कानपुर: देश की सीमाओं पर जो सैनिक होते हैं वह वैसे तो मुस्तैद रहते ही हैं, पर दूसरे देश की सीमाओं में क्या गतिविधियां हो रही हैं, इसे लेकर भी उन्हें बेहद चौकन्ना रहना पड़ता है. सरकार की ओर से समय-समय पर दूसरे देशों की सीमाओं पर गतिविधियों की जानकारी के लिए तमाम तकनीक का प्रयोग किया जाता है.
उसी कड़ी में अब आईआईटी कानपुर की इनक्यूबेटेड कंपनी एथरोन एयरोस्पेस ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जो दूसरे देशों की सीमा में जाकर जानकारी एकत्रित कर सकता है. साथ ही अगर दुश्मन देश इस ड्रोन को पहचान लेते हैं तो उसमें सेल्फ डिस्ट्रक्टेड तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिससे वह ड्रोन फौरन ही डिसबर्स हो जाएगा.
इंडियन नेवी ने ड्रोन को किया ओके: एथरोन एयरोस्पेस के को फाउंडर प्रखर नंदी श्रीवास्तव ने बताया कि ड्रोन को इंडियन नेवी ने मंगा लिया है. आईआईटी कानपुर की ओर से यह प्रोजेक्ट इंडियन नेवी को भेजा गया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है. इंडियन नेवी के पास इस ड्रोन के दो बार सफल ट्रायल हो चुके हैं और तीसरा ट्रायल अभी बाकी हैं.
नदी में डूबने वाले को भी निकाल सकेगा बाहर: प्रखर ने बताया कि दूसरे देशों की सीमा में जाकर जानकारी तो यह ड्रोन जुटा ही लेगा. इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स तकनीक वाली खूबियों वाला यह ड्रोन अगर कहीं पर बाढ़ आई हुई है या फिर कोई शिप डूबती है तो डूबने वाले हर व्यक्ति को चाहे दिन हो या रात या ड्रोन पहचान लेगा. साथ ही उसे बाहर निकलने में पूरी तरीके से मददगार साबित होगा. ड्रोन लाइफसेविंग जैकेट खुद मुहैया कराएगा. हर उस शख्स या शिप को पहचान लेगा, जो खतरे में होगा.
ड्रोन को तैयार करने में कितना आया खर्च: प्रखर ने बताया कि ड्रोन प्रोजेक्ट को तैयार करने में 3.50 करोड़ रुपए का खर्चा आया है. साथ ही इसे डेढ़ साल में तैयार किया गया है. ड्रोन को लेकर लगातार ट्रायल का दौर जारी है. हालांकि नेवी की ओर से हरी झंडी मिलने पर हमने भी राहत की सांस ली है.
पिछले दिनों आईआईटी में हुए अभिव्यक्ति 2024 कार्यक्रम के दौरान जब इस ड्रोन का प्रजेंटेशन किया गया था तो आयोजक समेत अन्य राज्यों से आए स्टार्टअप के विशेषज्ञों ने इस ड्रोन की जमकर सराहाना की थी.