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द‍िल्‍ली के गेस्‍ट हाउसों में चल रहे अवैध बोरवेल, सरकार बोली- वैध करने को लाएंगे पॉल‍िसी, जानें क्या है पूरा मामला - Delhi Guest Houses Water Crisis

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 8, 2024, 7:35 PM IST

द‍िल्‍ली के पहाड़गंज इलाके में काफी संख्या में गेस्‍ट हाउस संचाल‍ित हो रहे हैं. इलाके में पानी की किल्लत की वजह से यहां अवैध तरीके से बोरवेल और ग्राउंड वाटर का इस्‍तेमाल किया जा रहा है. जिसको लेकर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने गेस्‍ट हाउस संचालकों पर लाखों रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं दिल्ली सरकार इन अवैध बोरवेल/ट्यूबवेल्स को वैध करने के ल‍िए एक पॉल‍िसी तैयार करने की तैयारी कर रही है.

द‍िल्‍ली गेस्‍ट हाउसों में चल रहे अवैध बोरवेल, ट्यूबवेल पर लगा लाखों का जुर्माना
द‍िल्‍ली गेस्‍ट हाउसों में चल रहे अवैध बोरवेल, ट्यूबवेल पर लगा लाखों का जुर्माना (ETV BHARAT)

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली के पहाड़गंज इलाके में बड़ी संख्‍या में गेस्‍ट हाउस संचाल‍ित हो रहे हैं. इलाके में पानी की क‍िल्‍लत की वजह से गेस्‍ट हाउस माल‍िक अवैध तरीके से बोरवेल और ग्राउंड वाटर का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने अवैध तरीके से भूजल निकालने के मामले में कई गेस्‍ट हाउसों पर एक-एक लाख रुपये का भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया है. ज‍िसके बाद अब इन पर सील‍िंग की तलवार लटकी हुई है. इस मामले को इन्होंने द‍िल्ली सरकार के सामने उठाया है. दिल्ली सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इन अवैध बोरवेल/ट्यूबवेल को वैध करने के ल‍िए एक पॉल‍िसी तैयार करने का न‍िर्णय ल‍िया है. ज‍िसके बाद इनको कुछ राहत म‍िल सकती है.

अवैध बोरवेल/ग्राउंड वाटर यूज पॉल‍िसी लाकर व‍िन‍ियम‍ित करने की तैयारी

सूत्र बताते हैं क‍ि हाल ही में पहाड़गंज के गेस्‍ट हॉउस ओनर्स एसोस‍िएशन ने द‍िल्‍ली की जल मंत्री आत‍िशी के साथ एक अहम मीट‍िंग की थी. इस मीट‍िंग में करोल बाग के व‍िधायक व‍िशेष रव‍ि ने भी श‍िरकत की थी. ये पूरा इलाका उनकी व‍िधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है. मंत्री की इस मीट‍िंग में कई अहम फैसले भी ल‍िए गए हैं. ज‍िसमें इन गेस्‍ट हॉउस माल‍िकों को राहत देने के ल‍िए सरकार आने वाले समय में अवैध बोरवेल/ग्राउंड वाटर यूज करने को पॉल‍िसी लाकर व‍िन‍ियम‍ित करने की तैयारी में है.

गेस्ट हाउस मालिक पानी की आपूर्ति के लिए ज्यादातर बोरवेल/सबमर्सिबल पर निर्भर

सूत्रों के मुताब‍िक, पहाड़ गंज गेस्ट हाउस ओनर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने सरकार को बताया क‍ि गेस्ट हाउस मालिकों को अपने परिसर में पानी की आपूर्ति के संबंध में कितनी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. पानी की आपूर्ति के लिए उन्हें ज्यादातर बोरवेल/सबमर्सिबल पर निर्भर हैं. प्रतिनिधियों ने बताया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने भूजल निकालने के लिए उनके कई गेस्ट हाउस प्रतिष्ठानों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 5 के तहत 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इतना ही नहीं अब उनके गेस्‍ट हॉउसों पर सीलिंग की तलवार भी लटकी हुई है.

द‍िल्‍ली अवासीय इलाकों में जलापूर्त‍ि के ल‍िए स‍िर्फ 1050 एमजीडी ट्रीटेड वाटर उपलब्ध

एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने सरकार को अवगत कराया है क‍ि वे द‍िल्‍ली जल बोर्ड से पानी का कनेक्शन लेने को भी तैयार हैं. बावजूद इसके क‍ि द‍िल्‍ली के आवासीय इलाकों में जलापूर्त‍ि करने के ल‍िए स‍िर्फ 1050 एमजीडी ट्रीटेड वाटर उपलब्ध है. द‍िल्‍ली के रेसिडेंश‍ियल एर‍िया में सप्‍लाई करने के ल‍िए यह पानी भी जरूरतों को पूरा करने के लिए कम पड़ जा रहा है. हालांक‍ि, ट्रीटेड वाटर के सप्‍लाई और बढ़ाने की जरूरत है. द‍िल्‍ली में आवासीय इस्‍तेमाल के लिए पानी की भारी कमी है.

बोरवेल का खुलासा करने की आयी थी दस साल पहले योजना

इस दौरान यह बात भी सामने आई है क‍ि भूजल निकासी को नियमित करने के लिए दिल्ली में अक्टूबर 2014 से मार्च 2015 के बीच मौजूदा बोरवेलों के स्वैच्छिक प्रकटीकरण (खुलासा) करने की एक योजना भी लाई गई थी. इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड की 121वीं बोर्ड मीट‍िंग में एक प्रस्‍ताव भी लाया गया था. इस प्रस्‍ताव के जर‍िये एडवाइजरी कमेट‍ियों की ओर से जल बोर्ड को सलाह भी दी गई थी क‍ि ट्यूबवेल/बोरवेल के जर‍िये जमीन से न‍िकाले जाने वाले पानी को लेकर, जहां पर अनुमत‍ि हो, अस्थायी तौर पर वहां पर मासिक शुल्क लगाया जा सकता है. हालांकि, स्वेच्छा से क‍िए गए खुलासे के बाद भी बोरवेल के संबंध में कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया है. इस सबके बाद अब एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने द‍िल्‍ली सरकार से आग्रह क‍िया क‍ि इस मामले में जल्द ही कोई नीतिगत निर्णय लिया जाए.

गेस्ट हाउस मालिकों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करना अनिवार्य

गेस्‍ट हाउस ओनर्स एसोस‍िएशन के प्रत‍िन‍िधियों के साथ चर्चा करने के बाद सरकार ने दो अहम फैसले ल‍िए है. दरअसल, गेस्‍ट हॉउस माल‍िकों के पास पानी को कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं होने और ग्राउंड वाटर के इस्‍तेमाल में असमर्थ होने की वजह से पैदा होने वाले संकट का समाधान न‍िकालने को लेकर सरकार ने इसके दो पहलुओं पर व‍िचार करते हुए न‍िर्णय ल‍िए हैं. इसमें एक तो भूजल स्तर की सुरक्षा के लिए, सभी गेस्ट हाउस मालिकों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि ग्राउंड वाटर की कमी को लगातार पूरा क‍िया जाता रहे. इससे ग्राउंड वाटर लेवल को बनाए रखने में मदद म‍िल सकेगी.

बोरवेलों पर मीटर लगाए जाने की पर व‍िचार

दूसरा अहम न‍िर्णय यह है क‍ि गेस्ट हाउस मालिकों के ल‍िए मौजूदा बोरवेलों के इस्‍तेमाल को रेगुलेट करने को लेकर एक योजना शुरू की जा सकती है और शुल्क लगाने के साथ-साथ भूजल की निकासी को विनियमित करने के लिए बोरवेलों पर मीटर लगाए जा सकते हैं.

मौजूदा बोरवेलों के विनियमन को पॉल‍िसी बनाएंगे -आतिशी

जल मंत्री आत‍िशी ने भूमिगत जल के स्तर में गिरावट के व्यापक प्रभावों के साथ-साथ रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नुकसान के तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श किया है. साथ ही एसोसिएशन को भरोसा दिया ‍है क‍ि द‍िल्‍ली सरकार गेस्‍ट हॉउस माल‍िकों की इन सभी समस्‍याओं को ध्यान में रखते हुए इन मौजूदा बोरवेलों के विनियमन को लेकर एक पॉल‍िसी बनाएगी.

ये भी पढ़ें : द‍िल्‍ली में धड़ल्‍ले से चल रहे अवैध बोरवेल! एक्‍शन लेने में नाकाम प्रशासन

ये भी पढ़ें: द‍िल्‍ली में हो सकती है पानी की क‍िल्‍लत, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स नहीं कर पा रहे फुल कैपेस‍िटी में काम, जानें कहां आ रही समस्या

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली के पहाड़गंज इलाके में बड़ी संख्‍या में गेस्‍ट हाउस संचाल‍ित हो रहे हैं. इलाके में पानी की क‍िल्‍लत की वजह से गेस्‍ट हाउस माल‍िक अवैध तरीके से बोरवेल और ग्राउंड वाटर का इस्‍तेमाल कर रहे हैं. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने अवैध तरीके से भूजल निकालने के मामले में कई गेस्‍ट हाउसों पर एक-एक लाख रुपये का भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया है. ज‍िसके बाद अब इन पर सील‍िंग की तलवार लटकी हुई है. इस मामले को इन्होंने द‍िल्ली सरकार के सामने उठाया है. दिल्ली सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इन अवैध बोरवेल/ट्यूबवेल को वैध करने के ल‍िए एक पॉल‍िसी तैयार करने का न‍िर्णय ल‍िया है. ज‍िसके बाद इनको कुछ राहत म‍िल सकती है.

अवैध बोरवेल/ग्राउंड वाटर यूज पॉल‍िसी लाकर व‍िन‍ियम‍ित करने की तैयारी

सूत्र बताते हैं क‍ि हाल ही में पहाड़गंज के गेस्‍ट हॉउस ओनर्स एसोस‍िएशन ने द‍िल्‍ली की जल मंत्री आत‍िशी के साथ एक अहम मीट‍िंग की थी. इस मीट‍िंग में करोल बाग के व‍िधायक व‍िशेष रव‍ि ने भी श‍िरकत की थी. ये पूरा इलाका उनकी व‍िधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है. मंत्री की इस मीट‍िंग में कई अहम फैसले भी ल‍िए गए हैं. ज‍िसमें इन गेस्‍ट हॉउस माल‍िकों को राहत देने के ल‍िए सरकार आने वाले समय में अवैध बोरवेल/ग्राउंड वाटर यूज करने को पॉल‍िसी लाकर व‍िन‍ियम‍ित करने की तैयारी में है.

गेस्ट हाउस मालिक पानी की आपूर्ति के लिए ज्यादातर बोरवेल/सबमर्सिबल पर निर्भर

सूत्रों के मुताब‍िक, पहाड़ गंज गेस्ट हाउस ओनर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने सरकार को बताया क‍ि गेस्ट हाउस मालिकों को अपने परिसर में पानी की आपूर्ति के संबंध में कितनी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. पानी की आपूर्ति के लिए उन्हें ज्यादातर बोरवेल/सबमर्सिबल पर निर्भर हैं. प्रतिनिधियों ने बताया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने भूजल निकालने के लिए उनके कई गेस्ट हाउस प्रतिष्ठानों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 5 के तहत 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इतना ही नहीं अब उनके गेस्‍ट हॉउसों पर सीलिंग की तलवार भी लटकी हुई है.

द‍िल्‍ली अवासीय इलाकों में जलापूर्त‍ि के ल‍िए स‍िर्फ 1050 एमजीडी ट्रीटेड वाटर उपलब्ध

एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने सरकार को अवगत कराया है क‍ि वे द‍िल्‍ली जल बोर्ड से पानी का कनेक्शन लेने को भी तैयार हैं. बावजूद इसके क‍ि द‍िल्‍ली के आवासीय इलाकों में जलापूर्त‍ि करने के ल‍िए स‍िर्फ 1050 एमजीडी ट्रीटेड वाटर उपलब्ध है. द‍िल्‍ली के रेसिडेंश‍ियल एर‍िया में सप्‍लाई करने के ल‍िए यह पानी भी जरूरतों को पूरा करने के लिए कम पड़ जा रहा है. हालांक‍ि, ट्रीटेड वाटर के सप्‍लाई और बढ़ाने की जरूरत है. द‍िल्‍ली में आवासीय इस्‍तेमाल के लिए पानी की भारी कमी है.

बोरवेल का खुलासा करने की आयी थी दस साल पहले योजना

इस दौरान यह बात भी सामने आई है क‍ि भूजल निकासी को नियमित करने के लिए दिल्ली में अक्टूबर 2014 से मार्च 2015 के बीच मौजूदा बोरवेलों के स्वैच्छिक प्रकटीकरण (खुलासा) करने की एक योजना भी लाई गई थी. इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड की 121वीं बोर्ड मीट‍िंग में एक प्रस्‍ताव भी लाया गया था. इस प्रस्‍ताव के जर‍िये एडवाइजरी कमेट‍ियों की ओर से जल बोर्ड को सलाह भी दी गई थी क‍ि ट्यूबवेल/बोरवेल के जर‍िये जमीन से न‍िकाले जाने वाले पानी को लेकर, जहां पर अनुमत‍ि हो, अस्थायी तौर पर वहां पर मासिक शुल्क लगाया जा सकता है. हालांकि, स्वेच्छा से क‍िए गए खुलासे के बाद भी बोरवेल के संबंध में कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया है. इस सबके बाद अब एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने द‍िल्‍ली सरकार से आग्रह क‍िया क‍ि इस मामले में जल्द ही कोई नीतिगत निर्णय लिया जाए.

गेस्ट हाउस मालिकों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करना अनिवार्य

गेस्‍ट हाउस ओनर्स एसोस‍िएशन के प्रत‍िन‍िधियों के साथ चर्चा करने के बाद सरकार ने दो अहम फैसले ल‍िए है. दरअसल, गेस्‍ट हॉउस माल‍िकों के पास पानी को कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं होने और ग्राउंड वाटर के इस्‍तेमाल में असमर्थ होने की वजह से पैदा होने वाले संकट का समाधान न‍िकालने को लेकर सरकार ने इसके दो पहलुओं पर व‍िचार करते हुए न‍िर्णय ल‍िए हैं. इसमें एक तो भूजल स्तर की सुरक्षा के लिए, सभी गेस्ट हाउस मालिकों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि ग्राउंड वाटर की कमी को लगातार पूरा क‍िया जाता रहे. इससे ग्राउंड वाटर लेवल को बनाए रखने में मदद म‍िल सकेगी.

बोरवेलों पर मीटर लगाए जाने की पर व‍िचार

दूसरा अहम न‍िर्णय यह है क‍ि गेस्ट हाउस मालिकों के ल‍िए मौजूदा बोरवेलों के इस्‍तेमाल को रेगुलेट करने को लेकर एक योजना शुरू की जा सकती है और शुल्क लगाने के साथ-साथ भूजल की निकासी को विनियमित करने के लिए बोरवेलों पर मीटर लगाए जा सकते हैं.

मौजूदा बोरवेलों के विनियमन को पॉल‍िसी बनाएंगे -आतिशी

जल मंत्री आत‍िशी ने भूमिगत जल के स्तर में गिरावट के व्यापक प्रभावों के साथ-साथ रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नुकसान के तमाम पहलुओं पर विचार-विमर्श किया है. साथ ही एसोसिएशन को भरोसा दिया ‍है क‍ि द‍िल्‍ली सरकार गेस्‍ट हॉउस माल‍िकों की इन सभी समस्‍याओं को ध्यान में रखते हुए इन मौजूदा बोरवेलों के विनियमन को लेकर एक पॉल‍िसी बनाएगी.

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