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सर्वाइकल कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए जल्द मिलेगा स्वदेशी टेस्टिंग किट, Delhi AIIMS में चल रहा परीक्षण - cervical cancer testing kit

सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक चरण में पहचान के लिए स्वदेशी निर्मित टेस्टिंग किट लगभग तैयार हो गया है. एम्स दिल्ली में इसका परीक्षण चल रहा है. आने वाले कुछ महीनों में स्वदेशी निर्मित टेस्टिंग किट उपयोग के लिए तैयार होगा.

दिल्ली एम्स
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 12, 2024, 4:31 PM IST

स्वदेशी टेस्टिंग किट

नई दिल्ली: दिल्ली एम्स में एक ऐसी टेस्टिंग किट तैयार हो रही है, जिससे सर्वाइकल कैंसर का प्रथम चरण में ही पहचान कर 90% तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है. भारत सरकार ने 2030 तक सर्वाइकल कैंसर पर पूरी तरह से नियंत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस दिशा में देश की शीर्ष वैज्ञानिक संस्थाएं एवं शीर्ष अस्पताल कार्य कर रहे हैं.

सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक चरण में पहचान के लिए स्वदेशी निर्मित टेस्टिंग किट लगभग तैयार हो गया है. इसका परीक्षण चल रहा है. दिल्ली एम्स तीन प्रशिक्षण स्थलों में से एक है, जहां इसकी एफीकेसी को लेकर परीक्षण चल रहा है. आने वाले कुछ महीनों में स्वदेशी निर्मित टेस्टिंग किट उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा.

प्रोजेक्ट हेड एवं एम्स के गाइनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ नीरज बाटला ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है, अगर कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में इसका पता चल जाए. उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) का लगातार संक्रमण सर्वाइकल कैंसर का आवश्यक कारण पाया गया है. इसलिए डब्ल्यूएचओ उन्मूलन रणनीति में 35 और 45 वर्ष की आयु में एचपीवी परीक्षण की सिफारिश करता है. वर्तमान में एचपीवी परीक्षण महंगे हैं और विस्तृत प्रयोगशाला व्यवस्था की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ की पूर्व योग्यता प्राप्त करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मान्य किया जाना चाहिए.

तीन बड़े लैब में चल रहा परीक्षण: डॉ बाटला ने बताया कि इसके लिए विस्तृत प्रयोगशाला सेटअप की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ की पूर्व अर्हता प्राप्त करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मान्य नहीं किया जा सकता है. इस दृष्टिकोण के साथ हम डब्लूएचओ की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च इन कैंसर (आईएआरसी) के सहयोग से डीबीटी- बीआईआरएसी ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया के सहयोग से एक मल्टी स्टडी सेंटर शुरू कर रहे हैं. परीक्षण एम्स, नई दिल्ली, एनआईसीपीआर नोएडा और एनआईआरआरसीएच मुंबई में किया जाएगा.

भारत में प्रति वर्ष 127,526 सर्वाइकल कैंसर के नए मामले: डॉ बाटला ने बताया कि भारत जैसे निम्न-मध्यम आय वाले देश बीमारी के बोझ में लगभग 80% योगदान करते हैं. भारत में प्रति वर्ष लगभग 127,526 नए मामले सामने आते हैं और 79,906 मौतें होती है. इसे ध्यान में रखते हुए, डब्लूएचओ ने सर्वाइकल कैंसर मुक्त विश्व की दृष्टि से "कॉल फॉर एलिमिनेशन ऑफ सर्वाइकल कैंसर" लॉन्च किया, जिसमें भारत भी एक मुख्य पात्र है. 2030 तक 70% महिलाओं की जांच और 90% लड़कियों का टीकाकरण करने का लक्ष्य हैं.

वहीं, दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है. भारत में स्तन कैंसर के बाद यह महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है. दुनिया भर में हर दो मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर से मौत हो जाती है. ग्लोबोकैन 2022 के अनुसार, दुनिया भर में अनुमानित 663,301 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता चला और इनमें से लगभग 348,874 महिलाओं की इस बीमारी से मृत्यु हो गई.

स्वदेशी टेस्टिंग किट

नई दिल्ली: दिल्ली एम्स में एक ऐसी टेस्टिंग किट तैयार हो रही है, जिससे सर्वाइकल कैंसर का प्रथम चरण में ही पहचान कर 90% तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है. भारत सरकार ने 2030 तक सर्वाइकल कैंसर पर पूरी तरह से नियंत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस दिशा में देश की शीर्ष वैज्ञानिक संस्थाएं एवं शीर्ष अस्पताल कार्य कर रहे हैं.

सर्वाइकल कैंसर की प्राथमिक चरण में पहचान के लिए स्वदेशी निर्मित टेस्टिंग किट लगभग तैयार हो गया है. इसका परीक्षण चल रहा है. दिल्ली एम्स तीन प्रशिक्षण स्थलों में से एक है, जहां इसकी एफीकेसी को लेकर परीक्षण चल रहा है. आने वाले कुछ महीनों में स्वदेशी निर्मित टेस्टिंग किट उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा.

प्रोजेक्ट हेड एवं एम्स के गाइनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ नीरज बाटला ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है, अगर कैंसर की प्रारंभिक अवस्था में इसका पता चल जाए. उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) का लगातार संक्रमण सर्वाइकल कैंसर का आवश्यक कारण पाया गया है. इसलिए डब्ल्यूएचओ उन्मूलन रणनीति में 35 और 45 वर्ष की आयु में एचपीवी परीक्षण की सिफारिश करता है. वर्तमान में एचपीवी परीक्षण महंगे हैं और विस्तृत प्रयोगशाला व्यवस्था की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ की पूर्व योग्यता प्राप्त करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मान्य किया जाना चाहिए.

तीन बड़े लैब में चल रहा परीक्षण: डॉ बाटला ने बताया कि इसके लिए विस्तृत प्रयोगशाला सेटअप की आवश्यकता है. डब्ल्यूएचओ की पूर्व अर्हता प्राप्त करने के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मान्य नहीं किया जा सकता है. इस दृष्टिकोण के साथ हम डब्लूएचओ की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च इन कैंसर (आईएआरसी) के सहयोग से डीबीटी- बीआईआरएसी ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया के सहयोग से एक मल्टी स्टडी सेंटर शुरू कर रहे हैं. परीक्षण एम्स, नई दिल्ली, एनआईसीपीआर नोएडा और एनआईआरआरसीएच मुंबई में किया जाएगा.

भारत में प्रति वर्ष 127,526 सर्वाइकल कैंसर के नए मामले: डॉ बाटला ने बताया कि भारत जैसे निम्न-मध्यम आय वाले देश बीमारी के बोझ में लगभग 80% योगदान करते हैं. भारत में प्रति वर्ष लगभग 127,526 नए मामले सामने आते हैं और 79,906 मौतें होती है. इसे ध्यान में रखते हुए, डब्लूएचओ ने सर्वाइकल कैंसर मुक्त विश्व की दृष्टि से "कॉल फॉर एलिमिनेशन ऑफ सर्वाइकल कैंसर" लॉन्च किया, जिसमें भारत भी एक मुख्य पात्र है. 2030 तक 70% महिलाओं की जांच और 90% लड़कियों का टीकाकरण करने का लक्ष्य हैं.

वहीं, दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है. भारत में स्तन कैंसर के बाद यह महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है. दुनिया भर में हर दो मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर से मौत हो जाती है. ग्लोबोकैन 2022 के अनुसार, दुनिया भर में अनुमानित 663,301 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता चला और इनमें से लगभग 348,874 महिलाओं की इस बीमारी से मृत्यु हो गई.

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