बीकानेर. वास्तु के हिसाब से घर के निर्माण में शांति, सद्भाव और प्रगति होती है. बाथरूम और शौचालय घर के बुनियादी हिस्से हैं जिन्हें कभी-कभी कहीं भी बना दिया जाता है जो नकारात्मक ऊर्जा देता है क्योंकि दोनों स्थानों का वास्तु सिद्धांतों के अनुसार एक विशिष्ट स्थान है. घर में कहीं भी बना बाथरूम स्वास्थ्य और वित्त से संबंधित जटिलताओं और गंभीर समस्याओं को जन्म देता है. प्रसिद्ध वास्तुविद राजेश व्यास बताते हैं कि बाथरूम और शौचालय के निर्माण में वास्तु की जरूरी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. घर में बाथरूम या शौचालय का नवीनीकरण या निर्माण करते समय वास्तु सिद्धांतों का पालन करना महत्वपूर्ण हो जाता है.
- आदर्श रूप से बाथरूम घर के पूर्वी भाग में बनाया जा सकता है.
- पानी की निकासी के लिए पाइप की फिटिंग उत्तर-पूर्व में की जानी चाहिए.
- शौचालय का निर्माण भवन के पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में किया जाना चाहिए.
- बाथरूम में शावर और नल उत्तरी दीवार पर लगाए जा सकते हैं जो दर्पण के लिए भी उपयुक्त है.
- यदि बाथरूम में ही शौचालय जुड़ा हुआ है तो शौचालय पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में तथा जमीन से कुछ इंच ऊपर होना चाहिए.
- गीजर को आदर्शतः दक्षिण-पूर्व कोने में रखा जाना चाहिए.
- बाथटब पश्चिम भाग में होना चाहिए और वॉश बेसिन का प्रावधान उत्तर-पूर्व में किया जा सकता है.
- ओवरहेड टैंक दक्षिण-पश्चिम में होना चाहिए.
- पूर्व या उत्तर दिशा में खिड़कियाँ या वेंटिलेशन होने चाहिए.
- स्नान पश्चिम दिशा में करना चाहिए.
- बाथरूम की दीवारों के लिए चमकीले और सुखदायक रंग चुनें.
- दर्पण हमेशा पूर्व की दीवार पर लगाना चाहिए.
- गंदे कपड़ों को बाथरूम के पश्चिम दिशा में रखना चाहिए.
- यदि अलमारी है तो उसे हमेशा बाथरूम के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए
- बाथरूम के फर्श का ढलान उत्तर और पूर्व की ओर होना चाहिए ताकि पानी बाथरूम के उत्तर-पूर्व की ओर बह जाए.
- वॉशिंग मशीन रखने के लिए उपयुक्त दिशाएं दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम हैं.