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महाभारत काल से जुड़ा कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास, मान्यता- दानवीर कर्ण करने आते थे यहां पूजा - Kanpur Anandeshwar temple

महाभारत काल से कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास जुड़ा हुआ है. सावन के सोमवार में लाखों लोग यहां दर्शन कर अपनी मुराद मांगते है, सभी भक्तों की मनोकामना यहां पूरी होती है. मान्यता है, कि दानविर कर्ण इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा करने आते थे.

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बड़ा अलबेला है भोले का यह दरबार (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 29, 2024, 1:05 PM IST

महाभारत काल से जुड़ा है कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास (video credit- Etv Bharat)

कानपुर: श्रावण मास के दूसरे सोमवार को शहर के कई प्रमुख शिवालयों में शिव भक्तों का सुबह से ही ताता लगा रहता है. शहर गंगा तट पर बसे और मिनी काशी कहे जाने वाले आनंदेश्वर मंदिर में भी देर रात से ही बाबा के दर्शन और उनके जल अभिषेक के लिए लंबी-लंबी कतारे लगनी शुरू हो गई है. शिव भक्तों ने बोल बम के जयकारों के साथ बाबा की विधि विधान से पूजा अर्चना की है. वहीं, सावन के दूसरे सोमवार में आनंदेश्वर मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रशासन द्वारा काफी इंतजाम किए गए है. जिससे शिव भक्तों को किसी भी तरह की कोई समस्या न हो सके.

भगवान शिव को सावन का महीना काफी ज्यादा प्रिय होता है. ऐसा कहा जाता है, कि सावन के महीने में अगर कोई भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, तो भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते है. इस बार श्रावण मास में पांच सोमवार पढ़ रहे हैं. जिसको देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा पूरी तैयारी की गई है. महादेव का यह प्राचीन मंदिर देशभर में भक्तों की आस्था का केंद्र है. यहां दूर-दूर से महादेव के दर्शन करने के लिए शिव भक्त आते हैं. इस मंदिर से ही छूकर गंगा जी बहती है.

इसे भी पढ़े-आगरा का ये अनूठा शिव मंदिर, दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग, जानिए- क्या है रहस्य - Rajeshwar Mahadev Temple in agra

महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास: कानपुर के आनंदेश्वर मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर में दानवीर कर्ण पूजा करने के लिए आते थे. सिर्फ दानवीर कर्ण ही इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्नान के बाद गुपचुप तरीके से पूजा करते थे और फिर विलुप्त हो जाते थे. ऐसा करते हुए उन्हें एक दिन आनंदी नाम की गाय ने देख लिया था.

इसके बाद से वह हर रोज अपना सारा दूध उसी जगह पर छोड़ देती थी. इसके बाद जब उस स्थान की खुदाई की गई, तो वहां से यह शिवलिंग निकली और उसे उसी स्थान पर स्थापित कर दिया गया. कहां जाता है, कि इसी वजह से इस मंदिर का नाम आनंदेश्वर मंदिर पड़ गया. इस मंदिर को लेकर विशेष आस्था यह है कि जो भी भक्त लगातार 11 सोमवार इस मंदिर में जाकर भगवान शिव की आराधना करता है, तो भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं सिर्फ सावन मास में ही नहीं बल्कि अन्य सोमवार में भी यहां पर बड़ी संख्या में शिवभक्त दर्शन करने के लिए आते हैं.

महंत बोले सुरक्षा व्यस्था को लेकर किए गए है खास इंतजाम: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान मंदिर के महंत हरी गिरी ने बताया, कि इस सावन मास में आनंदेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले शिव भक्तों के लिए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा कई खास इंतजाम किए गए हैं. मंदिर प्रशासन द्वारा सभी शिव भक्तों को बारी-बारी से दर्शन कराए जा रहे हैं. उन्होंने बताया, कि महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइन भी लगाई गई है. इसके साथ ही जगह-जगह पर मंदिर प्रशासन के लोगों को भी तैनात किया गया.जिससे किसी भी प्रकार की भक्तों को असुविधा न हो सके.

(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, ईटीवी भारत किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है)

यह भी पढ़े-बाबा बेहिलनाथ शिव मंदिर की अद्भुत कहानी, शिवलिंग की खोदाई करने पर निकलने लगे थे सांप और बिच्छू

महाभारत काल से जुड़ा है कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास (video credit- Etv Bharat)

कानपुर: श्रावण मास के दूसरे सोमवार को शहर के कई प्रमुख शिवालयों में शिव भक्तों का सुबह से ही ताता लगा रहता है. शहर गंगा तट पर बसे और मिनी काशी कहे जाने वाले आनंदेश्वर मंदिर में भी देर रात से ही बाबा के दर्शन और उनके जल अभिषेक के लिए लंबी-लंबी कतारे लगनी शुरू हो गई है. शिव भक्तों ने बोल बम के जयकारों के साथ बाबा की विधि विधान से पूजा अर्चना की है. वहीं, सावन के दूसरे सोमवार में आनंदेश्वर मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रशासन द्वारा काफी इंतजाम किए गए है. जिससे शिव भक्तों को किसी भी तरह की कोई समस्या न हो सके.

भगवान शिव को सावन का महीना काफी ज्यादा प्रिय होता है. ऐसा कहा जाता है, कि सावन के महीने में अगर कोई भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, तो भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते है. इस बार श्रावण मास में पांच सोमवार पढ़ रहे हैं. जिसको देखते हुए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा पूरी तैयारी की गई है. महादेव का यह प्राचीन मंदिर देशभर में भक्तों की आस्था का केंद्र है. यहां दूर-दूर से महादेव के दर्शन करने के लिए शिव भक्त आते हैं. इस मंदिर से ही छूकर गंगा जी बहती है.

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महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास: कानपुर के आनंदेश्वर मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर में दानवीर कर्ण पूजा करने के लिए आते थे. सिर्फ दानवीर कर्ण ही इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्नान के बाद गुपचुप तरीके से पूजा करते थे और फिर विलुप्त हो जाते थे. ऐसा करते हुए उन्हें एक दिन आनंदी नाम की गाय ने देख लिया था.

इसके बाद से वह हर रोज अपना सारा दूध उसी जगह पर छोड़ देती थी. इसके बाद जब उस स्थान की खुदाई की गई, तो वहां से यह शिवलिंग निकली और उसे उसी स्थान पर स्थापित कर दिया गया. कहां जाता है, कि इसी वजह से इस मंदिर का नाम आनंदेश्वर मंदिर पड़ गया. इस मंदिर को लेकर विशेष आस्था यह है कि जो भी भक्त लगातार 11 सोमवार इस मंदिर में जाकर भगवान शिव की आराधना करता है, तो भोलेनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं सिर्फ सावन मास में ही नहीं बल्कि अन्य सोमवार में भी यहां पर बड़ी संख्या में शिवभक्त दर्शन करने के लिए आते हैं.

महंत बोले सुरक्षा व्यस्था को लेकर किए गए है खास इंतजाम: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान मंदिर के महंत हरी गिरी ने बताया, कि इस सावन मास में आनंदेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले शिव भक्तों के लिए मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा कई खास इंतजाम किए गए हैं. मंदिर प्रशासन द्वारा सभी शिव भक्तों को बारी-बारी से दर्शन कराए जा रहे हैं. उन्होंने बताया, कि महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइन भी लगाई गई है. इसके साथ ही जगह-जगह पर मंदिर प्रशासन के लोगों को भी तैनात किया गया.जिससे किसी भी प्रकार की भक्तों को असुविधा न हो सके.

(नोटः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, ईटीवी भारत किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है)

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