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स्वच्छ शहर में ठाठ से रह रहे थे भिखारी, प्रशासन से सुबह पहली गाड़ी से लौटाया राजस्थान - INDORE BEGGAR FREE NEW RULES

इंदौर में गुरुवार को भिखारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. राजस्थान से आए भिक्षुकों को वापस उनके घर राजस्थान भेजा गया.

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स्वच्छ शहर में भिखारियों का इंटर स्टेट कारोबार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

इंदौर: देश के तमाम शहरों में भीख मांगने का धंधा अब अंतर्राज्यीय कारोबार बन चुका है. यही वजह है कि हर साल राजस्थान के पाली समेत भरतपुर और अन्य इलाकों से सैकड़ों की तादात में भिखारी लाखों का कारोबार करने मध्य प्रदेश का रुख करते हैं. यह पहला मौका है भिक्षुक मुक्त शहर होने के कारण राजस्थान के विभिन्न ग्रामीण इलाकों से भिक्षावृत्ति करने के लिए इंदौर पहुंचे भिक्षुकों को उल्टे पैर अब अपने गांव लौटना पड़ रहा है.

भिखारियों को वापस भेजा गया राजस्थान
गुरुवार को इंदौर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए भिखारी को चिन्हित कर उन्हें राजस्थान भेजा है. शेष भिखारियों को भी जल्द अपने गांव लौटने की हिदायत दी गई है. दरअसल, देश के स्वच्छ शहर इंदौर को केंद्र सरकार द्वारा भिक्षुक मुक्त योजना में शामिल किया गया है. इसके अलावा इंदौर जिला प्रशासन ने भी शहर के सभी भिखारियों को स्वावलंबन के जरिए कोई ना कोई काम धंधा शुरू करने की पहल की थी. लेकिन अधिकांश भिक्षुक सिर्फ भीख मांगना चाहते हैं.

नए साल के पहले राजस्थान भेजे गए भिखारी (ETV Bharat)

अधिकांश भिखारी राजस्थान के रहने वाले
जब उनकी पड़ताल की गई तो पता चला अधिकांश भिखारी राजस्थान के हैं, जो पैत्रक रूप से भिक्षावृत्ति करते हैं. ऐसे भिखारियों को उज्जैन के सेवा धाम आश्रम भेजा गया, लेकिन वह वहां भी नहीं रहना चाहते. लिहाजा अब इन भिखारियों को अपने गांव लौटने की हिदायत दी गई है. गुरुवार को कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राजस्थान से आकर इंदौर में साधुओं का वेश बनाकर भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों को चिन्हित कर पुनः राजस्थान भेजने की कार्रवाई की गई.

भीख देने वालों पर कार्रवाई के निर्देश
बताया जा रहा है कि, अधिकांश भिक्षुक पाली जिले के रहने वाले हैं, जो इंदौर में सालों से भीख मांगने का काम रहे हैं. बता दें कि इंदौर जिला प्रशासन ने शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए जारी मुहिम के चलते 1 जनवरी से भीख देने पर धारा 144 के तहत कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों के तहत जो भी व्यक्ति किसी को भीख देता हुआ पाया जाएगा उसके खिलाफ धारा 144 के तहत पुलिस कार्रवाई के साथ उसकी गिरफ्तारी होगी.

कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि, ''अभी तक हमने कोई अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं किया है. पहले फेज में हमने जागरुकता अभियान चलाया है. हमारा फोकस भिखारियों को रेस्क्यू करने पर है. लेकिन 1 जनवरी से कोई भिक्षा देते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.''

इंदौर आकर किस्मत चमकाते थे भिखारी
इधर बीते दिनों भिक्षुकों के खिलाफ कार्रवाई के चलते हाल ही में एक महिला के पास 75,000 रुपये मिले थे. जबकि पूर्व में एक अन्य भिक्षुक के पास एक लाख से अधिक राशि पाई गई थी. इन भिक्षुक में ऐसे कई भिक्षुक हैं, जो आदतन भिक्षावृत्ति करते हैं. हालांकि अब इनके खिलाफ धारा 144 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं इसके पहले ही अधिकांश भिखारी अब इंदौर से वापस राजस्थान का रुख कर रहे हैं.

इंदौर: देश के तमाम शहरों में भीख मांगने का धंधा अब अंतर्राज्यीय कारोबार बन चुका है. यही वजह है कि हर साल राजस्थान के पाली समेत भरतपुर और अन्य इलाकों से सैकड़ों की तादात में भिखारी लाखों का कारोबार करने मध्य प्रदेश का रुख करते हैं. यह पहला मौका है भिक्षुक मुक्त शहर होने के कारण राजस्थान के विभिन्न ग्रामीण इलाकों से भिक्षावृत्ति करने के लिए इंदौर पहुंचे भिक्षुकों को उल्टे पैर अब अपने गांव लौटना पड़ रहा है.

भिखारियों को वापस भेजा गया राजस्थान
गुरुवार को इंदौर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए भिखारी को चिन्हित कर उन्हें राजस्थान भेजा है. शेष भिखारियों को भी जल्द अपने गांव लौटने की हिदायत दी गई है. दरअसल, देश के स्वच्छ शहर इंदौर को केंद्र सरकार द्वारा भिक्षुक मुक्त योजना में शामिल किया गया है. इसके अलावा इंदौर जिला प्रशासन ने भी शहर के सभी भिखारियों को स्वावलंबन के जरिए कोई ना कोई काम धंधा शुरू करने की पहल की थी. लेकिन अधिकांश भिक्षुक सिर्फ भीख मांगना चाहते हैं.

नए साल के पहले राजस्थान भेजे गए भिखारी (ETV Bharat)

अधिकांश भिखारी राजस्थान के रहने वाले
जब उनकी पड़ताल की गई तो पता चला अधिकांश भिखारी राजस्थान के हैं, जो पैत्रक रूप से भिक्षावृत्ति करते हैं. ऐसे भिखारियों को उज्जैन के सेवा धाम आश्रम भेजा गया, लेकिन वह वहां भी नहीं रहना चाहते. लिहाजा अब इन भिखारियों को अपने गांव लौटने की हिदायत दी गई है. गुरुवार को कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राजस्थान से आकर इंदौर में साधुओं का वेश बनाकर भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों को चिन्हित कर पुनः राजस्थान भेजने की कार्रवाई की गई.

भीख देने वालों पर कार्रवाई के निर्देश
बताया जा रहा है कि, अधिकांश भिक्षुक पाली जिले के रहने वाले हैं, जो इंदौर में सालों से भीख मांगने का काम रहे हैं. बता दें कि इंदौर जिला प्रशासन ने शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए जारी मुहिम के चलते 1 जनवरी से भीख देने पर धारा 144 के तहत कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों के तहत जो भी व्यक्ति किसी को भीख देता हुआ पाया जाएगा उसके खिलाफ धारा 144 के तहत पुलिस कार्रवाई के साथ उसकी गिरफ्तारी होगी.

कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि, ''अभी तक हमने कोई अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं किया है. पहले फेज में हमने जागरुकता अभियान चलाया है. हमारा फोकस भिखारियों को रेस्क्यू करने पर है. लेकिन 1 जनवरी से कोई भिक्षा देते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.''

इंदौर आकर किस्मत चमकाते थे भिखारी
इधर बीते दिनों भिक्षुकों के खिलाफ कार्रवाई के चलते हाल ही में एक महिला के पास 75,000 रुपये मिले थे. जबकि पूर्व में एक अन्य भिक्षुक के पास एक लाख से अधिक राशि पाई गई थी. इन भिक्षुक में ऐसे कई भिक्षुक हैं, जो आदतन भिक्षावृत्ति करते हैं. हालांकि अब इनके खिलाफ धारा 144 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं इसके पहले ही अधिकांश भिखारी अब इंदौर से वापस राजस्थान का रुख कर रहे हैं.

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