चंडीगढ़: देशभर में बढ़ रहे एड्स संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. जो चिंता का सबब बनी हुई है. इस बीमारी का नाम सुनकर आज भी हर कोई घबरा जाता है. क्योंकि वैज्ञानिक तौर पर इसका इलाज पूरी तरह से संभव नहीं हो पाया है. लेकिन चंडीगढ़ पीजीआई इस बीमारी को कम करने में सफल साबित हो रहा है. अब तक पीजीआई का 98 फीसदी रिकवरी रेट रहा है. जिसके चलते आज के समय में एड्स संक्रमित पुरुष और महिलाएं भी स्वस्थ बच्चों को जन्म दे रहे हैं. पीजीआई ने सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि पंजाब, हिमाचल, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर से भी मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
'मरीजों का किया जाता है परीक्षण': एड्स जैसी गंभीर बीमारी के विषय पर ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई में एंट्री रेट्रोविराल ट्रीटमेंट के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. रविंदर कौर से खास बातचीत की है. डॉ. रविंदर कौर ने बताया कि विभाग द्वारा करीब एक लाख परीक्षण किए जाते हैं. उनके पास ज्यादातर लेबर के मामले आते हैं. चंडीगढ़ के अलावा, हिमाचल, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और पंजाब से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं.
चंडीगढ़ में कुल 12 एनजीओ: डॉ. ने कहा कि बेसिक सर्विस डिवीजन नीति के तहत ऐसे मरीजों को परामर्श और परीक्षण दिया जाता है और उनका मुफ्त इलाज किया जाता है. एड्स के संदर्भ में पिछले कई सालों से परीक्षण व उपचार नीति भी लागू की जा रही है. जिसमें मरीज को बीमारी के कारणों पर परामर्श दिया जा रहा है. इसके अलावा, चंडीगढ़ शहर में 12 एनजीओ है. एड्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें मरीजों को जागरूक किया जाता है और सावधानियां बरतने को कहा जाता है.
'वैक्सीन के इस्तेमाल से HIV': चंडीगढ़ एड्स निरोधक विभाग सेक्टर-16 मंजीत गुलिया ने बताया कि शहर में कुल 4 केंद्र हैं. जहां पर नशे की लत वाले लोगों का एचआईवी इलाज किया जाता है. मरीजों की संख्या करीब 1 हजार है. इन केंद्रों में सुई विनियम कार्यक्रम के तहत मरीजों को जागरूक किया जाता है. जिन मरीजों को वैक्सीन के इस्तेमाल से एड्स हुआ, उनमें से करीब 500 मरीजों पर दवा का बेहतर असर हुआ. करीब 100 मरीजों ने दवा छोड़ भी दी है. अब वे सामान्य जीवन जीते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रों में ज्यादातर मामले पंजाब, हरियाणा और हिमाचल से आते हैं. जिन्हें वे परामर्श और परीक्षण के साथ-साथ गर्भ निरोधकों के बारे में भी बताते हैं.
HIV मरीजों के आंकड़े: अतिरिक्त प्रभार अधिकारी मंजीत गुलिया ने कहा कि जागरूकता अभियान और दवाओं से चंडीगढ़ में 2019 से 2023 तक मरीजों की संख्या में कमी देखी गई है. साल 2019-20 में कुल 109928 मामले सामने आए थे और 529 (0.49%) पॉजिटिव थे. इसके बाद 2020-21 में कुल मामले 52699 थे. जिनमें से 280 (0.58%) पॉजिटिव थे. इसी तरह 2021 से 2023 तक कुल मामले 81760 थे. जिनमें से 477 (0.58%) और 785 (0.86%) पॉजिटिव थे. वहीं, यदि गर्भवती महिलाओं की बात करें तो साल 2021 से 2023 के दौरान कुल 21626 मामले सामने आए. जिनमें से 65 (0.10%) पॉजिटिव पाए गए. गुलिया ने बताया कि चंडीगढ़ शहर में अब तक 5123 एचआईवी के मामले हैं. मरीजों को मुफ्त इलाज मिल रहा है और 1219 मामलों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
'गर्भवती महिलाएं स्वस्थ बच्चों को दे रही जन्म': इस साल 2024 में चंडीगढ़ में कुल 78000 लोगों का एचआईवी टेस्ट किया है. जिसमें से कुल 398 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. वहीं, शहर की 13700 महिलाओं का एचआईवी टेस्ट कराया गया. जिसमें से 11 महिलाओं की रिपोर्ट पॉजिटिव रही है. पिछले 4-5 सालों में गर्भवती महिलाएं पॉजिटिव होने के बावजूद नेगेटिव बच्चों को जन्म दे चुकी है. शहर में एड्स के कुल 5200 मरीज देखे गए हैं. शहर में रहने वाले कुल 1300 के करीब एड्स के मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं.
गर्भवती महिला का ऐसे होता है इलाज: वहीं, चंडीगढ़ पीजीआई एचआईवी केयर सेंटर में एआरटी विभाग की डॉ. रविंद्र कौर ने बताया कि पिछले 5 सालों में गर्भवती महिलाओं से 175 बच्चे पैदा हुए. जिनमें से 2 बच्चे संक्रमित थे. उन्होंने कहा कि अगर कोई गर्भवती महिला एचआईवी से संक्रमित है. तो वह सकारात्मक रहे और समय पर दवा का उपयोग कर रही है. वायरस बच्चे तक नहीं पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला के पॉजिटिव आने पर उन्हें 6 हफ्ते तक दवा दी जाती है. इसके बाद बच्चे की नियमित जांच भी होती है. डेढ़ साल बाद आने वाले कन्फर्मेटिव टेस्ट में इस बात की पुष्टि हो जाती है कि बच्चे को यह बीमारी (एचआईवी) नहीं है. इसके साथ ही पीजीआई का रिकवरी रेट 98% से लेकर 100% देखा जा रहा है. इसलिए मुमकिन हो पाया है कि हमारी कंसलटेंट टीम और डॉक्टरों की टीम लगातार मरीजों का फीडबैक लेती रहती है. जिसका नतीजा है कि आज एक पॉजिटिव गर्भवती महिला एक नेगेटिव बच्चों को जन्म दे रही है.
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