जयपुर: इंडियन ऑयल फाउंडेशन देशभर में शिक्षा, चिकित्सा के साथ ही हेरिटेज विरासत को पुनर्जीवित करने का काम कर रही है. फाउंडेशन का मानना है कि भारत विविधता से भरा हुआ देश है. विरासत और स्मारक आज भी हमारे गौरवशाली अतीत के प्रमाण के रूप में खड़े हुए हैं. ऐसे में इन गौरवशाली स्मारकों और विरासतों को एक बार फिर से पुनर्जीवित करने का प्रयास फाउंडेशन की ओर से किया जा रहा है. इंडियन ऑयल कारपोरेशन के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर डॉ आशुतोष पंत का कहना है कि फाउंडेशन अपने सीएसआर फंड के जरिए स्वास्थ्य, शिक्षा और विरासतों को सहेजने का काम कर रही है. राजस्थान में इसकी शुरूआत बूंदी स्थित तारागढ़ के किले और रानी की बावड़ी से हुई है.
पंत ने बताया कि फाउंडेशन की ओर से उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मंदिर, मुंबई महाराष्ट्र में स्थित कन्हेरी गुफाओं के साथ-साथ खजुराहो मंदिर के समूह, वाराणसी के नमो घाट को को नया रूप दिया है. इसके तहत राजस्थान में भी विरासत और स्मारकों को एक नया रूप देने के लिए फाउंडेशन कम कर रहा है.
चिकित्सा क्षेत्र में भी काम: आशुतोष पंत का कहना है कि फाउंडेशन के सीएसआर फंड का बजट तकरीबन 600 करोड़ रुपए का है और करीब 50 फीसदी से अधिक बजट चिकित्सा क्षेत्र में खर्च किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में टीबी मुक्त भारत के लिए फाउंडेशन लगातार काम कर रहा है. राजस्थान में भी जल्द ही तकरीबन 28 करोड़ से अधिक का फंड टीबी के इलाज को लेकर फाउंडेशन खर्च करेगा. इसके अलावा कैंसर इंस्टिट्यूट के लिए इलाज से जुड़ी मशीनरी से जुड़ा फंड भी फाउंडेशन की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा है. पंत ने बताया कि उड़ीसा में सिकल सेल एनीमिया मुक्त देश से जुड़ा एक कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है जिसके तहत फाउंडेशन ऐसे लोगों को आईडेंटिफाई करके इलाज कर रहा है जो सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित है.
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कूनो में चीते लाए गए: आशुतोष पंत ने यह बताया कि हाल ही में कूनो अभ्यारण में विदेश से लाकर चीते छोड़े गए थे. यह प्रोजेक्ट भी इंडियन ऑयल फाउंडेशन से जुड़ा हुआ था. फाउंडेशन द्वारा ही चीते लाए गए थे और अब इसका विस्तार भी किया जा रहा है. इसके अलावा फाउंडेशन की ओर से पूरे देश में ग्रीन रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर भी काम किया जा रहा है.