इंदौर। भीषण गर्मी में जहां विभिन्न शहरों में जल संकट की स्थिति है. वहीं, स्वच्छ शहर में भी अब पानी की किल्लत होने लगी है. शनिवार को शहर में पानी नहीं मिलने के कारण जनता और जनप्रतिनिधियों का आक्रोश सड़क पर नजर आया. इंदौर शहर के वार्ड 65 में पानी की लगातार किल्लत बनी हुई है. जब इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो पार्षद को कपड़े उतार कर अपनी ही निगम परिषद और सरकार के खिलाफ पानी की टंकी पर धरने पर बैठना पड़ा.
वार्ड 65 में 2 महीनों से चल रही पानी की किल्लत
दरअसल, इंदौर में पारा 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. कई क्षेत्र में बोरिंग सूख चुकी है. इन हालातों में विभिन्न कॉलोनियों और वार्डों में पानी समस्या बढ़ती जा रही है. नगर निगम द्वारा वार्डों में टैंकरों से पानी सप्लाई किया जा रहा है. इसके बावजूद कहीं कम तो कहीं ज्यादा सप्लाई के कारण कई क्षेत्रों में पानी की किल्लत बनी हुई है. वहीं, वार्ड 65 में लगातार 2 महीनों से पानी की किल्लत बनी हुई है. पानी की समस्या से लगातार परेशान हो रहे लोगों ने पार्षद कमलेश कालरा को खरी खोटी सुनाना शुरू किया, तो पार्षद ने महापौर से लेकर संबंधित अधिकारियों से पानी की आपूर्ति की गुहार लगाई.
अर्धनग्न होकर धरने पर बैठे पार्षद
जब पार्षद की बात नहीं सुनी गई, तो परेशान होकर पार्षद ने शनिवार को वार्ड 65 की पानी की टंकी पर कपड़े उतार कर अर्धनग्न स्थिति में धरना देना शुरू कर दिया. इसके बाद नगर निगम अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर पार्षद की समस्या का समाधान करना पड़ा. इस दौरान भाजपा पार्षद कमलेश कालरा ने अधिकारियों और महापौर पर जमकर आरोप लगाए. उनका कहना था कि पानी की समस्या को लेकर महिलाएं उनके घर रोज आ रही हैं. महापौर मेरा 8 दिन से फोन नहीं उठा रहे हैं और अधिकारी भी मेरा फोन नहीं उठा रहे हैं.
निगम अधिकारियों ने कराया समस्या का समाधान
पानी की समस्या को लेकर कार्यकर्ताओं और जनता के साथ पार्षद धरने पर बैठे थे. इधर, इस मामले पर नगर निगम के कार्यपालन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव का कहना था कि "पानी की सप्लाई लाइन में फाल्ट हो गए थे जिसके कारण पानी सप्लाई प्रभावित हुई थी. जिसे सुधार दिया गया है." गौरतलब है कि वार्ड 65 ही नहीं शहर के विभिन्न इलाकों में फिलहाल यह स्थिति है. जहां टैंकर से सप्लाई होती है वहां सारा पानी वितरण का नियंत्रण अधिकारियों का हाथ में है. ऐसे में आम जनता को अधिकारियों के रहमों करम पर ही पानी उपलब्ध हो पा रहा है. वहीं, नगर निगम में भी ऐसे मामलों में फिलहाल पार्षदों को भी खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.