भीलवाड़ा : आज के दौर में तनावमुक्त जीवन के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी अत्यंत आवश्यक है. भारतीय रेलवे क्रिकेट टीम के कोच शैलेंद्र कुमार गहलोत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि "खेल में मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है, जितनी मेहनत करेंगे, ऊपर वाला उतना ही आपको फल देगा." इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय रेलवे क्रिकेट टीम का 5 जनवरी से कपूरथला में 15 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जाएगा, जिसमें खिलाड़ी क्रिकेट के कौशल को निखारेंगे.
खेल के प्रति आकर्षण और रेलवे में नौकरी का सफर : शैलेंद्र कुमार गहलोत ने अपनी क्रिकेट यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि बचपन से ही उनका क्रिकेट खेल के प्रति गहरा आकर्षण था. उन्होंने बताया, "बचपन में ही पढ़ाई के साथ क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था और मेरे मन में ख्वाब था कि मैं भारत के लिए क्रिकेट खेलूं. हालांकि, मुझे भारतीय क्रिकेट टीम में जगह नहीं मिल पाई, लेकिन आज जो भी उपलब्धियां हैं, वो क्रिकेट की वजह से ही हैं. मुझे स्पोर्ट्स कोटे के तहत रेलवे में नौकरी मिली और मैं पिछले 20 वर्षों से रेलवे में कार्यरत हूं."
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गहलोत ने कहा कि उन्होंने रेलवे और राजस्थान के लिए कई क्रिकेट प्रतियोगिताओं में भाग लिया और बीसीसीआई से लेवल 2 कोचिंग की ट्रेनिंग ली. वह पूरे देश की किसी भी राज्य टीम के कोच बनने की पात्रता रखते हैं. इसी कड़ी में उन्होंने बीसीसीआई के माध्यम से अपना रिज़्यूम भारतीय रेलवे को भेजा, जिसके बाद उन्हें भारतीय रेलवे क्रिकेट टीम का कोच बनने का अवसर मिला.
कपूरथला कैंप और रेलवे क्रिकेट टीम की स्थिति : गहलोत ने यह भी जानकारी दी कि भारतीय रेलवे क्रिकेट टीम की डोमेस्टिक क्रिकेट में स्थिति बेहतर हो रही है और वर्तमान में उनकी टीम तीसरे स्थान पर है. 6 जनवरी से कपूरथला में 15 दिवसीय कैंप आयोजित होगा, जिसमें 30 खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस कैंप में केवल 15 खिलाड़ी ही भारतीय रेलवे क्रिकेट टीम का हिस्सा बनेंगे.
क्रिकेट का बढ़ता रुझान : क्रिकेट के प्रति देश में बढ़ते रुझान के सवाल पर गहलोत ने कहा, "क्रिकेट में रुझान इसलिए बढ़ा है, क्योंकि जब भी भारत किसी खेल में जीतता है, तो जनता का ध्यान उस खेल की ओर आकर्षित होता है. 1983 के विश्व कप के बाद क्रिकेट में रुचि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. हालांकि, आज के दौर में क्रिकेट में ग्लैमर और पैसे की भी बहुत बड़ी भूमिका है. आईपीएल ने इस खेल को और अधिक लोकप्रिय बना दिया है."
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युवाओं के लिए प्रेरणा : जब गहलोत से युवाओं के लिए संदेश पूछा गया तो उन्होंने कहा, "आजकल की कहावत बदल चुकी है. पहले लोग कहते थे कि 'पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे- कूदोगे तो होगे खराब', लेकिन अब लोग कहते हैं, 'पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे- कूदोगे तो होगे लाजवाब.' राजस्थान में सरकार ने भर्तियों में 2 प्रतिशत खेल कोटा आरक्षित किया है और मैं मानता हूं कि सरकार खिलाड़ियों के लिए अच्छा काम कर रही है."
ग्रामीण इलाकों में खेल का बढ़ता रुझान : गहलोत ने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के प्रति रुझान बढ़ा है. उन्होंने प्रतापगढ़ की क्रिकेट खिलाड़ी सुशीला मीणा का उदाहरण देते हुए कहा, "ग्रामीण क्षेत्रों के युवा खिलाड़ियों में शारीरिक क्षमता बेहतर होती है, क्योंकि उनका खानपान शुद्ध होता है. सुशीला मीणा का क्रिकेट एक्शन बहुत अच्छा है और अगर वह इसी तरह मेहनत करती रहें और सरकार उन्हें प्रोत्साहित करे, तो वह भविष्य में भारत का नाम रोशन कर सकती हैं." गहलोत ने अपने अनुभव साझा करते हुए यह संदेश दिया कि खेल में सफलता पाने के लिए निरंतर मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है.