रायपुर : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 7 जुलाई को निकाली जाएगी. रथ यात्रा को लेकर जगन्नाथ मंदिरों में रथ निर्माण का काम अंतिम चरणों में है. रायपुर के टुरी हटरी जगन्नाथ मंदिर में 40 साल के बाद नए रथ का निर्माण किया जा रहा है. जो एक अनोखा रथ है. इस रथ के निर्माण में लगे कारीगर मुस्लिम संप्रदाय के हैं. पिता और पुत्र मिलकर भगवान जगन्नाथ के लिए रथ बना रहे हैं.पिछले एक महीने से रथ निर्माण के लिए कारीगरों के हाथ नहीं रुके हैं.रथ बनाने वाले कारीगर हबीब खान ने बताया कि 19 अप्रैल से बाप और बेटे ने मिलकर रथ निर्माण का काम शुरु किया था. रथ निर्माण का काम 10 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा.
रथ में पावर स्टेयरिंग और ब्रेक : छत्तीसगढ़ में पहली बार इस तरह के रथ का निर्माण हो रहा है. जिसमें पावर स्टीयरिंग के साथ ब्रेक भी लगेगी. कई बार भक्त शहर में रथयात्रा निकाले जाने के दौरान तेजी से रथ आगे पीछे दौड़ते हैं. उस वक्त हादसे का डर बना रहता है.ऐसे में रथ को कंट्रोल करने के लिए पावर स्टेयरिंग के साथ ब्रेक भी लगाया गया है. रथ यात्रा के दौरान स्टेयरिंग और ब्रेक की मदद से रथ को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है.जगन्नाथ रथ यात्रा के दिन भगवान बलभद्र, कृष्ण और माता सुभद्रा को रथ में विराजित किया जाएगा. भगवान को रथ में सवार होने के लिए कारीगरों ने सीढ़ियां भी बनाई है.
''आज से लगभग 30 साल पहले रायपुर के उत्कल समाज के लिए एक रथ बनाई गई थी. उसके बाद साल 2022 में एक रथ का निर्माण करके उसे गोंदिया भेजा गया. निर्माणाधीन रथ की चौड़ाई लगभग साढ़े दस फीट है. इसकी लंबाई 17 फिट है और गुंबज को मिलाकर इसकी ऊंचाई लगभग 16 फीट के आसपास है." हबीब खान,रथ बनाने वाले कारीगर
वहीं जगन्नाथ मंदिर के पुजारी तिलक दास त्यागी ने बताया कि रथ यात्रा का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है. तब से रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है. रथ यात्रा के दिन भगवान नगर भ्रमण करते हुए अपनी मौसी के यहां रुकने के बाद वापस जगन्नाथ मंदिर पहुंचते हैं. जगन्नाथ मंदिर में रथ पहले भी था, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने रथ को आग के हवाले कर दिया. इसके बाद दूसरे रथ का निर्माण हुआ लेकिन लोहा और लकड़ी का वजन ज्यादा था. ऐसे में रथयात्रा के दिन शहर भ्रमण में काफी परेशानी हो रही थी.
''40 साल के बाद फिर से नए रथ का निर्माण किया जा रहा है. यह रथ अपनी तरह का अनोखा और नया रथ है. निर्माणाधीन रथ में पावर स्टीयरिंग के साथ ब्रेक भी लगाई जा रही है, जिसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है.'' तिलक दास त्यागी, पुजारी
नये रथ में नीम की लकड़ी का इस्तेमाल : आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ का नया रथ वजन में हल्का होने के साथ ही सुंदर तरीके से सजाया भी गया है.इस रथ में 80 फीसदी सरई की लकड़ी और 20 फीसदी नीम की लकड़ी लगाई गई है. जिसका प्रयोग आसन बनाने के लिए किया गया है.इस आधुनिक रथ में सवार होकर भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलदाऊ के साथ नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे.