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एम्स में रोबोट ने किया कमाल, काटा कैंसर ग्रस्त आधा फेफड़ा और श्वास नली, मरीज को दिया नया जीवन दान

जोधपुर के एम्स में रोबोट ने कैंसर के ​एक मरीज की जटिल सर्जरी कर उसकी जान बचाई.

Robotic Surgery in Jodhpur
रोबोट ने ​एक मरीज की जटिल सर्जरी कर उसकी जान बचाई (Photo ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

जोधपुर: एम्स जोधपुर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने श्रीगंगानगर के 22 साल के एक युवक का कैंसर का जटिल ऑपरेशन करके उसका आधा फेफड़ा बचा लिया. युवक के दाहिनी फेफड़े के ऊपरी भाग और सांस की नली (ब्रोंकस) में कैंसर था. इस तरह के मामले में पूरी छाती खोलकर सर्जरी होती है और पूरा फेफड़ा हटाया जाता है, लेकिन एम्स में जटिल रोबोटिक सर्जरी की गई. दाहिनी फेफड़े का ऊपर का हिस्सा और सांस की नली का कैंसर ग्रसित भाग रोबोट ने काटकर अलग कर दिया. शेष बचे दाहिनी फेफड़े के निचले हिस्से को सांस की नली से जोड़ दिया. रोगी अब डेढ़ फेफड़े से सांस ले सकेगा.

सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. जीवन राम विश्नोई ने बताया कि पल्मोनरी मेडिसिन के प्रो. निशांत भारद्वाज की जांच में उसे कैंसर पता चला. इस प्रकार के ट्यूमर को सर्जरी से निकालने पूरी छाती खोलनी पड़ती है, जिसमें मरीज को ऑपरेशन से रिकवरी में काफी समय लगता है. ऑपरेशन के बाद मरीज को निमोनिया, छाती में दर्द,आईसीयू में रखने जैसी कई जटिलताओं की आशंका रहती है. मरीज के पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद छुट्टी कर दी गई है. इस सफलता पर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीडी पुरी और चिकित्सा अधीक्षक डॉ महेश देवनानी ने टीम को शुभकामनाएं दी.

पढ़ें: SMS अस्पताल ने बनाया कीर्तिमान, बोन ट्यूमर सर्जरी के 3 महीने में कर दिए 100 सफल ऑपरेशन

सिर्फ 12 एमएम के चीरे से ऑपरेशन: एम्स में पूरी सर्जरी रोबोट ने की. इस ऑपरेशन में छाती में केवल 8 व 12 मिमी का चीरा लगाया. रोबोट ने पहले लिम्फनोड्स और उसके बाद हार्ट से निकल करके फेफड़े के ऊपरी लोब तक आने वाली जटिल खून की नसें हटाई. उनको विच्छेदित करके सांस की नली ब्रोंकस को काटा. फिर बचे हुए निचले हिस्से को टांके लगाकर वापस जोड़ा गया.

आईसीयू में रखने की भी जरूरत नहीं पड़ी: ऑपरेशन के बाद मरीज को सीधे वार्ड में ही शिफ्ट कर दिया गया. आईसीयू की जरूरत नहीं पड़ी. पांच दिन में ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. इस प्रकार के ऑपरेशन केवल मेट्रो शहरों में ही होते हैं. वहां निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च होते हैं, जबकि एम्स में सरकार की बीमा योजना के तहत निःशुल्क ऑपरेशन किया गया.

जोधपुर: एम्स जोधपुर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने श्रीगंगानगर के 22 साल के एक युवक का कैंसर का जटिल ऑपरेशन करके उसका आधा फेफड़ा बचा लिया. युवक के दाहिनी फेफड़े के ऊपरी भाग और सांस की नली (ब्रोंकस) में कैंसर था. इस तरह के मामले में पूरी छाती खोलकर सर्जरी होती है और पूरा फेफड़ा हटाया जाता है, लेकिन एम्स में जटिल रोबोटिक सर्जरी की गई. दाहिनी फेफड़े का ऊपर का हिस्सा और सांस की नली का कैंसर ग्रसित भाग रोबोट ने काटकर अलग कर दिया. शेष बचे दाहिनी फेफड़े के निचले हिस्से को सांस की नली से जोड़ दिया. रोगी अब डेढ़ फेफड़े से सांस ले सकेगा.

सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. जीवन राम विश्नोई ने बताया कि पल्मोनरी मेडिसिन के प्रो. निशांत भारद्वाज की जांच में उसे कैंसर पता चला. इस प्रकार के ट्यूमर को सर्जरी से निकालने पूरी छाती खोलनी पड़ती है, जिसमें मरीज को ऑपरेशन से रिकवरी में काफी समय लगता है. ऑपरेशन के बाद मरीज को निमोनिया, छाती में दर्द,आईसीयू में रखने जैसी कई जटिलताओं की आशंका रहती है. मरीज के पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद छुट्टी कर दी गई है. इस सफलता पर एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीडी पुरी और चिकित्सा अधीक्षक डॉ महेश देवनानी ने टीम को शुभकामनाएं दी.

पढ़ें: SMS अस्पताल ने बनाया कीर्तिमान, बोन ट्यूमर सर्जरी के 3 महीने में कर दिए 100 सफल ऑपरेशन

सिर्फ 12 एमएम के चीरे से ऑपरेशन: एम्स में पूरी सर्जरी रोबोट ने की. इस ऑपरेशन में छाती में केवल 8 व 12 मिमी का चीरा लगाया. रोबोट ने पहले लिम्फनोड्स और उसके बाद हार्ट से निकल करके फेफड़े के ऊपरी लोब तक आने वाली जटिल खून की नसें हटाई. उनको विच्छेदित करके सांस की नली ब्रोंकस को काटा. फिर बचे हुए निचले हिस्से को टांके लगाकर वापस जोड़ा गया.

आईसीयू में रखने की भी जरूरत नहीं पड़ी: ऑपरेशन के बाद मरीज को सीधे वार्ड में ही शिफ्ट कर दिया गया. आईसीयू की जरूरत नहीं पड़ी. पांच दिन में ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. इस प्रकार के ऑपरेशन केवल मेट्रो शहरों में ही होते हैं. वहां निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च होते हैं, जबकि एम्स में सरकार की बीमा योजना के तहत निःशुल्क ऑपरेशन किया गया.

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