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कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के बाद फिर से खास वोट बैंक के लिए BJP का मास्टर स्ट्रोक, जानें कितना होगा फायदा - Bihar BJP

Bihar BJP: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा की नजर अतिपिछड़ा वोट बैंक पर है. अति पिछड़ा समाज से आने वाले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के बाद एक बार फिर भाजपा ने मास्ट स्ट्रोक खेला है. इसबार अति पिछड़ा समाज से आने वाले दो नेता को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया है. पढ़ें पूरी खबर.

बिहार में जातियों की राजनीति
बिहार में जातियों की राजनीति
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 14, 2024, 10:00 PM IST

बिहार में जातियों की राजनीति

पटनाः बिहार में जातियों की राजनीति काफी समय से होती आ रही है. जिस जाति के वोटर ज्यादा हैं, उसी जाति के नेताओं को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल हो सके. बिहार में जाति की बात करें तो अति पिछड़ा समाज सबसे बड़ा है. जो 13 करोड़, 7 लाख, 25 हजार 310 का 36.01 % है. बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियां की नजर इसपर है. उसी हिसाब से नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है.

जातिगत वोट पर नजरः जातीय सर्वे होने के बाद यह और आसान हो गया है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक खेलना शुरू कर दिया. जो भाजपा महागठबंधन सरकार में हुए जातीय सर्वे का विरोध कर रही थी. वही भाजपा रिपोर्ट पेश होते ही लाभ उठाना शुरू कर दी थी. अब तो बिहार में भाजपा ने जदयू के साथ मिलकर सरकार बना ली है तो खुलकर जातिगत वोट पर नजर टिकायी हुई है.

अति पिछड़ा को बनाया हथियारः बिहार का सबसे बड़ा समाज अति पिछड़ा वोट बैंक पर नजर रखना राजनीतिक दलों के लिए मजबूरी बन गई है. हाल में केंद्र सरकार ने अति पिछड़ा समाज से आने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया देने की घोषणा की है. इसके बाद प्रतिनिधित्व देने में भी तत्परता दिखाई है. राज्यसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में भाजपा अपने दोनों सीटों पर अतिपिछड़ा को उम्मीदवार बनाया है.

अति पिछड़ा महिला वोट पर भी नजरः भाजपा ने एक तीर से कई निशाना साधा है. एक ओर अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले समाजवादी नेता भीम सिंह को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है तो वहीं दूसरी तरफ लंबे अर्शे के बाद किसी अति पिछड़ा समाज से आने वाली महिला को राज्यसभा के लिए चयन किया गया है. इससे अतिपिछड़ा समाज के पुरुष और महिला वोंटरों पर कब्जा करने की तैयारी शुरू हो गई है.

काफी समय बाद राज्यसभा जाएगी महिलाः बिहार भाजपा ने लंबे अरसे के बाद किसी महिला को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है. राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनी धर्मशिला गुप्ता इससे काफी खुश हैं. दरभंगा की रहने वाली धर्मशिला गुप्ता भी अति पिछड़ा समुदाय से आती है. फिलहाल बिहार भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं. वार्ड पार्षद का चुनाव जीतने के से राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. इसके बाद अब राज्यसभा जाने की तैयारी है. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने इससे लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद दिया है.

"मेरे ससुर जगदीश चंद्र जी चार बार दरभंगा जिला के अध्यक्ष रहे थे. मैं जनसंघ परिवार से हूं. मेरे लिए पार्टी सबसे पहले है. उसके बाद परिवार है. पीएम मोदी के इस फैसले से पूरा वैश्य परिवार खुश है. पहली बार किसी महिला को बिहार से राज्यसभा भेजा जाना महिलाओं के लिए भी प्रसन्नता की बात है." -धर्मशिला गुप्ता, राज्यसभा उम्मीदवार

'भाजपा के साथ अति पिछड़ा वोटर्स': समाजवादी नेता भीम सिंह भी अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं. भीम सिंह नीतीश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 3 साल पहले इन्होंने विधान परिषद की सदस्यता छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे. भीम सिंह 7 साल पहले भाजपा में शामिल हुए थे और संगठन में फिलहाल उपाध्यक्ष के पद पर हैं. भाजपा में भीम सिंह को राज्यसभा के लिए नामित कर अति पिछड़ों को रिझाने की कोशिश की है. भीम सिंह ने दावा किया है कि अति पिछड़ा वोटर्स भाजपा के साथ जाएगी.

"मुझ जैसे कार्यकर्ता को राज्यसभा भेजने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का आभारी हूं. दोनों उम्मीदवार अति पिछड़ा समाज से हैं. पहले से भी अति पिछड़ा वोट बीजेपी को मिलता रहा है. इस फैसले के बाद बिहार की 40 सीट एनडीए के खाते में आएगी. अति पिछड़ा समाज एनडीए के पक्ष में एकजुट रहेगा." -भीम सिंह, राज्यसभा उम्मीदवार

क्या कहते हैं विशेषज्ञः वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में भाजपा के लिए कठिन चुनौती थी. दरअसल, नीतीश कुमार के पलटने से अति पिछड़ा समाज के साथ-साथ कई वोटर नाराज हो गए हैं. ऐसे में वोटरों की नाराजगी को कम करने के लिए भाजपा अपना मास्ट स्ट्रोक चला रही है. इसके साथ-साथ अति पिछड़ा वोटरों को अपने साइड किया जा सकेगा. इससे आने वाले लोकसभा चुनाव में काफी फायदा होगा.

" भाजपा के पास चुनौती थी कि नीतीश कुमार को एनडीए में लाने के बाद कार्यकर्ताओं की नाराजगी को कैसे कम किया जाए. दोनों कार्यकर्ताओं को राज्यसभा भेज कर उनकी नाराजगी कम करने की कोशिश की गई. दूसरी तरफ अति पिछड़ा समुदाय को भी साधने की कोशिश की गई. पार्टी कार्यकर्ताओं में फैसले से उत्साह का संचार हुआ है. चुनाव में इससे काफी फायदा होगा." -कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

यह भी पढ़ेंः ये हैं बिहार BJP के तीन वरीष्ठ नेता, दो जल्द संभालेंगे बड़ी जिम्मेदारी, तीसरे का क्या होगा भविष्य? देखें रिपोर्ट

बिहार में जातियों की राजनीति

पटनाः बिहार में जातियों की राजनीति काफी समय से होती आ रही है. जिस जाति के वोटर ज्यादा हैं, उसी जाति के नेताओं को बड़ी-बड़ी जिम्मेदारी दी जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल हो सके. बिहार में जाति की बात करें तो अति पिछड़ा समाज सबसे बड़ा है. जो 13 करोड़, 7 लाख, 25 हजार 310 का 36.01 % है. बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियां की नजर इसपर है. उसी हिसाब से नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है.

जातिगत वोट पर नजरः जातीय सर्वे होने के बाद यह और आसान हो गया है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने मास्टर स्ट्रोक खेलना शुरू कर दिया. जो भाजपा महागठबंधन सरकार में हुए जातीय सर्वे का विरोध कर रही थी. वही भाजपा रिपोर्ट पेश होते ही लाभ उठाना शुरू कर दी थी. अब तो बिहार में भाजपा ने जदयू के साथ मिलकर सरकार बना ली है तो खुलकर जातिगत वोट पर नजर टिकायी हुई है.

अति पिछड़ा को बनाया हथियारः बिहार का सबसे बड़ा समाज अति पिछड़ा वोट बैंक पर नजर रखना राजनीतिक दलों के लिए मजबूरी बन गई है. हाल में केंद्र सरकार ने अति पिछड़ा समाज से आने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया देने की घोषणा की है. इसके बाद प्रतिनिधित्व देने में भी तत्परता दिखाई है. राज्यसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में भाजपा अपने दोनों सीटों पर अतिपिछड़ा को उम्मीदवार बनाया है.

अति पिछड़ा महिला वोट पर भी नजरः भाजपा ने एक तीर से कई निशाना साधा है. एक ओर अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले समाजवादी नेता भीम सिंह को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है तो वहीं दूसरी तरफ लंबे अर्शे के बाद किसी अति पिछड़ा समाज से आने वाली महिला को राज्यसभा के लिए चयन किया गया है. इससे अतिपिछड़ा समाज के पुरुष और महिला वोंटरों पर कब्जा करने की तैयारी शुरू हो गई है.

काफी समय बाद राज्यसभा जाएगी महिलाः बिहार भाजपा ने लंबे अरसे के बाद किसी महिला को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है. राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनी धर्मशिला गुप्ता इससे काफी खुश हैं. दरभंगा की रहने वाली धर्मशिला गुप्ता भी अति पिछड़ा समुदाय से आती है. फिलहाल बिहार भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं. वार्ड पार्षद का चुनाव जीतने के से राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. इसके बाद अब राज्यसभा जाने की तैयारी है. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने इससे लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद दिया है.

"मेरे ससुर जगदीश चंद्र जी चार बार दरभंगा जिला के अध्यक्ष रहे थे. मैं जनसंघ परिवार से हूं. मेरे लिए पार्टी सबसे पहले है. उसके बाद परिवार है. पीएम मोदी के इस फैसले से पूरा वैश्य परिवार खुश है. पहली बार किसी महिला को बिहार से राज्यसभा भेजा जाना महिलाओं के लिए भी प्रसन्नता की बात है." -धर्मशिला गुप्ता, राज्यसभा उम्मीदवार

'भाजपा के साथ अति पिछड़ा वोटर्स': समाजवादी नेता भीम सिंह भी अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं. भीम सिंह नीतीश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 3 साल पहले इन्होंने विधान परिषद की सदस्यता छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे. भीम सिंह 7 साल पहले भाजपा में शामिल हुए थे और संगठन में फिलहाल उपाध्यक्ष के पद पर हैं. भाजपा में भीम सिंह को राज्यसभा के लिए नामित कर अति पिछड़ों को रिझाने की कोशिश की है. भीम सिंह ने दावा किया है कि अति पिछड़ा वोटर्स भाजपा के साथ जाएगी.

"मुझ जैसे कार्यकर्ता को राज्यसभा भेजने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का आभारी हूं. दोनों उम्मीदवार अति पिछड़ा समाज से हैं. पहले से भी अति पिछड़ा वोट बीजेपी को मिलता रहा है. इस फैसले के बाद बिहार की 40 सीट एनडीए के खाते में आएगी. अति पिछड़ा समाज एनडीए के पक्ष में एकजुट रहेगा." -भीम सिंह, राज्यसभा उम्मीदवार

क्या कहते हैं विशेषज्ञः वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में भाजपा के लिए कठिन चुनौती थी. दरअसल, नीतीश कुमार के पलटने से अति पिछड़ा समाज के साथ-साथ कई वोटर नाराज हो गए हैं. ऐसे में वोटरों की नाराजगी को कम करने के लिए भाजपा अपना मास्ट स्ट्रोक चला रही है. इसके साथ-साथ अति पिछड़ा वोटरों को अपने साइड किया जा सकेगा. इससे आने वाले लोकसभा चुनाव में काफी फायदा होगा.

" भाजपा के पास चुनौती थी कि नीतीश कुमार को एनडीए में लाने के बाद कार्यकर्ताओं की नाराजगी को कैसे कम किया जाए. दोनों कार्यकर्ताओं को राज्यसभा भेज कर उनकी नाराजगी कम करने की कोशिश की गई. दूसरी तरफ अति पिछड़ा समुदाय को भी साधने की कोशिश की गई. पार्टी कार्यकर्ताओं में फैसले से उत्साह का संचार हुआ है. चुनाव में इससे काफी फायदा होगा." -कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

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