बाड़मेर. जिले में दो भाइयों ने 171 बीघा जमीन पशुओं के चराने के लिए ओरण के लिए दान करके नजीर पेश की है. जिसकी आज हर तरफ चर्चा हो रही है. दोनों भाइयों ने अपनी खातेदारी जमीन खुशी से पशुओं के चरने के लिए दान कर दी. दोनों भाइयों ने उपखंड अधिकारी के समक्ष पेश होकर दस्तावेज प्रशासन को सुपुर्द किए.
जहां आज कलयुग में कई लोग गोवंश के ओरण गोचर भूमि को हड़पने से नहीं चूकते हैं, वहीं दूसरी ओर इस धरती पर आज भी कुछ एनिमल लवर मौजूद है. संसार में दानवीरों का जमीर आज भी जिंदा है. मामला है राजस्थान के बाड़मेर के सीमावर्ती गांव मगरा का जहां के निवासी दो भाइयों ने अपनी खातेदारी जमीन में से सैकड़ों बीघा जमीन ओरण के लिए दान कर दी, ताकि बेजुबान पशुओं के चरने के काम आ सके. 171 बीघा भूमि ओरण गोचर के लिए दान करने के लिए दोनों भाइ गडरारोड उपखण्ड अधिकारी अनिल जैन के समक्ष उपस्थित हुए और जमीन के दस्तावेज सौंपे.
तहसीलदार सुरेश चौधरी ने बताया कि गुरुवार को ग्राम पंचायत मगरा के खेतसिंह पुत्र संगत सिंह और भीमसिंह पुत्र सगत सिंह राजपूत ने अपनी खातेदारी जमीन में से 27.75 हेक्टेयर लगभग 171 बीघा भूमि ओरण-गोचर के लिए दान दी है. इस संबंध में उन्होंने गडरारोड़ उपखंड कार्यालय में पहुंच कर आवश्यक जमाबंदी और सहमति से आवेदन कर भूमि को ओरण घोषित करने के लिए आवेदन दिया है.
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बता दें कि आम तौर पर आज के समय में जहां ओरण गोचर आदि सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण के मामले सामने आते हैं, लेकिन इन दोनों भाइयों ने दरियादिली दिखाते हुए बेजुबान पशुओं के लिए अपनी खातेदारी में से 171 बीघा जमीन को दान करके मिशाल कायम की है. उपखंड अधिकारी अनिल जैन और तहसीलदार सुरेश चौधरी ने भामाशाह खेतसिंह व भीमसिंह सहित परिवार को सम्मान किया.