इंदौर। चीन द्वारा अपने अधिपत्य में लिए गए तिब्बत को स्वतंत्र राष्ट्र के दर्जे की मांग दशकों से तिब्बती नागरिक करते रहे हैं, अब स्थिति यह है कि तिब्बत के सांसद भी इस मामले में भारत की मदद की गुहार लगा रहे हैं. इंदौर में तिब्बत के सांसद सुश्री तेनजिन चोएजिन और तवेन गेशे नगापा ने तिब्बत की स्वतंत्रता का मुद्दा फिर उठाया. इतना ही नहीं तिब्बत की सांसद सुश्री तेनजिंग ने सीधे तौर पर चीन को चुनौती देते हुए कहा ''चीन कोई शक्तिशाली राष्ट्र नहीं है, जो छोटे-छोटे मुद्दों पर डर जाता है. वह ताकतवर राष्ट्र नहीं हो सकता.''
राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी
सांसद सुश्री तेनजिंग ने कहा ''1959 से हमारे देश पर आक्रमण किया गया लेकिन हमने कभी भी हिम्मत नहीं हारी. हमने ठान रखा है कि हम हमारे धर्मगुरु दलाई लामा के साथ मिलकर अहिंसा और शांति के रास्ते पर चलते हुए अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए सदैव संघर्ष करेंगे.'' उन्होंने कहा ''इस मुद्दे पर भारत को हस्तक्षेप करते हुए अपनी ओर से भारत तिब्बत सीमा को मान्यता देकर तिब्बत को स्वतंत्र देश की दिशा में मदद करना चाहिए, जिससे वहां एक बड़ा बदलाव आ सकता है.''
भारत के कई हिस्सों पर आधिपत्य चाहता है चीन
उन्होंने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा ''नवंबर में चीन ने तिब्बत का नाम सीजन कर दिया है. साथ ही तिब्बत के अलावा भारत के कई हिस्सों पर भी आधिपत्य चाहता है. लेकिन अब तिब्बत के लोग अंतरराष्ट्रीय फोरम पर अपनी बात रख रहे हैं. तिब्बत के लोग अब इंटरनल बॉडी से कनेक्ट हैं, जो अपनी स्वतंत्रता का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं.'' उन्होंने बताया ''2010 से अब तक कई बार चीन से चर्चा हो चुकी है लेकिन अब चीन राउंड टेबल के लिए भी तैयार नहीं है.''
तिब्बत नागरिकों पर अत्याचार
इस दौरान तिब्बत के एक अन्य सांसद तवेन गेशे नगापा ने कहा "चीन द्वारा कई देशों से तिब्बत के नागरिकों पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं. हमारी सभ्यता और पहचान खत्म करने की लगातार कोशिश हुई है, लेकिन अभी नहीं आने वाले 200 सालों में भी तिब्बत का स्वतंत्रता के लिए चीन से अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह जारी रहेगा.'' Tibet and China Dispute