्ष,नगर पालिका परिषद मनेंद्रगढ़
इंसुलेटर चलता को शहर को गंदगी और कचरे से मुक्ति मिलती .लेकिन लगता है कि शहर को कचरा पसंद है.इसलिए यहां रहने वाले लोग शहर के कचरे के निपटान से ज्यादा उसे अपने आसपास ही बिखरा देखना पसंद है. जनप्रतिनिधि भी इसकी टोपी उसके सिर वाली बात कहकर बच निकलते हैं.अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में ये इंसुलेटर चलता है या वेंटिलेटर पर ही रहता है.