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Holika Dahan 2024: कुछ इस तरह से स्वाह हुये बुराई और द्वेष, देखिए होलिका दहन की अलग-अलग तस्वीरें - Holika Dahan 2024 - HOLIKA DAHAN 2024

Holika dahan 2024: दिल्ली में अलग-अलग जगह होलिका दहन का कार्यक्रम का आयोजन किया गया. महिलाएं दिन में होलिका पूजन करती नजर आई जिसके बाद रात के समय शुभ मुहुर्त में होलिका दहन किया गया.

Holika Dahan 2024
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 25, 2024, 12:32 PM IST

दिल्ली में होलिक दहन की तस्वीरें

नई दिल्ली: देश भर में होली का त्योहार मनाया जा रहा है, रविवार रात राजधानी के कई इलाकों में होलिका दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. लकड़ी और उपलों से लोगों ने होलिका दहन किया. पूरे दिन महिलाओं ने पहले होलिका का पूजन किया और फिर शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया.

होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और फिर अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष भी सोमवार को होली मनाए जाने से पहले रविवार और सोमवार की दरमियानी रात लोगों ने दिल्ली में जगह-जगह होलिका दहन किया. इस दौरान लोगों में खूब उत्साह दिखा. वहीं मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि के 11:14 से लेकर रात्री के 12:20 के बीच था और इसी दौरान लोग होलिका दहन करते नजर आए. वहीं रविवार दिन में जहां-जहां होलिका बनाए गए थे वहां पर महिलाएं पूजन करती भी नजर आई.

ये भी पढ़ें- होली के जश्न में डूबा पूरा देश, रंगों से सराबोर हुए लोग - Holi Celebration 2024

अलग-अलग जगह होलिका दहन अलग अलग तरीके से किया गया. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ भी देखी गई. माना जाता है कि होलिका दहन के पीछे का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाना है.

होलिका दहन के पीछे की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यपु नाम का एक राजा हुआ करता था वो राजा बहुत अहंकारी था. कथाओं के मुताबिक उसे भगवान ब्रह्मा ने अमर होने का वरदान दिया था, उसे ये भी वरदान था कि वो ना तो दिन में मरेगा और ना ही रात में जिसकी वजह से उसमें बहुत अहंकार था, इस राजा का एक पुत्र भी था जिसका नाम था प्रह्लाद. बताया जाता है कि प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यपु ने अपने बेटे को सजा देने के लिए अपनी बहन होलिका को मदद करने को कहा. होलिका का आग भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी. उसके पास एक ऐसी चुनरी थी जिसे पहनकर आग में बैठने पर भी वो नहीं जलती थी. होलिका उसी चुनरी को पहनकर धोखे से प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ जाती है लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. कहानी के मुताबिक हवा चलने से होलिका के ऊपर से उड़कर वह चुनरी प्रह्लाद पर जा गिरी. इस तरह प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका अग्नि में भस्म हो गई. तभी से पूरे देश में होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है.

ये भी पढ़ें-दिल्ली के रोहिणी में दिखा बृज की होली का नजारा, लोगों ने चंदन के साथ गुलाल लगाकर होली मनाई - Holi Get Together Program In Rohini

दिल्ली में होलिक दहन की तस्वीरें

नई दिल्ली: देश भर में होली का त्योहार मनाया जा रहा है, रविवार रात राजधानी के कई इलाकों में होलिका दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. लकड़ी और उपलों से लोगों ने होलिका दहन किया. पूरे दिन महिलाओं ने पहले होलिका का पूजन किया और फिर शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया.

होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और फिर अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष भी सोमवार को होली मनाए जाने से पहले रविवार और सोमवार की दरमियानी रात लोगों ने दिल्ली में जगह-जगह होलिका दहन किया. इस दौरान लोगों में खूब उत्साह दिखा. वहीं मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि के 11:14 से लेकर रात्री के 12:20 के बीच था और इसी दौरान लोग होलिका दहन करते नजर आए. वहीं रविवार दिन में जहां-जहां होलिका बनाए गए थे वहां पर महिलाएं पूजन करती भी नजर आई.

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अलग-अलग जगह होलिका दहन अलग अलग तरीके से किया गया. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ भी देखी गई. माना जाता है कि होलिका दहन के पीछे का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाना है.

होलिका दहन के पीछे की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यपु नाम का एक राजा हुआ करता था वो राजा बहुत अहंकारी था. कथाओं के मुताबिक उसे भगवान ब्रह्मा ने अमर होने का वरदान दिया था, उसे ये भी वरदान था कि वो ना तो दिन में मरेगा और ना ही रात में जिसकी वजह से उसमें बहुत अहंकार था, इस राजा का एक पुत्र भी था जिसका नाम था प्रह्लाद. बताया जाता है कि प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यपु ने अपने बेटे को सजा देने के लिए अपनी बहन होलिका को मदद करने को कहा. होलिका का आग भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी. उसके पास एक ऐसी चुनरी थी जिसे पहनकर आग में बैठने पर भी वो नहीं जलती थी. होलिका उसी चुनरी को पहनकर धोखे से प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ जाती है लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. कहानी के मुताबिक हवा चलने से होलिका के ऊपर से उड़कर वह चुनरी प्रह्लाद पर जा गिरी. इस तरह प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका अग्नि में भस्म हो गई. तभी से पूरे देश में होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है.

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