मंडी: हिमाचल प्रदेश में बरसात के सीजन के दौरान बाढ़ जैसी घटनाएं बढ़ जाती हैं. अगर इन प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी पहले से ही लग जाए तो इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. ऐसे में प्रदेश में बाढ़ के खतरे को भांपते हुए आईआईटी मंडी के प्रशिक्षुओं ने ऐसा प्रोटोटाइप बनाया है, जो बाढ़ के खतरे की सटीक जानकारी देगा. इन प्रशिक्षुओं ने इसे 'विजन बेस्ड फ्लड वार्निंग सेंसर' का नाम दिया है, जो सेटेलाइट के जरिए से वीडियो के साथ जानकारी उपलब्ध करवाएगा. आईआईटी मंडी के स्टूडेंट ओम माहेश्वरी, गर्वित, वर्णिका, अक्षय, कार्तिक और हारिका ने मिलकर इस प्रोटोटाइप को बनाया है.
प्रशिक्षु ओम माहेश्वेरी ने बताया, "हमने जो प्रोटोटाइप बनाया है, उसमें एक ऐसा सेंसर को लगाया है, जो पानी के जलस्तर के रियल टाइम डाटा को शेयर करेगा. ये सेंसर पुल के नीचे लगेगा और वो जलस्तर की सारी गतिविधि को सेटेलाइट के जरिए से भेजेगा. नदी के सामान्य जलस्तर का डाटा पहले से ज्ञात होगा और बाढ़ की स्थिति में जब जलस्तर बढ़ेगा तो उससे यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि इससे नदी के किनारे पर किन-किन स्थानों में खतरा पैदा होने वाला है. ऐसी स्थिति में समय रहते उन जगहों को खाली करवाया जा सकता है, ताकि वहां पर जान-माल के नुकसान न हो."
10-15 किमी के दायरे में लगाया जाएगा सेंसर
प्रशिक्षु ओम माहेश्वेरी ने बताया कि इससे पहले बाढ़ की स्थिति जांचने वाले सेंसर पानी के बीच नदी में लगाए जाते थे, जो बाढ़ की स्थिति में खुद ही बह जाते थे, लेकिन इनके द्वारा बनाया गया सेंसर नदी के जलस्तर से दूर भी होगा और सुरक्षित तरीके से सारी जानकारी भी सांझा करेगा. यह सेंसर सिर्फ एक ही स्थान पर नहीं लगेंगे, बल्कि हर 10 या 15 किमी के दायरे में इन्हें लगाया जाएगा, ताकि सारी जानकारी सही ढंग से प्राप्त हो सके.
बरसात में हर साल होता है नुकसान
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में बरसात के सीजन के दौरान सभी नदी-नाले उफान पर रहते हैं. हिमाचल में बहुत सी आबादी इन्हीं नदी नालों के आस-पास बसी हुई है. जिसके कारण इन जगहों पर हर साल भारी नुकसान होता है. इन जगहों पर किसी भी तरह के नुकसान को रोकने के लिए आईआईटी के प्रशिक्षुओं द्वारा विजन बेसड फ्लड वार्निंग सेंसर प्रोटोटाइप बनाया गया है, जो कि पूरी जांच परख के बाद सिद्ध हो सकता है.