इंदौर: विजयनगर थाना क्षेत्र में रहने वाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट किए जाने का मामला सामने आया है. पीड़ित को मुंबई पुलिस के नाम से एक कॉल आया और उसका किसी कानूनी मामले में शामिल होना बताया गया. इसके बाद पीड़ित डर गया और अपने आप को एक होटल के कमरे में बंद कर लिया. बताया जा रहा है कि करीब 4 घंटे तक उसे नकली पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट में रखा.
रील पुलिस के बाद रियल पुलिस की एंट्री
इस मामले में बताया गया कि पीड़ित युवक के परिजन परेशान होकर विजयनगर थाने पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि धर्मेंद्र शर्मा (पीड़ित) कुछ घंटो से फोन रिसीव नहीं कर रहा है और न ही उसकी कोई जानकारी मिल रही है. पुलिस ने युवक के मोबाइल को ट्रेस किया तो उसकी लोकेशन विजयनगर के एक होटल में मिली. जांच करते हुए पुलिस वहां पहुंची तो युवक घबरा गया और फोन छुपाने लगा, जिसके बाद पुलिस ने उसे समझाइस दी कि वह डिजिटल अरेस्ट है. इस तरह पुलिस ने उसे ठगी का शिकार होने से बाल-बाल बचा लिया.
लाखों रुपए की हुई थी डिमांड
पीड़ित धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि " दोपहर करीब डेढ़ बजे मुंबई से एक कॉल आया, जिसमें कहा गया कि मेरा नाम मुंबई में किसी कानूनी मामले में शामिल है. अगली कार्रवाई के लिए कॉल मुंबई पुलिस को ट्रांसफर किया जा रहा है. इसपर मैंने विश्वास कर लिया और एक होटल में जाकर अपने आप को बंद कर लिया. जहां पर लगभग 4 घंटे तक दुबई और मुंबई के ठगों द्वारा अलग-अलग विभागों के अधिकारी बन डराने-धमकाने का प्रयास किया गया. इसके साथ ही लाखों रुपए की डिमांड भी की जाने लगी."
- डिजिटल अरेस्ट में अब नया पैंतरा, फर्जी तरीके से ऑनलाइन कोर्ट, सजा का ऐलान
- 'डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई शब्द नहीं', इंदौर पुलिस कमिश्नर ने जारी की एडवाइजरी
वीडियो कॉल पर नहीं होती कोई कानूनी कार्रवाई
देशभर में डिजिटल हाउस अरेस्ट की घटना एक के बाद एक सामने आ रही है. इस घटना को रोकने के लिए पुलिस कई तरह की एडवाइजरी जारी कर रही है. लेकिन उसके बाद भी लगातार लोग डिजिटल हाउस अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं. पुलिस ने बताया कि कोई भी कानूनी कार्रवाई इस प्रकार की वीडियो कॉल के माध्यम से नहीं की जाती है. फिलहाल इस पूरे ही मामले में अब पुलिस उस फोन नंबर के आधार पर आरोपियों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है.