भरतपुर : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृह जिला भरतपुर इस समय एक गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. जिला प्रमुख का पद पिछले डेढ़ साल से रिक्त पड़ा हुआ है, जब से पूर्व प्रमुख जगत सिंह भाजपा के नदबई से विधायक बने हैं. इस पद के खाली रहने से न केवल प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि जिले की राजनीति भी गरमाई हुई है.
कलेक्टर के हाथों में बागडोर : चूंकि जिला प्रमुख का पद खाली है, वर्तमान में जिले के कार्यों का संचालन कलेक्टर डॉ. अमित यादव के हाथों में है. हालांकि, यह व्यवस्था स्थायी नहीं है और जिले के लिए प्रभावी भी नहीं मानी जा सकती. विकास कार्यों के अलावा विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए एक निर्वाचित प्रमुख की आवश्यकता है, लेकिन राजनीतिक कारणों से इस पद के लिए चुनाव नहीं हो पा रहे हैं.
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राजनीतिक गतिरोध और प्रशासनिक सुस्ती : भाजपा विधायक बनने के बाद से जगत सिंह का यह पद रिक्त हैऔर उनकी सीट पर चुनाव न होने के कारण कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. विपक्ष इसे भाजपा सरकार की विफलता और राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मान रहा है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का गृह जिला होने के बावजूद इस स्थिति का समाधान अभी तक नहीं निकाला जा सका है.
प्रमुख का विरोध और बहिष्कार : इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को कुम्हेर प्रमुख रश्मि ने जिला परिषद की बैठक में इसका जोरदार विरोध किया. उनका कहना था कि जिले के विकास कार्य और योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. उन्होंने जिला प्रमुख के चुनाव को शीघ्र कराने की मांग की. रश्मि ने बैठक में कोरम पूरा नहीं होने का आरोप लगाते हुए बैठक का बहिष्कार किया. रश्मि के इस कदम ने न केवल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जिला परिषद में भी इस मुद्दे को लेकर गहरा असंतोष है.
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विकास कार्यों पर असर : जिला प्रमुख के पद की रिक्तता के कारण भरतपुर में कई महत्वपूर्ण विकास कार्य रुके हुए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण, जल आपूर्ति योजनाएं और शिक्षा से संबंधित परियोजनाएं धीमी गति से चल रही हैं. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस मुद्दे पर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही हैं.
राज्य चुनाव आयोग का निर्णय : इस मामले पर टिप्पणी करते हुए भरतपुर के जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने बताया कि जिला प्रमुख के चुनाव के संबंध में अंतिम निर्णय राज्य चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा. चुनाव आयोग के निर्णय के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.