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इंदौर में एक कुटिया से कैसे बना गीता भवन मंदिर, जहां गूंजते है गीता के उपदेश - INDORE GITA JAYANTI MAHOTSAV

इंदौर के गीता भवन मंदिर में अनूठा संत समागम, 6 दशकों से गीता के उपदेश गूंज रहे हैं. इस बार ये है कार्यक्रम का ब्यौरा.

Indore Gita Jayanti Mahotsav
इंदौर में गीता जयंती महोत्सव की तैयारियां (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 7, 2024, 2:39 PM IST

इंदौर: इंदौर का गीता भवन मंदिर संत समागम के साथ गीता के उपदेशों की 5 दशक पुरानी परंपरा निभा रहा है. देश में यह पहला मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेशों के आधार पर देशभर के साधु-संत एकत्र होकर संत समागम में गीता सार के आधार पर श्रद्धालुओं को जीवन दर्शन की राह बताते हैं. गीता भवन मंदिर प्रांगण में 67वां गीता जयंती महोत्सव 8 से 14 दिसंबर तक आयोजित होने जा रहा है,

एक कुटिया से शुरू होकर बना गीत भवन मंदिर

गीता भवन ट्रस्ट अध्यक्ष रामचंद्र ईरान के अनुसार "संत समागम के लिए 1967 में पाकिस्तान से आए बाबा बालमुकुंद जी ने इंदौर में अब गीता भवन कहे जाने वाले क्षेत्र में एक कुटिया में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए. जब उन्हें एहसास हुआ कि कुटिया के स्थान पर भव्य मंदिर में संतों का धार्मिक कार्यक्रम होना चाहिए तो उन्होंने इसी क्षेत्र में जमीन खरीद कर मंदिर के लिए जगह आरक्षित कर दी. इसके बाद उन्होंने अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा हॉस्पिटल के लिए और एक नर्सिंग होम के लिए निर्धारित कर दिया."

इंदौर में एक कुटिया से कैसे बना गीता भवन मंदिर (ETV BHARAT)

पहले 11 दिन का गीता जयंती महोत्सव होता था

इसके बाद इस स्थान पर धीरे-धीरे गीता भवन परिसर में संत समागम और धार्मिक गतिविधियां बढ़ने लगी. उन दिनों यहां पर 11 दिन का गीता जयंती महोत्सव आयोजित होता था, जिसमें देशभर के मशहूर साधु-संत राजवाड़ा से हाथी-घोड़े पर बैठकर गीता भवन परिसर तक आते थे और 11 दिन तक यहां धार्मिक कार्यक्रम और संतों के प्रवचन चलते थे. हालांकि बाबा के स्वर्गवास के बाद उनकी धार्मिक परंपरा उनके भक्तों द्वारा निर्धारित ट्रस्ट ने संभाली. जिसके फलस्वरूप गीता भवन मंदिर प्रांगण में अभी भी भव्य पैमाने पर गीता जयंती महोत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष 67वां गीता जयंती महोत्सव 8 दिसंबर से 14 दिसंबर तक आयोजित होने जा रहा है.

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा उठेगा

देश में अपनी तरह के अनूठे संत समागम में अलग-अलग परंपराओं के संत गीता और खासकर भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता उपदेश में बताए गए मानव धर्म और आचरण पर अपने विचार रखते हैं. इस दौरान प्रवचन की श्रृंखला भी चलती है, जिसमें हर साल हजारों लोग शामिल होते हैं. इस वर्ष गीता जयंती महोत्सव में देशभर के संत बांग्लादेश में हो रहे हिंदू अत्याचार पर हस्ताक्षर अभियान में भी शामिल होंगे. इस दौरान में भारत सरकार के समक्ष हिंदू अत्याचार रोकने के लिए हजारों हस्ताक्षरों के साथ मांगपत्र भारत सरकार को भेजेंगे, जिससे बांग्लादेश में हिंदुओं के दमन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनने के साथ वहां अत्याचार रोका जा सके.

इंदौर: इंदौर का गीता भवन मंदिर संत समागम के साथ गीता के उपदेशों की 5 दशक पुरानी परंपरा निभा रहा है. देश में यह पहला मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेशों के आधार पर देशभर के साधु-संत एकत्र होकर संत समागम में गीता सार के आधार पर श्रद्धालुओं को जीवन दर्शन की राह बताते हैं. गीता भवन मंदिर प्रांगण में 67वां गीता जयंती महोत्सव 8 से 14 दिसंबर तक आयोजित होने जा रहा है,

एक कुटिया से शुरू होकर बना गीत भवन मंदिर

गीता भवन ट्रस्ट अध्यक्ष रामचंद्र ईरान के अनुसार "संत समागम के लिए 1967 में पाकिस्तान से आए बाबा बालमुकुंद जी ने इंदौर में अब गीता भवन कहे जाने वाले क्षेत्र में एक कुटिया में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए. जब उन्हें एहसास हुआ कि कुटिया के स्थान पर भव्य मंदिर में संतों का धार्मिक कार्यक्रम होना चाहिए तो उन्होंने इसी क्षेत्र में जमीन खरीद कर मंदिर के लिए जगह आरक्षित कर दी. इसके बाद उन्होंने अपनी जमीन का एक बड़ा हिस्सा हॉस्पिटल के लिए और एक नर्सिंग होम के लिए निर्धारित कर दिया."

इंदौर में एक कुटिया से कैसे बना गीता भवन मंदिर (ETV BHARAT)

पहले 11 दिन का गीता जयंती महोत्सव होता था

इसके बाद इस स्थान पर धीरे-धीरे गीता भवन परिसर में संत समागम और धार्मिक गतिविधियां बढ़ने लगी. उन दिनों यहां पर 11 दिन का गीता जयंती महोत्सव आयोजित होता था, जिसमें देशभर के मशहूर साधु-संत राजवाड़ा से हाथी-घोड़े पर बैठकर गीता भवन परिसर तक आते थे और 11 दिन तक यहां धार्मिक कार्यक्रम और संतों के प्रवचन चलते थे. हालांकि बाबा के स्वर्गवास के बाद उनकी धार्मिक परंपरा उनके भक्तों द्वारा निर्धारित ट्रस्ट ने संभाली. जिसके फलस्वरूप गीता भवन मंदिर प्रांगण में अभी भी भव्य पैमाने पर गीता जयंती महोत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष 67वां गीता जयंती महोत्सव 8 दिसंबर से 14 दिसंबर तक आयोजित होने जा रहा है.

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा उठेगा

देश में अपनी तरह के अनूठे संत समागम में अलग-अलग परंपराओं के संत गीता और खासकर भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता उपदेश में बताए गए मानव धर्म और आचरण पर अपने विचार रखते हैं. इस दौरान प्रवचन की श्रृंखला भी चलती है, जिसमें हर साल हजारों लोग शामिल होते हैं. इस वर्ष गीता जयंती महोत्सव में देशभर के संत बांग्लादेश में हो रहे हिंदू अत्याचार पर हस्ताक्षर अभियान में भी शामिल होंगे. इस दौरान में भारत सरकार के समक्ष हिंदू अत्याचार रोकने के लिए हजारों हस्ताक्षरों के साथ मांगपत्र भारत सरकार को भेजेंगे, जिससे बांग्लादेश में हिंदुओं के दमन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनने के साथ वहां अत्याचार रोका जा सके.

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