पानीपत: हर त्यौहार से पहले दो तरीकों को लेकर अफवाह होती है. पर पंचांग के अनुसार इस बार होलिका का पूजन 24 मार्च रविवार को होगा. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की साक्षी में प्रदोष काल के दौरान होलिका का पूजन और दहन 24 मार्च को रविवार के दिन ही होगा. भद्रा के बाद होलिका के पूजन की मान्यता बताई गई है. रविवार को भद्रा समाप्त होगी. उसके बाद पूजन और दहन किया जाएगा. इस बार होली पर भद्रा पाताल लोक वासनी होने से मंगलकारी होगी.
पानीपत के प्रसिद्ध देवी मंदिर के पंडित लालमणि पांडे ने बताया कि पंचांग की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर प्रदोष काल में होलिका के पूजन की मान्यता है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9:54 पर शुरू होगी और यह 25 मार्च को दोपहर 12:00 बजे समाप्त होगी. 24 मार्च को होली का पूजन और दहन होगा. उसके बाद 25 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी. 24 मार्च की रात को 11:13 के बाद ही होलिका का दहन होगा.
ज्योतिष शास्त्र में भद्रा का वास चंद्रमा के राशि संचरण के आधार पर बताया गया है यदि भद्रा कन्या, तुला ,धनु राशि के चंद्रमा की साक्षी में आती तो वह भद्रा पाताल में वास करती है और पाताल में वास करने वाली भद्रा धन-धान्य और सुख समृद्धि देने वाली मानी गई है. इस बार होली में इस दृष्टि से भद्रा की उपस्थिति शुभ मानी गई है.
पंडित लालमणि पांडे के अनुसार, इस बार होली घर परिवार में सुख शांति लाएगी. पुरानी कथाओं में अलग-अलग प्रकार के संदर्भ में होलिका के संबंध में प्राप्त होते हैं. पौराणिक मान्य माना गया है की होली दहन पर बुराइयों पर अच्छाई की जीत हुई थी. इस दिन होलिका दहन के समय सभी लोगों को अपनी बुराइयों का अंत कर अच्छाइयों को अपनाना चाहिए.
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