ETV Bharat / state

हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह की पुश्तैनी कोठी को बनाया जाएगा म्यूजियम - Hockey player Padmashree KD Singh

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 12, 2024, 12:11 PM IST

हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह (Hockey player Padmashree KD Singh) की पुश्तैनी कोठी को म्यूजियम बनाने की हरी झंडी शासन ने दे दी है. जल्द ही अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करते ही कोठी की भूमि संस्कृति विभाग के नाम दर्ज की जाएगी.

हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह व उनकी पुश्तैनी कोठी.
हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह व उनकी पुश्तैनी कोठी. (Photo Credit-Etv Bharat)

बाराबंकी : भारत को दो ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने वाले अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह की बाराबंकी स्थित पुश्तैनी कोठी को म्यूजियम बनाया जाएगा. जिला प्रशासन द्वारा शासन को संग्रहालय बनाने के लिए भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. संयुक्त सचिव द्वारा जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार को भेजे गए पत्र में आवास का अधिग्रहण कर अग्रिम प्रक्रिया शुरू कराने की बात कही गई है.



बाराबंकी जिलेवासियों की मांग पर बाबू केडी सिंह की कोठी को स्मारक व संग्राहलय बनाने का प्रस्ताव शासन को बीते 15 मार्च को भेजा गया था. बीच में चुनाव आचार संहिता लगने से यह प्रक्रिया रुक गई थी. उसके बाद शासन से दोबारा प्रस्ताव मांगा गया था. शासन ने इस पर विचार करते ही 10 जुलाई को इसकी मंजूरी दे दी है. शासन द्वारा यह भी निर्देश दिए गए हैं कि इस कोठी की जल्द ही अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करते ही संस्कृति विभाग के नाम भूमि दर्ज कराई जाए. इस म्यूजियम में बाबू केडी सिंह की स्मृतियों को संजोने का काम होगा. साथ ही हॉकी के खिलाड़ियों के लिए म्यूजियम में उनके चित्रों समेत उनके यादगार की तमाम चीजों की गैलरी बनाई जाएगी.

हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह व उनकी टीम.
हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह व उनकी टीम. (Photo Credit-Etv Bharat)



दरअसल, 35 हजार 241 वर्ग फिट रकबे वाली इस कोठी का विवाद ठाकुर रघुनाथ सिंह के बेटों कुंवर राजेन्द्र सिंह, कुंवर भूपेंद्र सिंह, कुंवर सुखदेव सिंह, कुंवर नरेश सिंह, कुंवर दिग्विजय सिंह (बाबू केडी सिंह) और कुंवर सुरेश सिंह के बीच चल रहा था. कोठी के वारिसों के बीच बंटवारे को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था. वर्ष 2009 को कोर्ट ने आदेश डिक्री पारित किया. जिसमें तय हुआ था कि सभी पक्षकार इस कोठी को बेचकर आपस में पैसों का बराबर बंटवारा कर लेंगे. इसी डिक्री के अनुपालन के लिए कोर्ट में केस चल रहा था. 16 फरवरी 2024 को अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन खान जीशान मसूद के आदेश पर कोठी को सील कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट ने इस कोठी को 11 मार्च को नीलाम कराने का आदेश दिया था.

वहीं बाराबंकी के लोगों की मांग को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया और डीएम को कोठी का अधिग्रहण कर स्मारक बनाने के निर्देश दिए. बाद में पक्षकार भी संग्रहालय बनाने और नीलाम न होने के लिए राजी हो गए थे. इसके बाद से कोठी जिला प्रशासन की देखरेख में है. इसी क्रम में डीएम सत्येंद्र कुमार ने स्मारक बनाने के लिए संस्कृति विभाग को प्रस्ताव भेजा था, जिसे बुधवार को मंजूरी मिल गई है. डीएम सत्येंद्र कुमार ने बताया कि शासन से कोठी के अधिग्रहण किए जाने का आदेश मिल गया है. सरकार इस कोठी को खरीद लेगी और साढ़े 14 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करा देगी. कोर्ट पक्षकारों को उनके शेयर के हिसाब से बंटवारा कर देगा.



जानिए बाबू केडी सिंह के बारे में : 2 फरवरी, 1922 को बाराबंकी में जन्मे कुंवर दिग्विजय सिंह यानी बाबू केडी सिंह 14 साल की उम्र में ही हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी बन गए थे. बाराबंकी के देवां में उन्होंने पहला टूर्नामेंट खेला और यही से उनके हुनर को पर लग गए. 16 वर्ष तक उन्होंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और फिर उसके बाद भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान बना दिए गए. इसके बाद 1948 में हुए ओलंपिक में वो उपकप्तान रहे तो वर्ष 1952 में हुए हेलसिंकी ओलंपिक में उन्हें कप्तान बनाया गया. इन दोनों ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में उन्होंने अहम रोल अदा किया था.

कुंवर दिग्विजय सिंह यानी बाबू केडी सिंह एशिया के ऐसे पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्हें अमेरिका में हेम्स ट्राफी से नवाजा गया था. यह ट्राफी अमेरिका की लॉस एंजिल्स की हेम्सफर्ड फाउंडेशन प्रदान करती है. इसे खेलों का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है. 1939 से 1945 तक दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था. लिहाजा केडी सिंह को इंटरनेशनल हाकी खेलने का ज्यादा मौका नहीं मिला, लेकिन विश्व युद्ध के बाद बाबू केडी सिंह भारतीय हाकी टीम के सदस्य के रूप में पहले श्रीलंका गए और फिर पूर्वी अफ्रीका, जहां पर हाकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नेतृत्व में टीम ने कुल 200 गोल किए. जिसमें सर्वाधिक 70 गोल केडी सिंह के ही थे. उनके इस परफॉर्मेंस के चलते उन्हें 1948 के लंदन ओलंपिक में भारत की टीम का उप कप्तान बनाया गया था. बाबू केडी सिंह की कोठी से जिलेवासियों का खासा लगाव है. लिहाजा उनकी यादों को संजोने के लिए लोग चाहते थे कि उनकी कोठी नीलाम न हो बल्कि उसे म्यूजियम बना दिया जाए.



यह भी पढ़ें : हॉकी खिलाड़ी बाबू केडी सिंह की कोठी की नीलामी पर कोर्ट ने लगाई रोक

यह भी पढ़ें : भारत के लिए दो ओलंपिक गोल्ड मेडल लाने वाले इस मशहूर खिलाड़ी की कोठी होने जा रही नीलाम

बाराबंकी : भारत को दो ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाने वाले अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह की बाराबंकी स्थित पुश्तैनी कोठी को म्यूजियम बनाया जाएगा. जिला प्रशासन द्वारा शासन को संग्रहालय बनाने के लिए भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. संयुक्त सचिव द्वारा जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार को भेजे गए पत्र में आवास का अधिग्रहण कर अग्रिम प्रक्रिया शुरू कराने की बात कही गई है.



बाराबंकी जिलेवासियों की मांग पर बाबू केडी सिंह की कोठी को स्मारक व संग्राहलय बनाने का प्रस्ताव शासन को बीते 15 मार्च को भेजा गया था. बीच में चुनाव आचार संहिता लगने से यह प्रक्रिया रुक गई थी. उसके बाद शासन से दोबारा प्रस्ताव मांगा गया था. शासन ने इस पर विचार करते ही 10 जुलाई को इसकी मंजूरी दे दी है. शासन द्वारा यह भी निर्देश दिए गए हैं कि इस कोठी की जल्द ही अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करते ही संस्कृति विभाग के नाम भूमि दर्ज कराई जाए. इस म्यूजियम में बाबू केडी सिंह की स्मृतियों को संजोने का काम होगा. साथ ही हॉकी के खिलाड़ियों के लिए म्यूजियम में उनके चित्रों समेत उनके यादगार की तमाम चीजों की गैलरी बनाई जाएगी.

हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह व उनकी टीम.
हॉकी खिलाड़ी पद्मश्री बाबू केडी सिंह व उनकी टीम. (Photo Credit-Etv Bharat)



दरअसल, 35 हजार 241 वर्ग फिट रकबे वाली इस कोठी का विवाद ठाकुर रघुनाथ सिंह के बेटों कुंवर राजेन्द्र सिंह, कुंवर भूपेंद्र सिंह, कुंवर सुखदेव सिंह, कुंवर नरेश सिंह, कुंवर दिग्विजय सिंह (बाबू केडी सिंह) और कुंवर सुरेश सिंह के बीच चल रहा था. कोठी के वारिसों के बीच बंटवारे को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था. वर्ष 2009 को कोर्ट ने आदेश डिक्री पारित किया. जिसमें तय हुआ था कि सभी पक्षकार इस कोठी को बेचकर आपस में पैसों का बराबर बंटवारा कर लेंगे. इसी डिक्री के अनुपालन के लिए कोर्ट में केस चल रहा था. 16 फरवरी 2024 को अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन खान जीशान मसूद के आदेश पर कोठी को सील कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट ने इस कोठी को 11 मार्च को नीलाम कराने का आदेश दिया था.

वहीं बाराबंकी के लोगों की मांग को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया और डीएम को कोठी का अधिग्रहण कर स्मारक बनाने के निर्देश दिए. बाद में पक्षकार भी संग्रहालय बनाने और नीलाम न होने के लिए राजी हो गए थे. इसके बाद से कोठी जिला प्रशासन की देखरेख में है. इसी क्रम में डीएम सत्येंद्र कुमार ने स्मारक बनाने के लिए संस्कृति विभाग को प्रस्ताव भेजा था, जिसे बुधवार को मंजूरी मिल गई है. डीएम सत्येंद्र कुमार ने बताया कि शासन से कोठी के अधिग्रहण किए जाने का आदेश मिल गया है. सरकार इस कोठी को खरीद लेगी और साढ़े 14 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करा देगी. कोर्ट पक्षकारों को उनके शेयर के हिसाब से बंटवारा कर देगा.



जानिए बाबू केडी सिंह के बारे में : 2 फरवरी, 1922 को बाराबंकी में जन्मे कुंवर दिग्विजय सिंह यानी बाबू केडी सिंह 14 साल की उम्र में ही हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी बन गए थे. बाराबंकी के देवां में उन्होंने पहला टूर्नामेंट खेला और यही से उनके हुनर को पर लग गए. 16 वर्ष तक उन्होंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और फिर उसके बाद भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान बना दिए गए. इसके बाद 1948 में हुए ओलंपिक में वो उपकप्तान रहे तो वर्ष 1952 में हुए हेलसिंकी ओलंपिक में उन्हें कप्तान बनाया गया. इन दोनों ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में उन्होंने अहम रोल अदा किया था.

कुंवर दिग्विजय सिंह यानी बाबू केडी सिंह एशिया के ऐसे पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्हें अमेरिका में हेम्स ट्राफी से नवाजा गया था. यह ट्राफी अमेरिका की लॉस एंजिल्स की हेम्सफर्ड फाउंडेशन प्रदान करती है. इसे खेलों का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है. 1939 से 1945 तक दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था. लिहाजा केडी सिंह को इंटरनेशनल हाकी खेलने का ज्यादा मौका नहीं मिला, लेकिन विश्व युद्ध के बाद बाबू केडी सिंह भारतीय हाकी टीम के सदस्य के रूप में पहले श्रीलंका गए और फिर पूर्वी अफ्रीका, जहां पर हाकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नेतृत्व में टीम ने कुल 200 गोल किए. जिसमें सर्वाधिक 70 गोल केडी सिंह के ही थे. उनके इस परफॉर्मेंस के चलते उन्हें 1948 के लंदन ओलंपिक में भारत की टीम का उप कप्तान बनाया गया था. बाबू केडी सिंह की कोठी से जिलेवासियों का खासा लगाव है. लिहाजा उनकी यादों को संजोने के लिए लोग चाहते थे कि उनकी कोठी नीलाम न हो बल्कि उसे म्यूजियम बना दिया जाए.



यह भी पढ़ें : हॉकी खिलाड़ी बाबू केडी सिंह की कोठी की नीलामी पर कोर्ट ने लगाई रोक

यह भी पढ़ें : भारत के लिए दो ओलंपिक गोल्ड मेडल लाने वाले इस मशहूर खिलाड़ी की कोठी होने जा रही नीलाम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.