अलवर. जिले के थानागाजी के सूरतगढ़ गांव में लेपर्ड के आतंक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है. लेपर्ड के आतंक से ग्रामीण डर के साए में जी रहे हैं. ग्रामीणों ने सरिस्का वन प्रशासन और अलवर वानिकी के कर्मचारियों को लेपर्ड के बारे में अवगत करा दिया है, लेकिन किसी भी अधिकारी ने इसको पकड़ने का प्रयास शुरू नहीं किया है. इसके कारण ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. रात भर जाकर ग्रामीण अपने मवेशियों की सुरक्षा कर रहे हैं. दिन ढलते ही गांव की गलियों में सन्नाटा छा जाता है. ग्रामीणों ने बताया की बीती रात को लेपर्ड ने सूरतगढ़ गांव में जीवन राम रैगर के मवेशियों के बाड़े घुस कर आधा दर्जन बकरियों का शिकार किया है. ग्रामीणों ने इसकी सूचना सरिस्का वन प्रशासन एवं अलवर जिला प्रशासन को भी दी है.
ग्रामीणों ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों ने लेपर्ड को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने का आश्वासन दिया था, लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद आज तक पिंजरा नहीं लगाया गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि अलवर प्रशासन 5 साल पहले जो हादसे से हुए थे उनकी पुनरावृत्ति चाहता है. ग्रामीणों ने जल्द लेपर्ड को पकड़ने की मांग की है. वहीं, बुधवार की रात को खैरथल कस्बे में भालू देखा गया था, जो अभी तक पकड़ में नहीं आया है. जिला प्रशासन अभी तक भालू के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा पाया है कि भालू कहां है
बाघ भी आया था ग्रामीण क्षेत्र में : अलवर जिले के सरिस्का वन क्षेत्र से तीन महीने पहले बाघ भी अपना रास्ता भटक कर खैरथल टपूकड़ा, भिवाड़ी हरियाणा तक पहुंच गया था, जिसको पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम के पसीने छूट गए थे. करीब बीस दिन बाद बाघ हरियाणा से राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर गया था और वापस सरिस्का के जंगल में चला गया था.