भोपाल: देश में चुनाव के दौरान भले ही ईवीएम को लेकर सवाल उठते रहे हों, लेकिन अब ऑनलाइन वोटिंग को लेकर तैयारियां की जा रही है. इस दिशा में देश में पहली बार मध्य प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसका प्रयोग किया गया है. भोपाल के बैरसिया तहसील के एक पंचायत के एक बूथ पर पेपरलेस वोटिंग कराई गई, जो पूरी तरह सफल रही. राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव अभिषेक सिंह का कहना है कि 'चुनाव प्रक्रिया को एररलेस और पेपरलेस करने की दिशा में ऑनलाइन वोटिंग का यह पहला प्रयोग है.
एक क्लिक पर मिली जानकारी
भोपाल के बैरसिया स्थित रतुआ रतनपुर में पूर्व सरपंच जय सिंह जाट की मौत के बाद खाली हुई सीट पर चुनाव कराए गए. इस पंचायत में 3 बूथ हैं, जिसमें से एक पर पेपरलेस वोटिंग कराई गई. इसमें 26 फार्मेट में से 2 फॉर्मेट को ऑनलाइन किया गया. बूथ एजेंट को जो मतपत्र लेखा दिया जाता है, उसे ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया. पेपरलेस वोटिंग के लिए टीवी स्क्रीन, ई सिग्नेचर की व्यवस्था कराई गई. पेपरलेस वोटिंग से यह फायदा हुआ कि एक क्लिक पर कुल वोटिंग का प्रतिशत मिल गया.
पेपरलेस वोटिंग करने वाले मतदाताओं के लिए यह नया प्रयोग था, लेकिन वे भी इससे उत्साहित नजर आए. राज्य निर्वाचन आयोग सचिव अभिषेक सिंह ने बताया कि पेपरलेस वोटिंग में मतदाताओं की पहचान और उनके द्वारा मत देने के रिकॉर्ड के रूप में हस्ताक्षर और अंगूठा लगाने की प्रक्रिया इलेक्ट्रानिकल किया गया. मतदान समाप्त होने के बाद अभ्यर्थियों और मतदाता एजेंट को मत-पत्र का पूरा लेखा जोखा सीधे उनके ई-मेल आईडी पर भेज दिया गया.
अगले चुनाव में 100 फीसदी ऑनलाइन होगी वोटिंग
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव अभिषेक सिंह ने बताया कि 'इलेक्शन में वोटिंग के दो पार्ट होते हैं. पहला ईवीएम जिसमें वोटिंग होती है और दूसरा पार्ट ईवीएम में वोट डाले जाने की पूरी प्रक्रिया होती है. इसमें चुनाव ड्यूटी में लगने वाले कर्मचारियों की ड्यूटी से लेकर चुनाव में भरे जाने वाले तमाम तरह के 26 प्रपत्र. इस दूसरे पार्ट को ही ऑनलाइन किया जा रहा है. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि चुनाव में कर्मचारियों की संख्या कम होगी, साथ ही चुनाव की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी.
तीन माह बाद कुछ और पंचायतों में चुनाव होने वाले हैं, इनमें सभी 26 प्रपत्रों को ऑनलाइन किया जाएगा. इसके बाद रियल टाइम में वोटिंग परसेंटेज की जानकारी मिलेगी, साथ ही फर्जी वोटिंग की आशंकाएं खत्म होंगी, क्योंकि बायोमेट्रिक के माध्यम से ही पहचान स्थापित होने के बाद वोटिंग कराई जाएगी.