महासमुंद: एक वक्त था जब खल्लारी इलाके में बहू बेटियों का नशेड़ियों ने चलना मुश्किल कर दिया था. महिलाएं अपने ही गांव में छिपकर निकलती थीं. पूरे गांव पर नशेड़ियों का पहरा होता था. रात होते ही नशेड़ी जैसे जाग जाते थे. महिलाओं को बुरी नजर से देखना और फब्तियां कसना आम बात हो चुकी थी. पुलिस से भी शिकायत हुई. अफसरों को भी शिकायत पहुंचाई गई. पुलिस वाले कुछ दिन गांव में एक्टिव रहे फिर हालात जस के तस हो गए. आखिरकार गांव की महिलाओं का गुस्सा एक दिन फूट पड़ा. महिलाओं ने खुद ये ठान लिया कि अब जो भी करना है हमें ही करना है. गांव की महिलाओं ने मिलकर शराबियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. शाम ढलते ही गांव की महिला कमांडो की टीम लाठी डंडों से लैस होकर निकल पड़ती है.
महिला कमांडों बनीं गांव की महिलाएं: जिन गांव की गलियों में शराबियों के डर से बहू बेटियां घर से निकलना गंवारा नहीं करती थी. आज उन गलियों में बेटियां फर्राटे से ट्यूशन जाने के लिए साइकिलें दौड़ाती हैं. इन महिला कमाडों का नशेड़ियों के बीच इतना खौफ है कि वो गांव के आस पास भी अब नहीं फटकते हैं. गांव की महिलाओं को जैसे ही खबर लगती है कि कहीं शराबियों ने अड्डा जमाया तो ये तुरंत वहां पर पहुंच जाती हैं. महिलाएं शाम होते ही अपने घर का काम काज निपटा कर गांव के चौक चौराहों पर पहरा देने निकल पड़ती हैं. इन महिला कमांडो का खौफ इतना ज्यादा है कि अवैध शराब का कारोबार करने वाले भी अपने अपने घरों में दुबक गए हैं.
नशे की आगोश में आते जा रहे थे गांव के युवा: गांव की महिलाओं का कहना है कि युवाओं में तेजी से गांजे और शराब की लत लगती जा रही थी. शाम होते ही युवा और मर्द शराब के नशे में चूर होकर गलियों में लड़ाई झगड़ा करते मिलते थे. कई किसानों के घर शराब और नशे के चलते टूटने लगे. नशे की लत के चलते चोरी और मारपीट की घटनाएं भी बढ़ने लगी. गांव में और गांव के आस पास नशे के सौदागरों का अड्डा बनने लगा. किसान और मजदूर जो कमाते उसे नशे में उड़ाने लगे थे. बच्चों का भविष्य बचाने और घर को जोड़े रखने के लिए महिलाओं को मैदान में उतरना पड़ा.
टूट गया सब्र का बांध: सालों से खल्लारी के ग्रामीण पुलिस से नशे के खिलाफ शिकायत करते आ रहे हैं. पुलिस शिकायत मिलने के कुछ दिनों तक गश्त करती है उसके बाद बैठ जाती है. गांव के लोग पुलिस को शिकायत देते देते परेशान हो गए. जब बच्चों का भविष्य बिगड़ने लगा तब महिलाओं के सब्र का बांध भी टूट गया. महिलाओं ने खुद पर भरोसा किया और खुद गांव का भविष्य बचाने के लिए लाठी लेकर गांव की गलियों में उतर आईं.
पुलिस के दावों का निकला दम: पुलिस जरूर ये दावा कर रही है कि शिकायत के बाद वो कार्रवाई करती है. सवाल ये उठता है कि अगर पुलिस शुरु से ही एक्टिव होती तो आज गांव की इन महिलाओं को चूल्हा चौका छोड़कर लाठी डंडों से लैस होकर महिला कमांडों नहीं बनना पड़ता.