इंदौर: मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बच्चों की सुरक्षा मामले में प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट की डबल बेंच ने स्कूल बस को लेकर फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि एमपी मोटर व्हीकल एक्ट-1994 में स्कूल बस रजिस्ट्रेशन, संचालन व प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान किया जाए. बता दें हाई कोर्ट में 5 जनवरी 2018 को हुए बस एक्सीडेंट मामले को लेकर स्कूल बस और रिक्शा से बच्चों को स्कूल छोड़ने को लेकर एक याचिका लगी थी.
घटना के बाद हाईकोर्ट के सख्त निर्देश
इंदौर के कनाडिया थाना क्षेत्र में 5 जनवरी 2018 को एक भीषण सड़क हादसे में चार छात्रों और ड्राइवर की मौत हो गई थी. डीपीएस की बस छुट्टी के बाद बच्चों को घर छोड़ने जा रही थी. तभी बायपास पर बस अनियंत्रित हो गई थी और डिवाइडर से टकरा कर दूसरे लेन में जाकर एक ट्रक से टकरा गई थी. हादसे में चालक स्टीयरिंग में फंस गया था. घटना में चार छात्र और ड्राइवर की मौत हो गई थी. जबकि कई बच्चे घायल हो गए थे. इस घटना के बाद स्कूल बस और स्कूल से आने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लेकर विभिन्न तरह के दिशा निर्देश भी दिए गए थे. उनका कुछ दिनों तक तो सख्ती से पालन हुआ, लेकिन फिर उसी तरह की स्थिति निर्मित हो गई.
इन तमाम तरह की बातों को लेकर एडवोकेट मनीष यादव की ओर से एक याचिका इंदौर हाई कोर्ट में लगाई गई है. जिस पर हाईकोर्ट ने विभिन्न तरह के तर्कों को सुना और तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.
सीसीटीवी, फिटनेस सहित कई गाइडलाइन
एडवोकेट मनीष यादव ने बताया कि "हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि स्कूल में 12 साल से पुरानी स्कूल बसों से विद्यार्थियों का आवागमन नहीं होगा. ऑटो रिक्शा भी तीन बच्चों को ही स्कूल ले जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी निर्देश दिए हैं कि हर बस में सीसीटीवी और जीपीएस अनिवार्य हो. जिससे पेरेंट्स मोबाइल पर हर बस की स्थिति देख सके. स्कूल में हर बस के लिए एक इंचार्ज नियुक्त किया जाए. जो बस के परमिट, लाइसेंस, फिटनेस, ड्राइवर का आपराधिक रिकॉर्ड व अन्य बातों पर नजर रखे. कोई भी घटना होने पर उन्हें जिम्मेदार माना जाए.
बस में मेल-फीमेल टीचर जरूरी
साथ ही बस में मेल-फीमेल टीचर भी होना चाहिए. जो बच्चों के बस में आने-जाने को देखेगा. ड्राइवर का लगातार मेडिकल चेकअप भी किया जाए. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि आरटीओ, डीसीपी ट्रैफिक को इन गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाने के निर्देश दिए. साथ ही एमपी मोटर व्हीकल एक्ट 1994 में स्कूल बस रजिस्ट्रेशन संचालन व प्रबंधन के नियमों का भी प्रावधान किया जाए." फिलहाल जिस तरह से कोर्ट ने स्कूल बस और रिक्शा को लेकर आदेश दिया है वह सुर्खियों में बना हुआ है.
सरकार को मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के निर्देश
कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान नियम ट्रांसपोर्ट व्हीकल के हैं. प्रदेश सरकार मोटर व्हीकल एक्ट के तहत स्कूल बसों के लिए विशेष प्रावधान करे. जब तक ऐसा नहीं होता है, तो यह गाइडलाइन लागू रहेगी. उनका पालन कराने की जिम्मेदारी आरटीओ और ट्रैफिक सीएसपी, डीसीपी की होगी. साथ ही पीएस स्कूल शिक्षा विभाग संबंधित जिले के कलेक्टर, एसपी मामले में ध्यान देंगे.
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कोर्ट की गाइडलाइन में कहा गया है
- बस पीले रंग की होगी. इसमें स्कूल बस लिखा होगा.
- स्कूल बस 12 साल से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए.
- खिड़कियों पर ग्रिल लगी हो, पर्दे और फिल्म नहीं होनी चाहिए.
- ड्राइवर पांच साल का अनुभवी हो और परमानेंट लाइसेंस धारक हो.
- ड्राइवर ओवर स्पीड व ड्रिंक एंड ड्राइव मामले में एक से ज्यादा पकड़ा जाए, तो उसे न रखें.
- इमरजेंसी डोर राइट साइड हो. बस सीट के नीचे बैग रखने की जगह हो.
- बसों के पास फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए. बसों में बीमा, परमिट, पीयूसी व टैक्स की रसीद हो.