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माह-ए- रमजान: युवाओं की डिजिटल इबादत, दुआ से लेकर तस्बीह तक मोबाइल पर

बदलते दौर में खुदा की इबादत का भी तरीका भी थोड़ा बदल गया है. ऐसे कई ऐप आ गए हैं, जो रोजे, नमाज, तरावीह करने में मददगार साबित हो रहे हैं. रमजान के इस मुकद्दस महीने में इनका उपयोग काफी हो रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 16, 2024, 12:03 PM IST

लखनऊ: बदलते दौर में खुदा की इबादत का भी तरीका भी थोड़ा बदल गया है. खुदा की इबादत डिजिटल तरीके से हो रही है. ऐसे कई ऐप आ गए हैं, जो रोजे, नमाज, तरावीह करने में मददगार साबित हो रहे हैं. रमजान के इस मुकद्दस महीने में इनका उपयोग काफी हो रहा है. टेक्निकल फ्रेंडली युवा इसकी ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं. मोबाइल से कुरान शरीफ की तिलावत के साथ कई दुआएं भी मोबाइल एप से पढ़ रहे हैं.

इन मोबाइल एप पर रोजे का दिन, नमाज का समय, अजान की आवाज, आने वाले विभिन्न इस्लामिक त्योहार, हिजरी संवत और महत्वपूर्ण तिथियों को बताने वाला कैलेंडर भी मौजूद है. मोबाइल ऐप पर रमजान और ईद की मुबारकबाद देने वाले विभिन्न तरह के ग्रीटिंग कार्ड भी हैं. जिसे दोस्तों और रिश्तेदारों को भेजा जा सकता है. मुफ्ती इरफान मियां ने बताया कि खुदा की इबादत में इस तरह के एप मददगार बन रहे हैं. एप पर ही कुरान उपलब्ध है. युवाओं को खुदा की इबादत के लिए ये तालीम रास आ रही है.

मार्केट में डिजिटल तस्बीह

मुस्लिम समाज में दिन में पांच वक्त की नमाज के अलावा तस्बीह पढ़कर भी अल्लाह की इबादत की जाती है. इसके लिए उंगलियों पर मोतियों की संख्या गिनकर अल्लाह का नाम लिया जाता है. अब मोतियों की तस्बीह की जगह डिजिटल तस्बीह बाजार नें उपलब्ध है. इसमें लगे बटन को दबाकर ऑनलाइन तस्बीह पढ़ी जाती है.

युवाओं से बातचीत

-डालीगंज के जवाहर नगर में रहने वाले मो. अरशद बताते प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. वह रमजान में इबादत के लिए मोबाइल एप का इस्तमाल करते हैं. कहते हैं, काम के साथ मोबाइल से कुरान शरीफ की इबादत करते हैं. मोबाइल एप से कुरान की कई दुआएं और हदीस की बातें पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं.

-बालागंज निवासी मो. शादाब बताते हैं कि मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की जॉब में समय की दिक्कत होती है. इसलिए साथ में डिजिटल तस्बीह रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. इसी तरह मोबाइल में भी कई दुआएं और आयात पढ़कर अल्लाह का जिक्र करते रहते हैं.

- लालकुआं निवासी मो. अफजल टेंट का बिजनेस करते हैं. वे भी काम की वजह से घर से बाहर रहते हैं. बताते हैं, डिजिटल युग में इबादत करने में मोबाइल एप और गैजेट्स काफी मददगार साबित हो रहे हैं. इसे कहीं भी आप अल्लाह की इबादत कर सकते हैं.

- सिटी स्टेशन में रहने वाले एडवोकेट तारिक सईद बताते है कि रमजान में काम के साथ इबादत का भी पूरा खैयाल रखता हूं. तकनीक की वजह से घर से बाहर होने पर भी अल्लाह की इबादत कर रहा हूं. कोर्ट में जब भी समय मिलता है, मोबाइल में दुआएं और तस्बीह पढ़ता हूं.

यह भी पढ़ें : 183 साल पुरानी नवाबी रसोई: रमजान में फिर से शुरू हुई शाही रसोई, 500 से अधिक गरीब परिवारों को मिलता है फ्री भोजन

यह भी पढ़ें : जानिए इस्लामिक पाक महीने रमजान से जुड़ी कुछ खास बातें

लखनऊ: बदलते दौर में खुदा की इबादत का भी तरीका भी थोड़ा बदल गया है. खुदा की इबादत डिजिटल तरीके से हो रही है. ऐसे कई ऐप आ गए हैं, जो रोजे, नमाज, तरावीह करने में मददगार साबित हो रहे हैं. रमजान के इस मुकद्दस महीने में इनका उपयोग काफी हो रहा है. टेक्निकल फ्रेंडली युवा इसकी ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं. मोबाइल से कुरान शरीफ की तिलावत के साथ कई दुआएं भी मोबाइल एप से पढ़ रहे हैं.

इन मोबाइल एप पर रोजे का दिन, नमाज का समय, अजान की आवाज, आने वाले विभिन्न इस्लामिक त्योहार, हिजरी संवत और महत्वपूर्ण तिथियों को बताने वाला कैलेंडर भी मौजूद है. मोबाइल ऐप पर रमजान और ईद की मुबारकबाद देने वाले विभिन्न तरह के ग्रीटिंग कार्ड भी हैं. जिसे दोस्तों और रिश्तेदारों को भेजा जा सकता है. मुफ्ती इरफान मियां ने बताया कि खुदा की इबादत में इस तरह के एप मददगार बन रहे हैं. एप पर ही कुरान उपलब्ध है. युवाओं को खुदा की इबादत के लिए ये तालीम रास आ रही है.

मार्केट में डिजिटल तस्बीह

मुस्लिम समाज में दिन में पांच वक्त की नमाज के अलावा तस्बीह पढ़कर भी अल्लाह की इबादत की जाती है. इसके लिए उंगलियों पर मोतियों की संख्या गिनकर अल्लाह का नाम लिया जाता है. अब मोतियों की तस्बीह की जगह डिजिटल तस्बीह बाजार नें उपलब्ध है. इसमें लगे बटन को दबाकर ऑनलाइन तस्बीह पढ़ी जाती है.

युवाओं से बातचीत

-डालीगंज के जवाहर नगर में रहने वाले मो. अरशद बताते प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. वह रमजान में इबादत के लिए मोबाइल एप का इस्तमाल करते हैं. कहते हैं, काम के साथ मोबाइल से कुरान शरीफ की इबादत करते हैं. मोबाइल एप से कुरान की कई दुआएं और हदीस की बातें पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं.

-बालागंज निवासी मो. शादाब बताते हैं कि मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की जॉब में समय की दिक्कत होती है. इसलिए साथ में डिजिटल तस्बीह रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. इसी तरह मोबाइल में भी कई दुआएं और आयात पढ़कर अल्लाह का जिक्र करते रहते हैं.

- लालकुआं निवासी मो. अफजल टेंट का बिजनेस करते हैं. वे भी काम की वजह से घर से बाहर रहते हैं. बताते हैं, डिजिटल युग में इबादत करने में मोबाइल एप और गैजेट्स काफी मददगार साबित हो रहे हैं. इसे कहीं भी आप अल्लाह की इबादत कर सकते हैं.

- सिटी स्टेशन में रहने वाले एडवोकेट तारिक सईद बताते है कि रमजान में काम के साथ इबादत का भी पूरा खैयाल रखता हूं. तकनीक की वजह से घर से बाहर होने पर भी अल्लाह की इबादत कर रहा हूं. कोर्ट में जब भी समय मिलता है, मोबाइल में दुआएं और तस्बीह पढ़ता हूं.

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