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अल्मोड़ा जेल में अंडरवर्ल्ड डॉन पीपी कैसे बन गया महंत? गृह विभाग ने बिठाई जांच - Underworld don Prakash Pandey

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 9, 2024, 2:49 PM IST

Investigation into the initiation of Prakash Pandey PP in Almora Jail 5 सितंबर को अल्मोड़ा जेल में अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को जेल में दीक्षा देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. गृह विभाग ने इस मामले पर जांच बिठा दी है और एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही जेल प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि कैदियों को कैदियों की तरह ही रहने दिया जाए, जब तक उनकी सजा पूरी नहीं हो जाती.

Prakash Pandey PP in Almora Jail
देहरादून समाचार (Photo- ETV Bharat)

देहरादून: अल्मोड़ा जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को जेल में जाकर दीक्षा देने का मामला तूल पकड़ने के बाद अब इस मामले में गृह विभाग ने जांच बिठा दी है. पुलिस अब इस बात की जांच करेगी कि आखिरकार कैसे जेल के अंदर एक माफिया डॉन न केवल संत बन गया, बल्कि संत बनने की प्रक्रिया को किसने पूरा करने दिया. इस प्रकरण के बाद न केवल जेल प्रशासन पर बल्कि संत समाज पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.

पीपी मामले की जांच के आदेश: प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को संत बनाए जाने को लेकर पिछले 4 दिनों से प्रदेश में मामला गर्म हुआ है. कथित तौर पर आखिरकार किसने कारागार के अंदर यह सब काम किया, इसकी अब जांच की जाएगी. विशेष सचिव रिद्धिमा अग्रवाल की तरफ से जारी किए गए निर्देश में जानकारी दी गई है कि जेल के अंदर यह सब आखिरकार किसने कराया क्यों कराया और किसकी इजाजत से कराया, उसको लेकर हमने जांच बिठा दी है. हमने अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग को जांच के लिए जिम्मेदारी सौंपी है.

एक हफ्ते में मांगी जांच रिपोर्ट: हमने विभाग से यह भी कहा है कि इस पूरे मामले की जांच की रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर शासन को मिल जानी चाहिए. इतना ही नहीं सभी जिलों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि जेल के अंदर इस तरह की कोई भी गतिविधि अगर हुई, तो जेल प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा. आगे से सभी यह सुनिश्चित करें कि कैदियों को कैदियों की तरह ही रहने दिया जाए, जब तक उनकी सजा पूरी नहीं हो जाती.

संतों और राजनीतिक दलों ने जताया था विरोध: आपको बता दें कि 5 सितंबर के दिन कुछ संतों ने अल्मोड़ा जेल के अंदर जाकर कुख्यात अपराधी प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को दीक्षा देने का दावा किया था. बाकायदा उसका नामकरण प्रकाश पांडे की जगह प्रकाशानंद गिरि कर दिया गया था. इतना ही नहीं उसको मुनस्यारी और आसपास के मठ मंदिरों की जिम्मेदारी भी दे दी गई थी. इस मामले में न केवल राजनीति के दल कूद पड़े थे, बल्कि संत समाज ने भी इसको गलत ठहराया था. अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने कहा था कि इस तरह की गतिविधियां संत समाज में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. जिन लोगों ने यह दीक्षा दिलवाई है, उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि आखिरकार किसके निर्देश पर यह सभी कार्य किए गए हैं.

बेहद खतरनाक अपराधी रहा है प्रकाश पांडेय उर्फ पीपी: प्रकाश पांडे उर्फ पीपी का इतिहास किसी से छुपा नहीं है. 90 के दशक में गैंगस्टर प्रकाश पांडे उर्फ पीपी का खौफ उत्तराखंड से लेकर मुंबई तक था. छोटा राजन के साथ काम करने वाला पीपी इतना खतरनाक अपराधी था कि, कहा जाता है वह दो बार दाऊद इब्राहिम को मारने के लिए कराची तक पहुंच गया था. ऐसे में इतने बड़े अपराधी को जो जेल की सलाखों के पीछे है, उसे संत समाज में इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपना विवाद का कारण बनना ही था.
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पीपी मामले की जांच के आदेश: प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को संत बनाए जाने को लेकर पिछले 4 दिनों से प्रदेश में मामला गर्म हुआ है. कथित तौर पर आखिरकार किसने कारागार के अंदर यह सब काम किया, इसकी अब जांच की जाएगी. विशेष सचिव रिद्धिमा अग्रवाल की तरफ से जारी किए गए निर्देश में जानकारी दी गई है कि जेल के अंदर यह सब आखिरकार किसने कराया क्यों कराया और किसकी इजाजत से कराया, उसको लेकर हमने जांच बिठा दी है. हमने अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग को जांच के लिए जिम्मेदारी सौंपी है.

एक हफ्ते में मांगी जांच रिपोर्ट: हमने विभाग से यह भी कहा है कि इस पूरे मामले की जांच की रिपोर्ट एक हफ्ते के अंदर शासन को मिल जानी चाहिए. इतना ही नहीं सभी जिलों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि जेल के अंदर इस तरह की कोई भी गतिविधि अगर हुई, तो जेल प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा. आगे से सभी यह सुनिश्चित करें कि कैदियों को कैदियों की तरह ही रहने दिया जाए, जब तक उनकी सजा पूरी नहीं हो जाती.

संतों और राजनीतिक दलों ने जताया था विरोध: आपको बता दें कि 5 सितंबर के दिन कुछ संतों ने अल्मोड़ा जेल के अंदर जाकर कुख्यात अपराधी प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को दीक्षा देने का दावा किया था. बाकायदा उसका नामकरण प्रकाश पांडे की जगह प्रकाशानंद गिरि कर दिया गया था. इतना ही नहीं उसको मुनस्यारी और आसपास के मठ मंदिरों की जिम्मेदारी भी दे दी गई थी. इस मामले में न केवल राजनीति के दल कूद पड़े थे, बल्कि संत समाज ने भी इसको गलत ठहराया था. अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने कहा था कि इस तरह की गतिविधियां संत समाज में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. जिन लोगों ने यह दीक्षा दिलवाई है, उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा कि आखिरकार किसके निर्देश पर यह सभी कार्य किए गए हैं.

बेहद खतरनाक अपराधी रहा है प्रकाश पांडेय उर्फ पीपी: प्रकाश पांडे उर्फ पीपी का इतिहास किसी से छुपा नहीं है. 90 के दशक में गैंगस्टर प्रकाश पांडे उर्फ पीपी का खौफ उत्तराखंड से लेकर मुंबई तक था. छोटा राजन के साथ काम करने वाला पीपी इतना खतरनाक अपराधी था कि, कहा जाता है वह दो बार दाऊद इब्राहिम को मारने के लिए कराची तक पहुंच गया था. ऐसे में इतने बड़े अपराधी को जो जेल की सलाखों के पीछे है, उसे संत समाज में इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपना विवाद का कारण बनना ही था.
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