जयपुर. गो संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से इस बार छोटी काशी में 2500 से ज्यादा स्थान पर इको फ्रेंडली होली का आयोजन किया जा रहा है. इसके तहत करीब 5000 क्विंटल गोकाष्ठ से होलिका दहन होगा. इससे करीब 3000 पेड़ों को बचाया जा सका है. वहीं, कई गौशालाओं को आर्थिक रूप से संबल मिला है. यही नहीं इस बार करीब 150 किलो गोकाष्ठ राज्यपाल को भी भेंट की गई है, ताकि राज भवन में भी गोकाष्ठ से ही होलिका दहन हो.
गोकाष्ठ से होलिका दहन की जाए : राजधानी में इस बार गोकाष्ठ से होलिका दहन करने के लिए बड़ी संख्या में समाज आगे आया है. अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के संयोजक डॉ. अतुल गुप्ता बताया कि रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर उन्हें गौ माता के गोबर से बनी हुई गोकाष्ठ भेंट की. साथ ही उन्हें निवेदन किया है कि राजभवन में गोकाष्ठ से ही होलिका दहन की जाए. उन्होंने बताया कि जयपुर शहर में पिंजरापोल गौशाला की ओर से करीब 500 स्थान पर गौ माता के गोबर की लकड़ी होलिका दहन के लिए पहुंचाई गई है. इसके अलावा अन्य गौशालाओं से भी करीब 2000 स्थान पर गोकाष्ठ से होलिका दहन होगा.
गोबर से लकड़ी बनाने का काम : प्रदेश की अनेक गौशालाएं इस कार्य से जुड़कर पर्यावरण को बचाने पेड़ों की कटाई रोकने और कार्बन डाई गैस से होने वाले रोगों से बचाव किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पूरे राजस्थान राज्य और भारत के कई हिस्सों में कई गौशाला और स्वयं सहायता समूह गौ माता के गोबर से लकड़ी बनाने का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही गोबर का व्यवसायीकरण करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है. वहीं, प्रदेश के राज्यपाल ने भी आश्वस्त किया है कि वो राजस्थान और भारत में भी गोकाष्ठ और गोउत्पादों का प्रचार-प्रसार करने में सहयोग प्रदान करेंगे.
आपको बता दें कि होलिका दहन के अलावा भी अन्य अनुष्ठानों में लकड़ी के स्थान पर गोकाष्ठ का इस्तेमाल करने की मुहिम चलाई जा रही है. इसके लिए 50, 100 और 200 रुपए की पैकिंग में गोकाष्ठ उपलब्ध कराया जा रहा है. गोकाष्ठ वितरण के लिए गौशालाओं के अलावा 25 से ज्यादा स्थानों पर गोकाष्ठ वितरण केंद्र भी बनाए गए हैं.