इंदौर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में 10 साल की सजायाफ्ता आरोपी ने सजा को कम करने को लेकर इंदौर खंडपीठ का रुख किया. कोर्ट में सजा कम करने को लेकर विभिन्न तरह के तर्क रखे गए. आरोपी पक्ष के वकील ने हाई कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि पूरा मामला मकान मालिक और किराएदार से संबंधित है. मकान मालिक ने किराया बढ़ाने को लेकर आरोपी को झूठे मामले में फंसाया है. लेकिन कोर्ट ने आरोपी पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए सजा को यथावत रखने के आदेश दिए.
किशोर अपराधियों को सजा से राहत देना गलत
मामले की सुनवाई इंदौर हाई कोर्ट के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की कोर्ट में हुई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि देश में किशोर अपराधियों के प्रति दया दिखाई जा रही जो चिंताजनक है. साथ ही कोर्ट ने कहा "निर्भया कांड जैसी घटनाओं से अब तक कोई सबक नहीं लिया गया. किशोर अपराधियों पर सख्ती बढ़ाने की जरूरत है लेकिन एक दशक के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया." इस प्रकार कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
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दुष्कर्म जैसे मामलों में सख्ती दिखानी चाहिए
फिलहाल जिस तरह से इंदौर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की, उसके बाद आने वाले दिनों में नाबालिग के साथ अत्याचार और छेड़छाड़ की घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों के खिलाफ सख्त सजा हो सकती हैं. बता दें कि कई बार आरोपी नाबालिग होने के कारण सजा से राहत पा जाते हैं. ऐसा कई मामलों में हो चुका है. दिल्ली निर्भया कांड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. इस जघन्य वारदात में नाबालिग को जितनी सख्त सजा मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली.