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बेटा नहीं था तो 4 बेटियों ने दिया मां की अर्थी को कंधा, खुद ही किया अंतिम संस्कार - DAUGHTERS PERFORMED LAST RITES

हिसार के डोभी गांव में एक परिवार की चार बेटियों ने रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़कर अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया है.

DAUGHTERS PERFORMED LAST RITES
बेटियों ने दिया मां को कंधा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 3, 2024, 8:43 PM IST

हिसार: जिले के गांव डोभी में एक परिवार की चार बेटियों ने रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़कर एक मिसाल पेश की है. गांव में चार बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया है. इस अद्भुत दृश्य ने उन परंपराओं को चुनौती दी, जो हमेशा यह मानती रही हैं कि अंतिम संस्कार में केवल बेटे ही हिस्सा ले सकते हैं.

समाज के लिए एक प्रेरणा बना बेटियों का यह कदम : यह घटना डोभी गांव में हुई, जहां दिवंगत नेकीराम सुथार की 73 वर्षीय पत्नी हरकोरी देवी का निधन हो गया था. उनके कोई पुत्र नहीं था, बल्कि आठ बेटियां थी. ऐसे में बेटियों ने पुरानी मान्यताओं को दरकिनार करते हुए मां को कंधा दिया. और समाज की रूढ़ीवादी सोच को खत्म करने का संदेश फैलाया. यह कदम न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया है, क्योंकि इसने पुरुषप्रधान सोच को चुनौती दी है. मां की मौत होने पर बेटियों ने न केवल खुद को संभाला, बल्कि मृत्यु के बाद सभी रस्मों को निभाया. समाज, गांव और आसपास के क्षेत्र को इन बेटियों ने बहुत बड़ा संदेश दिया है.

सरपंच ने कहा- बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं : बेटियों की ओर से कंधा देने वाली इस पहल की इलाके में काफी चर्चा हो रही है. इसे महिलाओं के अधिकारों के प्रति सकारात्मक पहल के रूप में देखा गया है. गांव डोभी के सरपंच आजाद सिंह हिन्दुस्तानी ने भी बेटियों की सराहना की. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बेटा व बेटी में कोई फर्क नहीं है और हमें ऐसी रूढ़ीवादी बेड़ियों से बाहर निकलना चाहिए. उन्होंने बेटियों के इस कदम को ग्राम पंचायत डोभी की ओर से सलाम किया.

इसे भी पढ़ें : अनोखी पहल : साइकिल से ऑफिस पहुंचे डीसी, बोले- प्रदूषण पर लगाम कसने का यही तरीका

हिसार: जिले के गांव डोभी में एक परिवार की चार बेटियों ने रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़कर एक मिसाल पेश की है. गांव में चार बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया है. इस अद्भुत दृश्य ने उन परंपराओं को चुनौती दी, जो हमेशा यह मानती रही हैं कि अंतिम संस्कार में केवल बेटे ही हिस्सा ले सकते हैं.

समाज के लिए एक प्रेरणा बना बेटियों का यह कदम : यह घटना डोभी गांव में हुई, जहां दिवंगत नेकीराम सुथार की 73 वर्षीय पत्नी हरकोरी देवी का निधन हो गया था. उनके कोई पुत्र नहीं था, बल्कि आठ बेटियां थी. ऐसे में बेटियों ने पुरानी मान्यताओं को दरकिनार करते हुए मां को कंधा दिया. और समाज की रूढ़ीवादी सोच को खत्म करने का संदेश फैलाया. यह कदम न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया है, क्योंकि इसने पुरुषप्रधान सोच को चुनौती दी है. मां की मौत होने पर बेटियों ने न केवल खुद को संभाला, बल्कि मृत्यु के बाद सभी रस्मों को निभाया. समाज, गांव और आसपास के क्षेत्र को इन बेटियों ने बहुत बड़ा संदेश दिया है.

सरपंच ने कहा- बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं : बेटियों की ओर से कंधा देने वाली इस पहल की इलाके में काफी चर्चा हो रही है. इसे महिलाओं के अधिकारों के प्रति सकारात्मक पहल के रूप में देखा गया है. गांव डोभी के सरपंच आजाद सिंह हिन्दुस्तानी ने भी बेटियों की सराहना की. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बेटा व बेटी में कोई फर्क नहीं है और हमें ऐसी रूढ़ीवादी बेड़ियों से बाहर निकलना चाहिए. उन्होंने बेटियों के इस कदम को ग्राम पंचायत डोभी की ओर से सलाम किया.

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