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गोरखपुर में 14 साल बाद मिला 600 किसानों को उनका हक, राजस्व परिषद के चेयरमैन ने सुलझाया विवाद

लेखपाल की एक गलती का खामियाजा भुगत रहे सैकड़ों किसानों को अब जगी मुआवजे की आस

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

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राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार (Photo Credit; ETV Bharat)

गोरखपुर: यूपी के गोरखपुर के धस्का गांव के 600 किसानों की जमीन 14 साल पहले लेखपाल की एक गलती से ढाई गुना कम हो गई. जिसके चलते उनको मुआवजा भी नहीं मिल पा रहा था. लेकिन राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार की पहल पर अब जाकर उनकी समस्याओं का समाधान हो पाया है. जिसके बाद मुआवजा मिलने की आस भी जग गई है.

दरअसल, 14 साल पहले गांव के तत्कालीन लेखपाल लव कुमार सिंह ने बिना किसी संशोधन और विभागीय आदेश के नक्शा संशोधन कर सभी काश्तकारों के जमीन का रकबा कागज में ढाई गुना कम कर दिया था. वहीं फसली वर्ष 1408 से 1413 तक जो रकबा खतौनी में दर्ज था उससे कम रकबा मौजूदा दौर के खतौनी में दर्ज कर दिया. इस गलती के कारण उन्हें सिंचाई विभाग से मुआवजा नहीं मिल पा रहा.

ग्रामीण आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि, धस्का गांव के करीब 600 लोग पिछले 14 साल से अपनी जमीन पाने के लिये कड़ी मशक्कत कर रहे थे. उन्हें अपने जमीन का वास्तविक नक्शा और मालिकाना हक भी नहीं मिल पा रहा था. तहसील प्रशासन से लेकर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों तक उन्होंने फरियाद की. मामले में लाभान्वित सिर्फ एक वादी हुआ और बाकी किसान की सुध नहीं ली गई.

आशुतोष पांडेय का कहना है कि, काश्तकार इस मामले में पूर्व एसडीएम सदर नेहा बंधु से मिले थे. उनकी तरफ से जांच करने का आश्वासन दिया गया था. उन्होंने कहा कि एक वाद दाखिल कर दीजिए, सभी को इस आदेश में समाहित कर दिया जाएगा. लेकिन, उनके तबादले के बाद वर्तमान एसडीएम सदर को भी मामले की जानकारी दी गई, जिसके बाद समिति बनाकर जांच कराई गई जिसमें राजस्व विभाग की गलती मिली. फिर भी काश्तकारों को उनका हक नहीं मिल पाया था.

प्रदेश के राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार बुधवार को जब गोरखपुर के दौरे पर रहे तो किसानों ने उनके सामने अपनी समस्याओं को रखा. काश्तकार आशुतोष पांडेका कहना है कि उनके गांव में सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड की ओर से बांध बनाया जाना है. लेकिन अंश निर्धारण नहीं होने से यह मामला अधर में लटका है. तहसील प्रशासन की ओर से बनाई गई समिति की जांच रिपोर्ट में भी यह गलती सामने आयी है, लेकिन समाधान नहीं निकला. लेकिन चेयरमैन के हस्तक्षेप से कागजों में बुधवार को ही सुधार हो गया. तहसील प्रशासन कागजों को दुरुस्त करने में जुटा है.

यह भी पढ़ें:गोरखपुर के कैंट स्टेशन पर मिलिट्री स्पेशल ट्रेन पटरी से उतरी, 4 घंटे में बहाल हुआ संचालन

गोरखपुर: यूपी के गोरखपुर के धस्का गांव के 600 किसानों की जमीन 14 साल पहले लेखपाल की एक गलती से ढाई गुना कम हो गई. जिसके चलते उनको मुआवजा भी नहीं मिल पा रहा था. लेकिन राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार की पहल पर अब जाकर उनकी समस्याओं का समाधान हो पाया है. जिसके बाद मुआवजा मिलने की आस भी जग गई है.

दरअसल, 14 साल पहले गांव के तत्कालीन लेखपाल लव कुमार सिंह ने बिना किसी संशोधन और विभागीय आदेश के नक्शा संशोधन कर सभी काश्तकारों के जमीन का रकबा कागज में ढाई गुना कम कर दिया था. वहीं फसली वर्ष 1408 से 1413 तक जो रकबा खतौनी में दर्ज था उससे कम रकबा मौजूदा दौर के खतौनी में दर्ज कर दिया. इस गलती के कारण उन्हें सिंचाई विभाग से मुआवजा नहीं मिल पा रहा.

ग्रामीण आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि, धस्का गांव के करीब 600 लोग पिछले 14 साल से अपनी जमीन पाने के लिये कड़ी मशक्कत कर रहे थे. उन्हें अपने जमीन का वास्तविक नक्शा और मालिकाना हक भी नहीं मिल पा रहा था. तहसील प्रशासन से लेकर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों तक उन्होंने फरियाद की. मामले में लाभान्वित सिर्फ एक वादी हुआ और बाकी किसान की सुध नहीं ली गई.

आशुतोष पांडेय का कहना है कि, काश्तकार इस मामले में पूर्व एसडीएम सदर नेहा बंधु से मिले थे. उनकी तरफ से जांच करने का आश्वासन दिया गया था. उन्होंने कहा कि एक वाद दाखिल कर दीजिए, सभी को इस आदेश में समाहित कर दिया जाएगा. लेकिन, उनके तबादले के बाद वर्तमान एसडीएम सदर को भी मामले की जानकारी दी गई, जिसके बाद समिति बनाकर जांच कराई गई जिसमें राजस्व विभाग की गलती मिली. फिर भी काश्तकारों को उनका हक नहीं मिल पाया था.

प्रदेश के राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार बुधवार को जब गोरखपुर के दौरे पर रहे तो किसानों ने उनके सामने अपनी समस्याओं को रखा. काश्तकार आशुतोष पांडेका कहना है कि उनके गांव में सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड की ओर से बांध बनाया जाना है. लेकिन अंश निर्धारण नहीं होने से यह मामला अधर में लटका है. तहसील प्रशासन की ओर से बनाई गई समिति की जांच रिपोर्ट में भी यह गलती सामने आयी है, लेकिन समाधान नहीं निकला. लेकिन चेयरमैन के हस्तक्षेप से कागजों में बुधवार को ही सुधार हो गया. तहसील प्रशासन कागजों को दुरुस्त करने में जुटा है.

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