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पाकुड़ में हूल दिवस की धूम, संथाल विद्रोह के नायकों को दी गई श्रद्धांजलि - Hul Diwas 2024

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 30, 2024, 2:11 PM IST

Hul Diwas in Pakur.संथाल विद्रोह के नायक सिद्धो कान्हू की याद में पाकुड़ में हूल दिवस मनाया गया. इस दौरान अधिकारियों ने सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया.

Hul Diwas 2024
पाकुड़ में हूल दिवस पर सिद्धो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते एसपी. (फोटो-ईटीवी भारत)

पाकुड़: जिले में हूल दिवस धूमधाम से मनाया गया. डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल, एसपी प्रभात कुमार सहित पदाधिकारियों, छात्र संगठनों, आदिवासी संगठनों के अलावे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने संथाल हूल के नायक शहीद सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

पाकुड़ में हूल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की जानकारी देते संवाददाता टिंकू दत्ता. (वीडियो-ईटीवी भारत)

आदिवासी समाज की ओर से झांकी और शोभा यात्रा निकाली गई

जिला मुख्यालय के सिद्धो-कान्हू मुर्मू पार्क स्थित सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने ग्रामीण इलाकों से भी ग्राम प्रधान, नायकी, गुड़ित के अलावे पंचायत प्रतिनिधि पहुंचे थे. आदिवासी महिलाओं ने पारंपरिक रीति- रिवाज से सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव की प्रतिमा की पूजा-अर्चना की. मौके पर जिला मुख्यालय में आदिवासी महिला, पुरुष और छात्र-छात्राओं ने झांकी और शोभा यात्रा निकाली. वहीं विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने डुमरिया में तो विधायक स्टीफन मरांडी ने महेशपुर, पाकुड़िया में सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.

संथाल के महानायकों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया नमन

जिले के महेशपुर, अमड़ापाड़ा, लिट्टीपाड़ा, हिरणपुर, पाकुड़िया प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में आम सहित खास लोगों के अलावे राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी सिद्धो-कान्हू और चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी.

30 जून 1855 को हुआ था संथाल विद्रोह

बता दें कि पूरे संथाल परगना प्रमंडल में 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है. 30 जून 1855 में सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव के नेतृत्व में आदिवासियों ने ब्रिटिश हुकूमत और महाजनों के शोषण के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका था. यह आंदोलन संथाल परगना के साथ पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में हुआ था. इस क्रांति ने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला कर रख दी थी. इस आंदोलन में हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.

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पाकुड़ में हूल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की जानकारी देते संवाददाता टिंकू दत्ता. (वीडियो-ईटीवी भारत)

आदिवासी समाज की ओर से झांकी और शोभा यात्रा निकाली गई

जिला मुख्यालय के सिद्धो-कान्हू मुर्मू पार्क स्थित सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने ग्रामीण इलाकों से भी ग्राम प्रधान, नायकी, गुड़ित के अलावे पंचायत प्रतिनिधि पहुंचे थे. आदिवासी महिलाओं ने पारंपरिक रीति- रिवाज से सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव की प्रतिमा की पूजा-अर्चना की. मौके पर जिला मुख्यालय में आदिवासी महिला, पुरुष और छात्र-छात्राओं ने झांकी और शोभा यात्रा निकाली. वहीं विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने डुमरिया में तो विधायक स्टीफन मरांडी ने महेशपुर, पाकुड़िया में सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.

संथाल के महानायकों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया नमन

जिले के महेशपुर, अमड़ापाड़ा, लिट्टीपाड़ा, हिरणपुर, पाकुड़िया प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में आम सहित खास लोगों के अलावे राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी सिद्धो-कान्हू और चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी.

30 जून 1855 को हुआ था संथाल विद्रोह

बता दें कि पूरे संथाल परगना प्रमंडल में 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है. 30 जून 1855 में सिद्धो-कान्हू, चांद-भैरव के नेतृत्व में आदिवासियों ने ब्रिटिश हुकूमत और महाजनों के शोषण के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका था. यह आंदोलन संथाल परगना के साथ पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में हुआ था. इस क्रांति ने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला कर रख दी थी. इस आंदोलन में हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.

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