इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर में पुलिस ने लगभग 2 साल पहले 70 किलो एमडीएमए पकड़ने के साथ कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने इसे नशा कारोबारियों के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई बताते हुए जमकर वाहवाही लूटी थी लेकिन कोर्ट में पुलिस की पोल खुल गई. आपको जानकर हैरानी होगी कि पुलिस कार्रवाई में लापरवाही के कारण एक-एक कर सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है. वहीं अब हैदराबाद के भी आरोपियों को इंदौर हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. साथ ही कोर्ट ने पुलिस की इस पूरी कार्रवाई को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं.
70 करोड़ रुपए बताई थी एमडीएम ड्रग्स की कीमत
ये मामला 5 जनवरी 2021 का है. जब इंदौर पुलिस ने 70 किलो एमडीएम ड्रग्स पकड़ने की घोषणा करते हुए इंदौर में चार पहिया वाहन में सवार वेदप्रकाश व्यास निवासी हैदराबाद, मांगी वैंकटेश निवासी हैदराबाद को गिरफ्तार किया था. इन दोनों के साथ पुलिस ने इंदौर और मंदसौर के 3 आरोपियों दिनेश अग्रवाल, अक्षय अग्रवाल और चिमन अग्रवाल को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने पकड़ी गई एमडीएम की कीमत 70 करोड़ रुपए बताई थी. इसके अलावा पुलिस ने दावा किया था कि इन आरोपियों के पास से 13 लाख से ज्यादा नकदी, 2 चार पहिया वाहन और 8 मोबाइल भी जब्त किया गया.पुलिस ने इस ड्रग्स को लेकर यह भी दावा किया था कि आरोपी इस ड्रग्स को हैदराबाद से इंदौर लाकर साउथ अफ्रीका भेजने वाले थे.
एक-एक करके छूटे सभी आरोपी
वहीं एमडीएम ड्रग्स पकड़ने के बाद पुलिस ने इस पूरे मामले में जमकर सुर्खियों बटोरी थीं, लेकिन उसके बाद कोर्ट में एक-एक कर आरोपियों को जमानत मिलनी शुरू हो गई. फिर इस पूरे मामले के मुख्य आरोपी रहे वेदप्रकाश व्यास और उसके ड्राइवर ने कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी. जिसे इंदौर हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी. साथ ही पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी कई तरह के सवाल खड़े किए.
पुलिस की इस लापरवाही से छूट गए आरोपी
इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष आरोपी पक्ष के वकील ने यह तर्क रखे कि आरोपी वेद प्रकाश व्यास और उनके ड्राइवर को इंदौर पुलिस ने हैदराबाद से ही गिरफ्तार किया था लेकिन पुलिस ने अपनी कार्रवाई में उन्हें इंदौर के एक क्षेत्र से गिरफ्तार होना बताया. साथ ही इस दौरान आरोपी पक्ष के वकील ने विभिन्न तरह के इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस जिसमें कॉल डिटेल और कॉल लोकेशन सहित अन्य तरह के साक्ष्य प्रस्तुत किए.इन तमाम तरह के साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर सख्त टिप्पणी की और आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी.