चंडीगढ़: एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता हरियाणा में विधानसभा चुनाव में हार के बाद ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं. वहीं पार्टी से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अपनी ही पार्टी के नेताओं पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. क्या सही मायने में कांग्रेस की हुई ईवीएम से हार या फिर अपने ही बड़े नेताओं की गलतियों ने पार्टी का किया यह हाल ?, ये सवाल फिलहाल सभी के जेहन में घूम रहा है.
हरियाणा में कांग्रेस की हार पर मंथन तो पार्टी कर ही रही है, लेकिन पार्टी के दिग्गज नेता हार के लिए ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से मतगणना के दौरान चुनावी नतीजों में गड़बड़ी की शिकायत दी गई है. इस मामले में कांग्रेस ने दिल्ली में चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखी है. कांग्रेस का कहना है कि चुनाव में इस्तेमाल ईवीएम हैक की गई, जिससे 20 सीटों के नतीजों में हेराफेरी हुई है. कांग्रेस ने इसके लिए पानीपत के काउंटिंग सेंटर का उदाहरण देते हुए शहरी सीट का हवाला दिया है. उनके मुताबिक इन जगहों पर ईवीएम की बैटरी 90 फीसदी चार्ज थी, उनमें से निकले 70 फीसदी वोट बीजेपी के पक्ष वाले थे. उन्होंने मांग की है कि चुनाव आयोग ऐसी ईवीएम को सील कर उनकी जांच कराएं.
गोगी ने भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा पर किया वार : कांग्रेस के दिग्गज ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं कांग्रेस के खुद के हारे हुए उम्मीदवार अपनी ही पार्टी पर ही सवाल उठा रहे हैं. करनाल के असंध से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे और सैलजा के करीबी शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि जिसके हाथ में कमान है, अगर जीत होती तो श्रेय लेता, हार हुई है तो वो भी लेनी चाहिए. इन दोनों के हाथ कमान थी, हार गए हैं तो उन्हें बड़प्पन दिखाना चाहिए कि हमारी वजह से हारें हैं, लेकिन जनता ने किसको नकारा, जिसका चेहरा सामने था, बापू बेटा का वन वे ट्रैफिक था. उन्होंने कहा कि दीपेंद्र हुड्डा अपने भाषण में कहते थे कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार बनेगी, पार्टी की तरफ से जो गाना बज रहा वो भी हुड्डा सरकार बनेगी का था. कभी इन लोगों के मुंह से कांग्रेस सरकार का नाम सुना ? जो आदमी इलेक्शन लड़ रहा था और जो लड़वा रहा था वही नफे का भी हकदार भी है और नुकसान का भी. सैलजा के खिलाफ हो रही बयानबाजी का नुकसान पूरे हरियाणा में हुआ, मुझे असंध में भी हुआ.
परविंदर पाल परी ने भी उठाए हुड्डा पर सवाल : वहीं अंबाला कैंट सीट से कांग्रेस उम्मीदवार परविंदर पाल परी भी कुछ ऐसा ही कह रहे हैं. मीडिया एजेंसी एएनआई से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि मुझे चुनाव में हराया गया. पार्टी ने ही साजिश के तहत बागी उम्मीदवार उतारकर मुझे हरवाया. हमें लगता है कि अगर कुमारी शैलजा समय पर आतीं तो चुनाव के नतीजे कुछ और होते. एक निर्दलीय उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया और उसे बीडी गैंग यानी भूपिंदर और दीपेंद्र का समर्थन मिला. दीपेंद्र हुड्डा ने चित्रा सरवारा (पूर्व कांग्रेस नेता और अंबाला कैंट से निर्दलीय उम्मीदवार) को चुनाव लड़वाया और उसका समर्थन किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को धमकाया गया कि वे मेरा समर्थन न करें और निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन करें. हरियाणा कांग्रेस द्वारा इतनी बड़ी साजिश रची गई.
कैप्टन भी दिखे कांग्रेस की रणनीति से खफा : वहीं दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय यादव ने पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने बयान दिया है कि इस चुनाव में प्रभारी और कांग्रेस प्रेसिडेंट के बीच कोई तालमेल नहीं था. अध्यक्ष खुद चुनाव लड़ रहा था तो उसका ध्यान ही नहीं था. सिर्फ वही हुआ जो चार लोगों ने चाहा. मुझे ओबीसी मोर्चा का अध्यक्ष बना रखा था, लेकिन ना मुझे किसी बैठक में बुलाया जाता है, ना कहीं ओर. मेरा फोटो तक प्रचार पोस्टर में नहीं लगाया गया.
क्या कहते हैं जानकर ? : कांग्रेस की हार और उसके बाद नेताओं के आ रहे बयानों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि कांग्रेस नेताओं की हरियाणा में अंतर्कलह किसी से छुपी नहीं है, यह बात जगजाहिर है. लेकिन हैरानी इस बात की है कि पार्टी के आला कमान ने कभी भी इसको एड्रेस नहीं किया. जिसकी वजह से पार्टी को बार-बार नुकसान उठाना पड़ रहा है.
वे कहते हैं कि कांग्रेस को ईवीएम पर सवाल उठाने से पहले हरियाणा में नेताओं के आपसी मतभेदों को एड्रेस करना जरूरी है. वे आगे कहते हैं कि पिछले चुनावों में भी इस तरह की बातें हुई थी. वहीं अब हार के बाद फिर नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. वे कहते हैं कि कांग्रेस हार पर मंथन के बाद क्या करेगी, किस को हार का जिम्मेदार ठहरायेगी, वह अलग मुद्दा है. लेकिन पार्टी के बेहतर भविष्य के लिए सबसे पहले अपने घर को ठीक करने पर काम करने की जरूरत है.
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