गोरखपुर : वृंदावन, बरसाना की होली से कम विशिष्ट गोरक्षनगरी, गोरखपुर का भी रंगोत्सव नहीं है. इसकी परंपरा वर्ष 1927 और 1944 दो स्वरूपों में शुरू हुई जो आज तक कायम है. नानाजी देशमुख ने यहां की होली को फूहड़ता से उबारकर इसे रंगभरी बनाने में अपना बड़ा योगदान दिया तो, होलिका दहन उत्सव समिति भक्त प्रहलाद की झांकी और होलिका दहन की परंपरा से इस आज तक खास बनाया है. जिसमें दशकों से होती चली आ रही गोरक्षपीठ की सहभागिता यहां के इस रंगपर्व को, समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के आकर्षण का विशेष केंद्र बना देती है. मुख्यमंत्री बनने के बाद तमाम व्यस्तताओं के बाद भी बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इन दोनों शोभा यात्राओं में सम्मिलित होते हैं. जहां से सामाजिक समरसता का भी संदेश नजर आता है. यहां की होली विदेशी मीडिया में भी सुर्खियों में छाती है.
होली के अवसर पर निकलती हैं दो प्रमुख शोभा यात्राएं : गोरखपुर में होली के अवसर पर दो प्रमुख शोभा यात्राएं निकलती हैं. एक होलिका दहन की शाम पांडेयहाता से होलिका दहन उत्सव समिति की तरफ से, और दूसरी होली के दिन श्री होलिकोत्सव समिति व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैनर तले. इस वर्ष भी दोनों शोभा यात्राओं में सम्मिलित होने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोजकों को सहमति प्रदान कर दी है. 24 मार्च को वह होलिका दहन उत्सव समिति की भक्त प्रह्लाद की शोभा यात्रा में शामिल होंगे तो, 26 मार्च को घंटाघर चौक से निकलने वाली होलिकोत्सव समिति की होली में रंग,अबीर और फूलों की होली खेलते हुए, करीब आठ किलो मीटर तक लोगों को इस पर्व से जोड़ते हैं. इसी दिन गोरखपुर समेत पूरे मंडल में होली खेली जाती है. बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगपर्व के आयोजनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहभागिता, गोरक्षपीठ के सामाजिक समरसता अभियान का भी एक हिस्सा है. लोक कल्याण ही नाथपंथ का मूल है और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा विस्तारित इस अभियान की पताका वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फहरा रहे हैं. सामाजिक समरसता का स्नेह बांटने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर दशकों से होलिकोत्सव-भगवान नरसिंह शोभायात्रा में शामिल होते रहे हैं. 1996 से 2019 तक शोभायात्रा का नेतृत्व करने वाले योगी, वर्ष 2020 और 2021 के होलिकोत्सव में लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इसमें शामिल नहीं हुए थे. इसके बाद सीएम योगी पांडेहाता से निकलने वाले होलिका दहन जुलूस और घंटाघर से निकलने वाली भगवान नरसिंह होलिकोत्सव शोभा यात्रा में सम्मिलित हुए.
नानाजी देशमुख ने की थी शोभायात्रा की शुरूआत : गोरखपुर में भगवान नरसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा के अध्यक्ष मनोज जालान कहते हैं कि, इसकी शुरुआत नाना जी देशमुख ने अपने गोरखपुर प्रवासकाल में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप 1944 में की थी. नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था. नानाजी के अनुरोध पर इस शोभा यात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया. 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया. अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है. अब तो लोगों को इंतजार रहता है योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नरसिंह शोभायात्रा का. आठ किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली इस शोभायात्रा में पथ नियोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता करते हैं. भगवान नरसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगों में सराबोर हो बिना भेदभाव सबसे शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं.
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