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इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश; शादी का वादा कर यौन उत्पीड़न निंदनीय अपराध, आरोपी की जमानत खारिज - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

कोर्ट ने कहा- बाद में शादी करने के प्रस्ताव से नहीं बदला जा सकता अपराध, ऐसे अपराधों में कानून समझौते की अनुमति नहीं देता

इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 9:13 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि शादी का वादा कर यौन उत्पीड़न करना एक निंदनीय कृत्य है. इसे बाद में दिए गए शादी के प्रस्ताव से नहीं बदला जा सकता है. कानून ऐसे मामलों में समझौते के खत्म करने की अनुमति नहीं देता है.

न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज़ करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्य से पीड़िता को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तौर पर नुकसान पहुंचा है और मानवता पर उसके विश्वास को गंभीर नुकसान पहुंचता है. अदालत का मत है कि याची के कृत्य को बाद में उसके द्वारा दिए शादी के प्रस्ताव से बदला नहीं जा सकता है.

याची पर आरोप है कि उसने पीड़िता से शादी की इंगेजमेंट करने के बाद शारीरिक संबंध बनाया और सात माह बाद शादी करने से मुकर गया. पीड़िता ने उसके खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज़ कराया. याची के वकील का कहना था कि शारीरिक संबन्ध पीड़िता ने अपनी सहमति से बनाए थे और याची अब पीड़िता से शादी करने को तैयार है. सरकारी वकील ने इसका विरोध किया. कहा कि आरोप गंभीर हैं. पीड़िता ने पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में आरोपों की पुष्टि की है. याची का अपराधी इतिहास है, उस पर गैंगस्टर एक्ट में भी कार्यवाही हुई है.

कोर्ट ने ज़मानत अर्जी खारिज़ करते हुए कहा कि याची ने पीड़िता का न सिर्फ शारीरिक उत्पीड़न किया है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उत्पीड़न किया है. इस मामले में समझौते की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट का आदेश, तथ्य छिपाकर हासिल की गई अनुकंपा नियुक्ति अवैध, विशेष अपील खारिज - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि शादी का वादा कर यौन उत्पीड़न करना एक निंदनीय कृत्य है. इसे बाद में दिए गए शादी के प्रस्ताव से नहीं बदला जा सकता है. कानून ऐसे मामलों में समझौते के खत्म करने की अनुमति नहीं देता है.

न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज़ करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्य से पीड़िता को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तौर पर नुकसान पहुंचा है और मानवता पर उसके विश्वास को गंभीर नुकसान पहुंचता है. अदालत का मत है कि याची के कृत्य को बाद में उसके द्वारा दिए शादी के प्रस्ताव से बदला नहीं जा सकता है.

याची पर आरोप है कि उसने पीड़िता से शादी की इंगेजमेंट करने के बाद शारीरिक संबंध बनाया और सात माह बाद शादी करने से मुकर गया. पीड़िता ने उसके खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज़ कराया. याची के वकील का कहना था कि शारीरिक संबन्ध पीड़िता ने अपनी सहमति से बनाए थे और याची अब पीड़िता से शादी करने को तैयार है. सरकारी वकील ने इसका विरोध किया. कहा कि आरोप गंभीर हैं. पीड़िता ने पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में आरोपों की पुष्टि की है. याची का अपराधी इतिहास है, उस पर गैंगस्टर एक्ट में भी कार्यवाही हुई है.

कोर्ट ने ज़मानत अर्जी खारिज़ करते हुए कहा कि याची ने पीड़िता का न सिर्फ शारीरिक उत्पीड़न किया है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी उत्पीड़न किया है. इस मामले में समझौते की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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