जांजगीर चांपा: 24वीं राज्य स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन 1 सितंबर से 4 सिंतबर तक किया गया. इसमें प्रदेशभर के बच्चों ने अलग अलग खेल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. इस दौरान छोटे बड़े हर उम्र के बच्चों ने मलखम्ब में हिस्सा लिया. इन खिलाड़ियों में लड़के और लड़कियां दोनों शामिल थी.
इन चार संभाग से आए खिलाड़ी: प्रतियोगिता में प्रदेश के चारों संभाग बस्तर, सरगुजा, रायपुर, बिलासपुर से खिलाड़ी शामिल हुए. चार विभिन्न खेलों का खिलाड़ियों ने प्रदर्शन किया. हालांकि इन खेलों में मलखम्ब आकर्षण का केन्द्र रहा. मलखंभ में प्रदर्शन करने के लिए 8 साल के बच्चे के साथ बड़े बच्चे भी शामिल हुए. ये बच्चे लकड़ी के चिकने खम्भे और रोप में अपनी कला का प्रदर्शन करते नजर आए.
"मुझे मलखम्ब खेलते 3 साल हो चुका है. मैंने नारायणपुर में आयोजित प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल पाया है. मैं जिला कलेक्टर को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमें आगे बढ़ने में मदद की. मेरा लक्ष्य नेशनल में जीत हासिल करना है." -समीर दिनकर, मलखम्ब खिलाड़ी
"मैं पिछले दो साल से मलखम्ब खेल रही हूं. मैंने कोंडागांव में आयोजित प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया था. हमने यहां अपना बेस्ट देने की कोशिश की है." -निभा निर्मलकर, मलखम्ब खिलाड़ी
छोटा पैक बड़ा धमाका: इस प्रतियोगिता में तीसरी कक्षा का एक छात्र शामिल हुआ. उसे देख ऐसा महसूस हो रहा था, मानों खंभे से उसने दोस्ती कर ली है. खम्भे के ऊपर चढ़ कर अपने लचीले शरीर से योग की अलग अलग मुद्राओं को करने वाले इस खिलाड़ी ने चार साल की उम्र में ही मलखम्ब से नाता जोड़ लिया था. देश के अलग-अलग हिस्से में अपने खेल का प्रदर्शन कर सिल्वर मैडल भी हासिल कर लिया है. वहीं, अबूझमाड़ से इंडिया गॉट टेलेंट सीजन 10 के विनर भी जांजगीर की प्रतियोगिता में शामिल हुए और अपने खेल के प्रदर्शन से सबका मन मोह लिया.
"मैं पिछले 6 सालों से मलखम्ब खेल रहा हूं. मैंने नेशनल भी खेला है. उसमें गोल्ड मेडल मुझे मिला था. जांजगीर जिला में पहली बार ये प्रतियोगिता हुई है. हम चाहते हैं कि बार बार यहां ऐसी प्रतियोगिता हो." -अखिलेश कुमार, मलखम्ब खिलाड़ी
"मैं सात बार नेशनल में खेल चुकी हूं. जिसमें एक गोल्ड मेडल भी मैंने जीता है. मैं पिछले 5 सालों से मलखम्ब खेल रही हूं." -ज्योति सिदार, मलखम्ब खिलाड़ी
जानिए क्या है मलखम्ब: मलखम्ब यानी खम्भे के ऊपर पहलवानी दिखाना. कहने में भले ही आसान लगता है, लेकिन जब रस्सी और लकड़ी के ऊपर नन्हें खिलाड़ी अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं, तो देखने वाले दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. इस खेल में बच्चे लकड़ी के चिकने खंभे पर अलग अलग मुद्राओं में योग करते हैं. इन बच्चों में कई बच्चे नेशनल खेल चुके हैं तो कुछ बच्चों का लक्ष्य नेशनल में गोल्ड जीतना है. ऐसे में ये बच्चे प्रशासन से लगातार ऐसी प्रतियोगिता कराने की मांग कर रहे हैं.