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जानिए बसंत पंचमी का महत्व और अर्थ, क्यों देवी सरस्वती की होती है आराधना ?

Basant Panchami 2024 छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है.कोरबा के स्कूल और कॉलेजों में देवी सरस्वती की आराधना की गई. इस दौरान स्कूलों में बच्चों को विद्या की देवी सरस्वती के बारे में जानकारी दी गई. Saraswati Puja

Basant Panchami 2024
जानिए बसंत पंचमी का महत्व और अर्थ
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 14, 2024, 4:36 PM IST

Updated : Feb 14, 2024, 7:47 PM IST

बसंत पंचमी का महत्व और अर्थ

कोरबा : बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने की परंपरा है. परंपरा को आगे बढ़ते हुए बसंत पंचमी के दिन स्कूल और कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा की गई. कोरबा शहर के सीतामढ़ी क्षेत्र सहित सभी सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों में खास आयोजन किए गए. सरस्वती माता की पूजा के बाद शिक्षकों और बच्चों ने भजन कीर्तन भी किया. पूजा के बाद भोग प्रसाद का वितरण हुआ.



क्या है बसंत पंचमी का महत्व ?: सरस्वती शिशु मंदिर सीतामढ़ी के प्राचार्य विद्यानंद पांडेय ने बसंत पंचमी की जानकारी दी. विद्यानंद ने बताया कि बसंत पंचमी की भारतीय संस्कृति में खास मान्यता है. वैदिक काल से ही गुरुकुल परंपरा चली आ रही है. बसंत पंचमी को विद्या आरंभ संस्कार वाले दिन के तौर पर मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन ही गुरुकुल में आने वाले नए बच्चों को प्रवेश दिया जाता है. पुरातन समय में बसंत पंचमी शिक्षा के पहले दिन के तौर पर जानी जाती थी.

''हमारे विद्यालय में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों में उत्साह का माहौल है. सभी बच्चों ने वीणापाणी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की है.''- विद्यानंद पाण्डेय, प्राचार्य ,सरस्वती शिशु मंदिर



विद्या देने वाली देवी की आराधना : बसंत पंचमी के अवसर पर छात्रों ने रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किया. इस दौरान छात्रा मोहिनी ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन स्कूल में खासा उत्साह रहता है. हम सभी ने मिलकर मां सरस्वती की पूजा की है.मां सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है. इसलिए हम सभी ने विद्या प्राप्त करने के लिए खास प्रार्थना की है.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में भी मां सरस्वती की आराधना : मनेन्द्रगढ़ में भी बसंत पंचमी मनाई गई. इस पर्व में बड़ी संख्या में महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली. जो नागेश्वर धाम मंदिर से हनुमान मंदिर तक गई.वहीं चिरमिरी के पोड़ी के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में भी सरस्वती पूजा का आयोजन हुआ. स्कूल के सभी छात्र-छात्राएं और नौनिहालों ने मां सरस्वती की वंदना की.

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बसंत पंचमी का महत्व और अर्थ

कोरबा : बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने की परंपरा है. परंपरा को आगे बढ़ते हुए बसंत पंचमी के दिन स्कूल और कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा की गई. कोरबा शहर के सीतामढ़ी क्षेत्र सहित सभी सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों में खास आयोजन किए गए. सरस्वती माता की पूजा के बाद शिक्षकों और बच्चों ने भजन कीर्तन भी किया. पूजा के बाद भोग प्रसाद का वितरण हुआ.



क्या है बसंत पंचमी का महत्व ?: सरस्वती शिशु मंदिर सीतामढ़ी के प्राचार्य विद्यानंद पांडेय ने बसंत पंचमी की जानकारी दी. विद्यानंद ने बताया कि बसंत पंचमी की भारतीय संस्कृति में खास मान्यता है. वैदिक काल से ही गुरुकुल परंपरा चली आ रही है. बसंत पंचमी को विद्या आरंभ संस्कार वाले दिन के तौर पर मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन ही गुरुकुल में आने वाले नए बच्चों को प्रवेश दिया जाता है. पुरातन समय में बसंत पंचमी शिक्षा के पहले दिन के तौर पर जानी जाती थी.

''हमारे विद्यालय में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों में उत्साह का माहौल है. सभी बच्चों ने वीणापाणी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की है.''- विद्यानंद पाण्डेय, प्राचार्य ,सरस्वती शिशु मंदिर



विद्या देने वाली देवी की आराधना : बसंत पंचमी के अवसर पर छात्रों ने रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किया. इस दौरान छात्रा मोहिनी ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन स्कूल में खासा उत्साह रहता है. हम सभी ने मिलकर मां सरस्वती की पूजा की है.मां सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है. इसलिए हम सभी ने विद्या प्राप्त करने के लिए खास प्रार्थना की है.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में भी मां सरस्वती की आराधना : मनेन्द्रगढ़ में भी बसंत पंचमी मनाई गई. इस पर्व में बड़ी संख्या में महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली. जो नागेश्वर धाम मंदिर से हनुमान मंदिर तक गई.वहीं चिरमिरी के पोड़ी के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में भी सरस्वती पूजा का आयोजन हुआ. स्कूल के सभी छात्र-छात्राएं और नौनिहालों ने मां सरस्वती की वंदना की.

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Last Updated : Feb 14, 2024, 7:47 PM IST
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