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सरयू राय जदयू में शामिल, झारखंड की राजनीति पर किस तरह का पड़ेगा प्रभाव, क्या कहते हैं जानकार - Jharkhand politics

Saryu Rai joined JDU. झारखंड के वरिष्ठ नेता और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं. चुनाव से पहले उनके इस कदम ने राज्य की राजनीति में कई तरह की चर्चा शुरू कर दी है. आने वाले दिनों में इसके कई तरह परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

JHARKHAND POLITICS
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 5, 2024, 7:50 AM IST

रांचीः राजनीति के चाणक्य से कहे जाने वाले सरयू राय ने झारखंड विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पॉलिटिकल मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश के बेहद करीबी कहे जाने वाले सरयू राय जदयू में शामिल हो गए हैं. उनके इस पॉलिटिकल स्टैंड से झारखंड के राजनीतिक समीकरण को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जदयू में सरयू राय के शामिल होने से जमशेदपुर पूर्वी सीट से उनका दोबारा चुनाव लड़ना पक्का माना जा रहा है. क्योंकि लंबे समय से जमशेदपुर पूर्वी सीट पर काबिज रहे रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल बन चुके हैं. ऊपर से केंद्र में मोदी सरकार बनाने में जदयू ने अहम रोल अदा किया है. लिहाजा, सरयू राय की जदयू में वापसी से झारखंड में एनडीए फोल्डर का दायरा बढ़ना तय है.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि सरयू राय और रघुवर दास के बीच का मतभेद जगजाहिर है. ऐसे में अमित शाह के खास कहे जाने वाले रघुवर दास अपनी राजनीतिक जमीन शिफ्ट होने देना नहीं चाहेंगे, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि भाजपा के पास जमशेदपुर पूर्वी सीट के लिए कोई बड़ा चेहरा फिलहाल नहीं है. दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के स्तर पर सारे समीकरण सेट हो चुके हैं. क्योंकि यहां एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. ऐसे में किसी तीसरे नेता की दखलअंदाजी का कोई सवाल ही नहीं उठाता.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार ने कहा कि इस राजनीतिक बदलाव का असर मांडू और छतरपुर सीट पर भी देखने को मिल सकता है. दरअसल, जदयू के झारखंड अध्यक्ष खीरु महतो मांडू के विधायक रहे हैं. 2019 में भाजपा की टिकट पर जेपी पटेल यहां से विधायक बने थे, लेकिन वर्तमान लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस में शामिल होकर हजारीबाग से चुनाव लड़े थे. इसलिए खीरु महतो की कोशिश है कि उनके पुत्र दुष्यंत को वहां से टिकट मिले. वैसे आजसू का भी इस सीट पर दावा है. तीसरी सीट छतरपुर को लेकर है. वहां से पूर्व में विधायक रहीं सुधा चौधरी झारखंड में मंत्री रह चुकी हैं.

ईटीवी भारत को विश्वस्त सूत्र से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक सरयू राय आज जमशेदपुर में ही हैं. वह आज दिल्ली में थे ही नहीं. सूत्र बता रहे हैं कि कुछ दिन पहले सरयू राय दिल्ली गए थे. उसी वक्त सारी प्रक्रिया पूरी हो गई थी. चूंकि झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था, इसलिए आज उनके जदयू में शामिल होने की घोषणा जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने की.

अब रही बात भारतीय जन माेर्चा (भाजमो) पार्टी के जदयू में मर्जर की तो यह समझना जरूरी है कि सरयू राय इस पार्टी के संरक्षक हैं. इस प्रक्रिया को पूरा करना पार्टी के अध्यक्ष का काम है. एक और खास बात है कि 2019 में रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते हुए सरयू राय ने अपनी जमशेदपुर पश्चिम सीट के बजाय जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़कर उन्हें मात दे दी थी. आज भी इस बात की चर्चा होती है कि 2019 के चुनाव में सरयू राय के स्टैंड की वजह से भाजपा खासकर रघुवर दास के खिलाफ एक नैरेटिव सेट हो गया था. जिसका खामियाजा भाजपा को चुनाव में भुगतना पड़ा था.

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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जदयू में सरयू राय के शामिल होने से जमशेदपुर पूर्वी सीट से उनका दोबारा चुनाव लड़ना पक्का माना जा रहा है. क्योंकि लंबे समय से जमशेदपुर पूर्वी सीट पर काबिज रहे रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल बन चुके हैं. ऊपर से केंद्र में मोदी सरकार बनाने में जदयू ने अहम रोल अदा किया है. लिहाजा, सरयू राय की जदयू में वापसी से झारखंड में एनडीए फोल्डर का दायरा बढ़ना तय है.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि सरयू राय और रघुवर दास के बीच का मतभेद जगजाहिर है. ऐसे में अमित शाह के खास कहे जाने वाले रघुवर दास अपनी राजनीतिक जमीन शिफ्ट होने देना नहीं चाहेंगे, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि भाजपा के पास जमशेदपुर पूर्वी सीट के लिए कोई बड़ा चेहरा फिलहाल नहीं है. दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के स्तर पर सारे समीकरण सेट हो चुके हैं. क्योंकि यहां एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. ऐसे में किसी तीसरे नेता की दखलअंदाजी का कोई सवाल ही नहीं उठाता.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार ने कहा कि इस राजनीतिक बदलाव का असर मांडू और छतरपुर सीट पर भी देखने को मिल सकता है. दरअसल, जदयू के झारखंड अध्यक्ष खीरु महतो मांडू के विधायक रहे हैं. 2019 में भाजपा की टिकट पर जेपी पटेल यहां से विधायक बने थे, लेकिन वर्तमान लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस में शामिल होकर हजारीबाग से चुनाव लड़े थे. इसलिए खीरु महतो की कोशिश है कि उनके पुत्र दुष्यंत को वहां से टिकट मिले. वैसे आजसू का भी इस सीट पर दावा है. तीसरी सीट छतरपुर को लेकर है. वहां से पूर्व में विधायक रहीं सुधा चौधरी झारखंड में मंत्री रह चुकी हैं.

ईटीवी भारत को विश्वस्त सूत्र से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक सरयू राय आज जमशेदपुर में ही हैं. वह आज दिल्ली में थे ही नहीं. सूत्र बता रहे हैं कि कुछ दिन पहले सरयू राय दिल्ली गए थे. उसी वक्त सारी प्रक्रिया पूरी हो गई थी. चूंकि झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था, इसलिए आज उनके जदयू में शामिल होने की घोषणा जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने की.

अब रही बात भारतीय जन माेर्चा (भाजमो) पार्टी के जदयू में मर्जर की तो यह समझना जरूरी है कि सरयू राय इस पार्टी के संरक्षक हैं. इस प्रक्रिया को पूरा करना पार्टी के अध्यक्ष का काम है. एक और खास बात है कि 2019 में रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते हुए सरयू राय ने अपनी जमशेदपुर पश्चिम सीट के बजाय जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़कर उन्हें मात दे दी थी. आज भी इस बात की चर्चा होती है कि 2019 के चुनाव में सरयू राय के स्टैंड की वजह से भाजपा खासकर रघुवर दास के खिलाफ एक नैरेटिव सेट हो गया था. जिसका खामियाजा भाजपा को चुनाव में भुगतना पड़ा था.

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