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होली 2024: सब्जियों तथा फूलों से हर्बल रंग व गुलाल तैयार कर रहीं अनामिका - Anamika is preparing herbal colors - ANAMIKA IS PREPARING HERBAL COLORS

Anamika is preparing herbal colors: एक सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी अनामिका पिछले ये बीते 2 वर्षों से घर पर हर्बल कलर तैयार कर उन्हें किफायती कीमतों पर ग्राहकों को उपलब्ध कराती हैं. इन रंगों को तैयार करने में चुकंदर, पालक, गाजर आदि कई खाने वाली चीजों का प्रयोग किया जाता है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 24, 2024, 5:28 PM IST

सब्जियों तथा फूलों से बना रहीं हर्बल रंग व गुलाल

नई दिल्ली: होली के त्यौहार में रंगों का विशेष महत्व होता है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगा कर होली की शुभकामनाएं देते हैं. लेकिन आजकल बाजार में बिकने वाले रंगों में हानिकारक कैमिकल की मिलावट नुकसान पहुंचा सकती है. इसे देखते हुए बाजार में कई तरह के हर्बल रंग की बिक्री शुरू हुई हैं. वहीं कई महिलाएं अपने घरों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की मदद से हर्बल रंग बनाती हैं.

ऐसी ही एक महिला हैं अनामिका. ये बीते 2 वर्षों से घर में चुकंदर, पालक, गाजर आदि कई खाने वाली चीजों से होली के रंग बनाती हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी विधा से कई महिलाओं को ट्रेंड किया है.

ये भी पढ़ें: Holi Bhai Dooj 2024: होली के बाद कब है भाई दूज? जानिए होली भाईदूज का महत्व

अनामिका ने बताया कि वह एक सेल्फ हेल्प ग्रुप की सदस्य हैं. बीते 2 वर्षों से हर्बल रंग बना रही हैं. इन रंगों को बनाने के लिए वह पालक, चुकंदर, गाजर, हल्दी, नील, गेंदे और कपास के फूलों का उपयोग करती हैं. इस सभी के मिश्रण को आरारोट में मिलाती हैं. इसके बाद उसको कुछ घंटों से लिए खुली धूप में सुखा कर पैक किया जाता है. इससे पीला, गुलाबी, हरा और नारंगी रंग के गुलाल बनते हैं. वह आगे बताती हैं कि गुलाल बनाने के लिए भी उपरोक्त चीजों से मिश्रण से कई तरह के रंग बनाए जा सकते हैं. इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता है.

अनामिका ने बताया कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) द्वारा एक दिन की ट्रेनिंग दी गई थी. इसके बाद अभी तक लगभग 400 महिलाओं को हर्बल रंग बनाने की ट्रेनिंग दे चुकी हैं. उनमें से कई महिलाओं ने काफी अच्छा बिजनेस सेट अप कर लिया है. अनामिका कहती हैं कि अगर आप बाजार से हर्बल रंग खरीदते हैं तो उसकी कीमत आम रंगों के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है. अनामिका के तैयार किए गए रंग किफायती कीमतो पर उपलब्ध हैं. रंग के 100 ग्राम के पैकेट की कीमत 60 रुपये है. उनके द्वारा बनाए गए रंग जनपथ के हैंडलुक हार्ट और राजघाट से जुड़ी गांधी हार्ट संस्था में बिकते हैं. इस जगह पर बिकने वाले सभी हर्बल रंग इन्ही के द्वारा तैयार किया जाता है.

अनामिका का मानना है कि होली प्रेम का त्योहार है इसलिए इन्होंने अपने ब्रांड का नाम प्रेम रंग गुलाल रखा है. उनको रंगों की बिक्री करने से ज्यादा गरीबों और बच्चों को रंग बांटने में आनंद आता है. वह कहती हैं कि उनके परिवार से सभी लोग इन रंगों बनाने में उनकी मदद करते हैं.

ये भी पढ़ें: सिर्फ हैप्पी होली नहीं, थोड़ी-सी सावधानी से मनाएं 'हैप्पी एंड सेफ होली'


सब्जियों तथा फूलों से बना रहीं हर्बल रंग व गुलाल

नई दिल्ली: होली के त्यौहार में रंगों का विशेष महत्व होता है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगा कर होली की शुभकामनाएं देते हैं. लेकिन आजकल बाजार में बिकने वाले रंगों में हानिकारक कैमिकल की मिलावट नुकसान पहुंचा सकती है. इसे देखते हुए बाजार में कई तरह के हर्बल रंग की बिक्री शुरू हुई हैं. वहीं कई महिलाएं अपने घरों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की मदद से हर्बल रंग बनाती हैं.

ऐसी ही एक महिला हैं अनामिका. ये बीते 2 वर्षों से घर में चुकंदर, पालक, गाजर आदि कई खाने वाली चीजों से होली के रंग बनाती हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी विधा से कई महिलाओं को ट्रेंड किया है.

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अनामिका ने बताया कि वह एक सेल्फ हेल्प ग्रुप की सदस्य हैं. बीते 2 वर्षों से हर्बल रंग बना रही हैं. इन रंगों को बनाने के लिए वह पालक, चुकंदर, गाजर, हल्दी, नील, गेंदे और कपास के फूलों का उपयोग करती हैं. इस सभी के मिश्रण को आरारोट में मिलाती हैं. इसके बाद उसको कुछ घंटों से लिए खुली धूप में सुखा कर पैक किया जाता है. इससे पीला, गुलाबी, हरा और नारंगी रंग के गुलाल बनते हैं. वह आगे बताती हैं कि गुलाल बनाने के लिए भी उपरोक्त चीजों से मिश्रण से कई तरह के रंग बनाए जा सकते हैं. इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता है.

अनामिका ने बताया कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) द्वारा एक दिन की ट्रेनिंग दी गई थी. इसके बाद अभी तक लगभग 400 महिलाओं को हर्बल रंग बनाने की ट्रेनिंग दे चुकी हैं. उनमें से कई महिलाओं ने काफी अच्छा बिजनेस सेट अप कर लिया है. अनामिका कहती हैं कि अगर आप बाजार से हर्बल रंग खरीदते हैं तो उसकी कीमत आम रंगों के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है. अनामिका के तैयार किए गए रंग किफायती कीमतो पर उपलब्ध हैं. रंग के 100 ग्राम के पैकेट की कीमत 60 रुपये है. उनके द्वारा बनाए गए रंग जनपथ के हैंडलुक हार्ट और राजघाट से जुड़ी गांधी हार्ट संस्था में बिकते हैं. इस जगह पर बिकने वाले सभी हर्बल रंग इन्ही के द्वारा तैयार किया जाता है.

अनामिका का मानना है कि होली प्रेम का त्योहार है इसलिए इन्होंने अपने ब्रांड का नाम प्रेम रंग गुलाल रखा है. उनको रंगों की बिक्री करने से ज्यादा गरीबों और बच्चों को रंग बांटने में आनंद आता है. वह कहती हैं कि उनके परिवार से सभी लोग इन रंगों बनाने में उनकी मदद करते हैं.

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