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कार्बन मुक्त कैंपस बनाने के लिए आईआईटी कानपुर का छावनी परिषद के साथ करार, पढ़िए डिटेल

करार के तहत आईआईटी कानपुर (IIT Cantonment Board Agreement) एक नॉलेज पार्टनर के रूप में प्रतिनिधित्व करते हुए अनुसंधान परियोजनाओं, सेमिनारों और शैक्षिक पहलों का समर्थन करेगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 11:20 AM IST

कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने कार्बन न्यूट्रल कैंपस बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. संयुक्त मिशन में नॉलेज पार्टनर के रूप में काम करने के लिए लखनऊ छावनी परिषद के साथ करार किया है. इसका मकसद स्केलेबल परिसर बनाना है. मॉडल 2070 तक भारत के नेट जीरो इमिशन प्राप्त करने के दृष्टिगत यह कदम उठाया गया है.

एमओयू पर कर्नल मयंक सुंदरियाल, कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), लखनऊ और आईआईटी कानपुर में अनुसंधान और विकास के डीन प्रोफेसर तरुण गुप्ता ने हस्ताक्षर किए. इस दौरान ब्रिगेडियर संजीव कुमार (सीईएलजेड), मेजर अंकित कुमार (जीई ई/एम), अजितेश पांडे जीईपी (पी), प्रोफेसर जेजी राव, एसोसिएट डीन, आरएंडडी, आईआईटी कानपुर, सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग, चंद्रकांत केशवन सेंटर फॉर एनर्जी पॉलिसी एंड क्लाइमेट सॉल्यूशंस और आईआईटी कानपुर के कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी से प्रो. देबोपम दास, प्रो. राजीव जिंदल और प्रो. आकाश सी. राय उपस्थिति रहे. आईआईटी के विशेषज्ञों ने कहा एक नॉलेज पार्टनर के रूप में प्रतिनिधित्व करते हुए, आईआईटी कानपुर पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने और नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अनुसंधान परियोजनाओं, सेमिनारों और शैक्षिक पहलों का समर्थन करेगा.

सतत समाधान पेश करने में आगे हैं संस्थान : आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने कहा कि उत्कृष्टता के लिए लगातार प्रयासरत एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में आईआईटी कानपुर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नवीन और सतत समाधान पेश करने में सबसे आगे है. संस्थान में हाल ही में स्थापित कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी इस दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. लखनऊ छावनी परिषद के साथ यह साझेदारी नेट-जीरो लक्ष्यों और कार्बन न्यूट्रैलिटी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक और पहल है, जो न केवल एक विवेकशील विकल्प है बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता भी है.

करार के दौरान मौजूद आईआईटी के एक्सपर्ट व छावनी परिषद के अफसर.
करार के दौरान मौजूद आईआईटी के एक्सपर्ट व छावनी परिषद के अफसर.

यह परिवर्तनकारी साबित होगी : आईआईटी कानपुर के अनुसंधान और विकास के डीन प्रो. तरुण गुप्ता ने कहा कि आईआईटी कानपुर और लखनऊ छावनी परिषद के बीच यह सहयोग जलवायु परिवर्तन से लड़ने के वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है, जो एक स्थिर, सतत भविष्य बनाने के समर्पण के साथ हमारे विकास पथ को संरेखित करता है. कर्नल मयंक सुंदरियाल, कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), लखनऊ ने कहा कि यह एमओयू लखनऊ छावनी परिषद की प्रगतिशील दृष्टि को दर्शाता है, जो सतत भविष्य के लिए नवीन समाधान अपनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. आईआईटी कानपुर के साथ यह सहयोग और इसकी शैक्षणिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने से परिवर्तनकारी पहल का मार्ग प्रशस्त होगा.

नवाचार की संस्कृति को मिल रहा बढ़ावा : आईआईटी कानपुर में सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग, चंद्रकांत केसवन सेंटर फॉर एनर्जी पॉलिसी एंड क्लाइमेट सॉल्यूशंस और कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के प्रोफेसर राजीव जिंदल ने कहा कि आईआईटी कानपुर का सक्रिय रुख संस्थान को सतत विकास में अग्रणी के रूप में स्थापित करता है, जो अपने शैक्षणिक समुदाय और उससे परे नवाचार और जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देता है.

कार्बन फुटप्रिंट को संतुलित करने में भूमिका निभाएगा संस्थान : आईआईटी कानपुर और लखनऊ छावनी परिषद मिलकर अपशिष्ट कटौती और कार्बन न्यूट्रैलिटी परियोजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू करके समकक्ष संस्थानों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने का इरादा रखते हैं. उनका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने वाले वैश्विक अभियानों का समर्थन करना है. सस्टैनबिलिटी पर जोर देते हुए और डोमेन ज्ञान के साथ, आईआईटी कानपुर कार्बन फुटप्रिंट को संतुलित करने और कम करने के लिए रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

यह भी पढ़ें : रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने पर इमाम के खिलाफ फतवा जारी, फोन पर मिल रहीं धमकियां

कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने कार्बन न्यूट्रल कैंपस बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. संयुक्त मिशन में नॉलेज पार्टनर के रूप में काम करने के लिए लखनऊ छावनी परिषद के साथ करार किया है. इसका मकसद स्केलेबल परिसर बनाना है. मॉडल 2070 तक भारत के नेट जीरो इमिशन प्राप्त करने के दृष्टिगत यह कदम उठाया गया है.

एमओयू पर कर्नल मयंक सुंदरियाल, कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), लखनऊ और आईआईटी कानपुर में अनुसंधान और विकास के डीन प्रोफेसर तरुण गुप्ता ने हस्ताक्षर किए. इस दौरान ब्रिगेडियर संजीव कुमार (सीईएलजेड), मेजर अंकित कुमार (जीई ई/एम), अजितेश पांडे जीईपी (पी), प्रोफेसर जेजी राव, एसोसिएट डीन, आरएंडडी, आईआईटी कानपुर, सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग, चंद्रकांत केशवन सेंटर फॉर एनर्जी पॉलिसी एंड क्लाइमेट सॉल्यूशंस और आईआईटी कानपुर के कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी से प्रो. देबोपम दास, प्रो. राजीव जिंदल और प्रो. आकाश सी. राय उपस्थिति रहे. आईआईटी के विशेषज्ञों ने कहा एक नॉलेज पार्टनर के रूप में प्रतिनिधित्व करते हुए, आईआईटी कानपुर पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने और नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अनुसंधान परियोजनाओं, सेमिनारों और शैक्षिक पहलों का समर्थन करेगा.

सतत समाधान पेश करने में आगे हैं संस्थान : आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने कहा कि उत्कृष्टता के लिए लगातार प्रयासरत एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में आईआईटी कानपुर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नवीन और सतत समाधान पेश करने में सबसे आगे है. संस्थान में हाल ही में स्थापित कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी इस दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. लखनऊ छावनी परिषद के साथ यह साझेदारी नेट-जीरो लक्ष्यों और कार्बन न्यूट्रैलिटी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक और पहल है, जो न केवल एक विवेकशील विकल्प है बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता भी है.

करार के दौरान मौजूद आईआईटी के एक्सपर्ट व छावनी परिषद के अफसर.
करार के दौरान मौजूद आईआईटी के एक्सपर्ट व छावनी परिषद के अफसर.

यह परिवर्तनकारी साबित होगी : आईआईटी कानपुर के अनुसंधान और विकास के डीन प्रो. तरुण गुप्ता ने कहा कि आईआईटी कानपुर और लखनऊ छावनी परिषद के बीच यह सहयोग जलवायु परिवर्तन से लड़ने के वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है, जो एक स्थिर, सतत भविष्य बनाने के समर्पण के साथ हमारे विकास पथ को संरेखित करता है. कर्नल मयंक सुंदरियाल, कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), लखनऊ ने कहा कि यह एमओयू लखनऊ छावनी परिषद की प्रगतिशील दृष्टि को दर्शाता है, जो सतत भविष्य के लिए नवीन समाधान अपनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. आईआईटी कानपुर के साथ यह सहयोग और इसकी शैक्षणिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने से परिवर्तनकारी पहल का मार्ग प्रशस्त होगा.

नवाचार की संस्कृति को मिल रहा बढ़ावा : आईआईटी कानपुर में सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग, चंद्रकांत केसवन सेंटर फॉर एनर्जी पॉलिसी एंड क्लाइमेट सॉल्यूशंस और कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के प्रोफेसर राजीव जिंदल ने कहा कि आईआईटी कानपुर का सक्रिय रुख संस्थान को सतत विकास में अग्रणी के रूप में स्थापित करता है, जो अपने शैक्षणिक समुदाय और उससे परे नवाचार और जिम्मेदारी की संस्कृति को बढ़ावा देता है.

कार्बन फुटप्रिंट को संतुलित करने में भूमिका निभाएगा संस्थान : आईआईटी कानपुर और लखनऊ छावनी परिषद मिलकर अपशिष्ट कटौती और कार्बन न्यूट्रैलिटी परियोजनाओं को कुशलतापूर्वक लागू करके समकक्ष संस्थानों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने का इरादा रखते हैं. उनका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने वाले वैश्विक अभियानों का समर्थन करना है. सस्टैनबिलिटी पर जोर देते हुए और डोमेन ज्ञान के साथ, आईआईटी कानपुर कार्बन फुटप्रिंट को संतुलित करने और कम करने के लिए रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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