पटनाः बिहार में बाढ़ से हर साल करोड़ों का नुकसान हो रहा है. बाढ़ बिहार के लिए पुरानी समस्या है. इसी समस्या से निपटने के लिए 60 साल पहले गंडक और कोसी पर बराज बनाए गए थे. उत्तर बिहार में तटबंध की लंबाई और ऊंचाई भी बढ़ाई गई लेकिन बाढ़ को नहीं रोका जा सका. इस साल जिस प्रकार नेपाल से रिकॉर्ड 6.6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है. इसलिए सरकार चार नए बाराज बनाने की बात कही रही है. कोसी और गंडक दोनों बाराज की क्षमता की फिर से अब जांच होगी.
अलग-अलग सुझाव दे रहे विशेषज्ञः उत्तर बिहार में बाढ़ लेकर विशेषज्ञ अपने-अपने सुझाव देते हैं. राजनेता अपने तरीके से राजनीति करते हैं. यही कारण है कि 60 साल पहले दो बराज बनने के बाद उत्तर बिहार में कोई बड़ा कदम अब तक नहीं उठाया गया है. दोनों बाराज की उम्र भी अब समाप्त हो चुकी है. विशेषज्ञ तो यह भी कहते हैं कि भाखड़ा नांगल बांध और कोसी डैम बनाने की चर्चा एक साथ हुई थी लेकिन कोसी डैम नहीं बना. भाखड़ा नांगल बांध बना और उस क्षेत्र की कायाकल्प हो गई.
कोसी और गंडक तेवर से चिंताः उत्तर बिहार में हर साल डेढ़ दर्जन जिले के लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं. हजारों करोड़ की संपत्ति बर्बाद होती ही है. लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं. इसबार भी कोसी वीरपुर बराज और गंडक बाल्मीकि नगर बराज में जिस प्रकार से नेपाल से पानी आया सरकार की भी नींद उड़ा दी है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिलकर बिहार में कोसी नदी को लेकर एक नया बांध बनाने की मांग की है. बिहार जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने चार नये बराज बनाने की घोषणा की है.
"इसे विकल्प कह सकते हैं. इन्हीं नदियों पर दूसरा बराज बनाने की योजना बना रहे हैं. बागमती, कोसी, डगमारा, आदि नदियों में बरामज बनाने की योजना है. इस बार की बाढ़ को देखते हुए हमलोग और तेजी गति से काम करेंगे." -विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री, बिहार
नेपाल में डैम निर्माण का मामलाः जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा के सांसद जब बिहार में जल संसाधन मंत्री थे तब उनका कहना था कि नेपाल में जब तक डैम नहीं बनेगा, उत्तर बिहार को बाढ़ से निजात नहीं मिलेगी. कोसी को नियंत्रित करने के लिए नेपाल में डैम बनाना जरूरी है. कोसी को लेकर नेपाल में डैम बने यह आज का मामला नहीं है. पिछले कई दशक से नेपाल में डैम बनने की चर्चा हो रही है लेकिन नेपाल सरकार इसके लिए मानने को तैयार नहीं है. इसके भी कई कारण हैं.
नेपाल में नहीं बन सकता डैमः दशकों से बाढ़ जैसी आपदा पर काम करने वाले आईआईटियन दिनेश मिश्रा का कहना है 8 दशक हो गए जब नेपाल में डैम बनाने की चर्चा हो रही है. दिनेश मिश्रा का तो यहां तक कहना है भाखड़ा नांगल और कोसी डैम की एक साथ चर्चा हो रही थी, लेकिन भाखड़ा नांगल बांध का निर्माण हो गया और बिहार कोसी डैम बनाने में चूक गया. उस समय नेपाल के भूकंप के डेंजर जोन में होने का एक बड़ा कारण भी बताया गया. सेना के तरफ से भी कहा गया था कि यदि डैम भूकंप के कारण टूटती है या दरार पड़ती है तो भागलपुर तक बिहार बर्बाद हो जाएगा.
"विजय चौधरी डगमरा में बराज निर्माण की बात कर रहे हैं. 60 साल पहले भी इसके निर्माण की चर्चा हुई थी. नदियों को जोड़ने के लिए भी कई बार चर्चा होती रही है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना आज की नहीं है, लेकिन इससे कोसी की बाढ़ को रोकना संभव नहीं है. कोसी मेची नहर बन जाए और मानसून में पानी अधिक आ गया तब इसका नियंत्रण कैसे होगा. कोसी 22-23 धाराओं में बहती थी. जब अंग्रेज कोसी को लेकर कई योजना पर काम करना चाहते थे लेकिन कर नहीं सके. मेरी समझ से कोसी में वीरपुर से कुरसेला तक बिहार में एक बांध बांध दिया जाए." -दिनेश मिश्रा, आईआईटियन
'धारा को पुनर्जीवित कर हो सकता है नियंत्रण': बाढ़ को लेकर कोसी क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे एक्टिविस्ट महेंद्र यादव का कहना है कि कोसी की कई धारा है. फिर से सभी धारा को पुनर्जीवित कर दिया जाए तो कोसी का बेग कम हो जाएगा. लोगों की परेशानी जरूर कुछ समय के लिए बढ़ सकती है, लेकिन बहुत ज्यादा उससे नुकसान नहीं होगा. कोसी और गंडक में नेपाल से जितना पानी इस बार आया है उसके बाद सियासत भी हो रही है. जन स्वराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने भी कहा है कि उत्तर बिहार में बाढ़ से निजात दिलाएंगे.
नेपाल में क्यों नहीं बन रहा है कोसी पर डैमः पिछले 8 दशक से भी अधिक समय से कोसी पर डैम बनाने की चर्चा हो रही है लेकिन नेपाल डेंजर भूकंप जोन में है. यह एक बड़ा कारण है. दूसरा अंतर्राष्ट्रीय मामला है. बिहार चाह कर भी इसमें बहुत बड़ी भूमिका नहीं निभा सकता है. तीसरा इसमें एक बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी. कुल मिलाकर केंद्र सरकार चाहेगी तभी नेपाल के कोसी इलाके में डैम बन सकता है.
बाढ़ मैनेजमेंट में गाद भी बड़ी समस्याः कोसी नदी सबसे अधिक गाद लाती है. यह एक बड़ा कारण है. जिसके कारण नदियों का तल भर गया है. बिहार सरकार के तरफ से लंबे समय से केंद्र से गाद पॉलिसी तैयार करने की मांग हो रही है. इस पर भी अभी तक कोई कारगर पहल नहीं हुआ है. क्योंकि जितने बड़े पैमाने पर और आधुनिक टेक्नोलॉजी का इसमें प्रयोग होगा वह बिहार के लिए संभव नहीं है. बिना केंद्र की मदद से छुटकारा नहीं मिल सकता है.
नदी जोड़ योजना भी लटकीः कोसी नदी और मेची नदी को जोड़ने के लिए लंबे समय से चर्चा हो रही है. इसे भी बाढ़ नियंत्रण के तौर पर देखा जाता है. केंद्र सरकार ने इस योजना की अनुमति भी दे दी है. 60 और 40 के अनुपात में केंद्र और राज्य को इस पर खर्च करना है. लेकिन अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ है. बिहार सरकार की डिमांड है कि 90:10 के अनुपात में है. लेकिन केंद्र सरकार सहमति नहीं दी है. यही कारण है कि कोसी मेची नदी जोड़ योजना पर काम बहुत आगे नहीं बढ़ा है.
केंद्र सरकार की तरफ से हो रही इस साल पहलः ऐसे इस वर्ष के केंद्रीय बजट में पहली बार बिहार को बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान के लिए राशि उपलब्ध कराई गई है. उसी के तहत तहत ढेंग, तैयबपुर, अरेराज और डगमारा में बराज निर्माण की योजना बनाई जा रही है लेकिन कोसी वीरपुर बराज और गंडक बाराज में जिस प्रकार से नेपाल से पानी आया है इस बार और उत्तर बिहार में कई जिलों को बाढ़ से प्रभावित किया है सरकार की परेशानी बढ़ी हुई है.
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