देहरादून: उत्तराखंड में वैसे तो पांच लोकसभा सीटों पर कई निर्दलीय प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं, मगर इन सभी में दो तीन कैंडिडेट हैं जिन्होंने सियासी सूरमाओं की नींदे उड़ाई हैं. उत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2024 में इन निर्दलीय उम्मीदवारों ने दमखम से चुनाव लड़ा. इनके जोश और जज्बे के सामने राष्ट्रीय दल भी पानी भरते नजर आये. 4 जून को लोकसभा चुनाव की काउंटिंग है. उससे पहले उत्तराखंड में इन निर्दलीय उम्मीदवारों की चर्चाएं तेज हो गई हैं. .
हरिद्वार और टिहरी लोकसभा सीट पर दो निर्दलीय प्रत्याशी चर्चाओं में: उत्तराखंड में वैसे तो निर्दलीय प्रत्याशियों की एक लंबी चौड़ी फेहरिस्त है. लेकिन फिलहाल दो लोकसभा सीटों पर ही निर्दलीय प्रत्याशियों को लेकर चर्चा सुनाई दे रही है. इसमें सबसे ज्यादा चर्चाएं टिहरी लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी बॉबी पंवार को लेकर हैं. खासतौर पर युवाओं में बॉबी पंवार को लेकर बड़ा क्रेज दिखाई दे रहा है. बॉबी पंवार उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में विरोध की अगुवाई करने के बाद से चर्चाओं में आए थे. इसके बाद वह युवाओं की पसंद बन गए. लोकसभा चुनाव के दौरान टिहरी लोकसभा सीट पर बॉबी पंवार द्वारा बड़ा उलटफेर करने से जुड़ी खूब चर्चाएं चल रही हैं.
उमेश शर्मा निर्दलीय के रूप में दे रहे हैं टक्कर: हरिद्वार लोकसभा सीट पर उमेश शर्मा भी मैदान में हैं. उमेश शर्मा खानपुर विधानसभा सीट से फिलहाल निर्दलीय विधायक के रूप में जीतकर आए थे. अब वह हरिद्वार लोकसभा सीट पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं. हरिद्वार लोकसभा सीट पर भी उमेश शर्मा द्वारा चुनाव में जीत हार के नतीजों में बड़ा उलटफेर करने की उम्मीद लगाई जा रही है.
वोट कटवा के रूप में है निर्दलीय प्रत्याशियों की इमेज: प्रदेश में निर्दलीय उम्मीदवार वैसे तो वोट कटवा के रूप में ही गिने जाते हैं, लेकिन कई बार यही उम्मीदवार चुनाव के पूरे समीकरण को ही पलट कर रख देते हैं. हालांकि उत्तराखंड में ऐसे कम ही उदाहरण हैं, जब निर्दलीय उम्मीदवारों ने ऐसा कुछ करने में कामयाबी हासिल की हो. प्रदेश के राजनीतिक इतिहास को उठाकर देखें तो उत्तराखंड की जनता राष्ट्रीय दलों पर ही हमेशा ज्यादा विश्वास करती रही है. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों के सांसद बनने के उदाहरण कम ही मिलते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उत्तराखंड में किसी निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव में उलटफेर ना किया हो.
टिहरी की रानी ने निर्दलीय किया था उलटफेर: उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों के इतिहास पर नजर दौड़ाएं, तो देश की आजादी के बाद पहले ही चुनाव साल 1952 में महारानी कामलेंदुमती शाह ने निर्दलीय रूप से ताल ठोक कर कांग्रेस के प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी थी. इसके साथ ही उन्होंने निर्दलीय रूप से टिहरी सीट पर राज परिवार के दबदबे को साबित कर दिया था. हालांकि इसके बाद इस सीट पर राष्ट्रीय दलों के टिकट से महाराजा मानवेंद्र शाह ने आठ बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की. उनके बाद महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह ने 3 बार इस सीट पर चुनाव जीता है. टिहरी लोकसभा सीट पर 19 बार चुनाव हुए, जिसमें से 11 बार जनता ने राज परिवार को संसद जाने का मौका दिया. इस सीट पर इकलौती राज परिवार की महारानी ने ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की.
हेमवती नंदन बहुगुणा ने भी निर्दलीय जीता था चुनाव: उत्तराखंड में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दूसरा उदाहरण पौड़ी लोकसभा सीट पर दिखाई देता है. यहां किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने विपरीत परिस्थितियों के बीच अपनी जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की थी. हालांकि उत्तराखंड में इस सीट पर भी लोगों का सामान्य स्वभाव राष्ट्रीय पार्टियों पर भी विश्वास करने का है. यहां भी हमेशा मुकाबला कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी के बीच ही दिखाई दिया है. इस सीट पर भी देश के चुनावी इतिहास में केवल एक ही राजनेता ने निर्दलीय रूप से ताल ठोककर जीत हासिल की थी. इस सीट पर यह करिश्मा पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने किया था. उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सीधे इंदिरा गांधी को चुनौती देकर निर्दलीय रूप से न केवल इस लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा, बल्कि कांग्रेस के प्रत्याशी को भी करारी शिकस्त दी थी.
उत्तराखंड में 2 बार निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं लोकसभा चुनाव: इसके अलावा राजनीतिक रूप से मौजूद तमाम दर्ज रिकार्ड से यह साफ होता है कि बाकी किसी भी सीट पर कभी कोई निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता. हरिद्वार लोकसभा सीट से लेकर अल्मोड़ा या नैनीताल उधमसिंह नगर लोकसभा सीट में भी किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने कभी जीत हासिल नहीं की. इन लोकसभा सीटों में भी अधिकतर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला दिखाई दिया. हालांकि हरिद्वार लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी भी मुकाबले में रही हैं.
क्या कहती है कांग्रेस? उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी की चर्चा होने और इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के सवाल पर कहती हैं कि राज्य में किसी भी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला नहीं है. सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच ही है. उन्होंने पिछले कुछ उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य में कई छोटे दलों ने भी विधानसभा सीटों पर ताल ठोकी थी, लेकिन उनका क्या नतीजा हुआ यह सभी ने देखा.
बीजेपी क्या सोचती है?: इस मामले में भारतीय जनता पार्टी का भी कुछ इसी तरह का जवाब है. यानी भारतीय जनता पार्टी भी निर्दलीय प्रत्याशियों को किसी भी स्तर पर मुकाबले में नहीं देखती है. हालांकि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेता कांग्रेस को भी इस चुनाव में मुकाबले में नहीं मान रहे हैं. भाजपा नेताओं की मानें तो इस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा जनता किसी को भी नहीं देखना चाहती है. इसीलिए चुनाव में मुकाबला करने वाला कोई भी नेता सामने नहीं है. सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और उनके काम को देखकर जनता वोट डालने वाली है.
चुनाव की ये रोचक खबरें भी पढ़ें:
- उत्तराखंड में थमा चुनाव प्रचार का शोर, 11,008 पोलिंग पार्टियां हुई रवाना, 19 अप्रैल तक ड्राई डे घोषित
- देश में सर्वाधिक संपत्ति वाले उम्मीदवारों में 4 नंबर पर हैं टिहरी की रानी, आपराधिक मामलों में बॉबी पंवार का 19वां स्थान
- उत्तराखंड में 55 प्रत्याशी लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, ओपिनियन और एग्जिट पोल को लेकर गाइडलाइन जारी
- उत्तराखंड में ढाई लाख से ज्यादा सैन्य पृष्ठभूमि के वोटर होंगे निर्णायक, राजनीतिक दलों में लुभाने की लगी होड़
- ये हैं उत्तराखंड लोकसभा चुनाव के टॉप 5 करोड़पति कैंडिडेट, बिना पार्टी फंड के लड़ सकते हैं चुनाव, देखें लिस्ट
- उत्तराखंड के 93 हजार से ज्यादा सर्विस वोटरों के लिए भेजे गए डाक मत पत्र, 100 फीसदी मतदान कराने की कोशिश
- उत्तराखंड के वोटरों ने बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमाओं को दे दी पटखनी, छोटे राज्य का है रोचक राजनीतिक इतिहास
- लोकसभा चुनाव 2024 में दांव पर सियासी 'सूरमाओं' की साख, हाईकमान के सामने खुद को करना है साबित
- 2022 चुनाव में टूटे मिथक, आंकड़ों में बीजेपी को हुआ नुकसान, 2019 में तीन लाख के औसत से हारी थी कांग्रेस
- पहले भ्रष्टाचार, फिर राष्ट्रवाद और अब योजना वर्सेस सवाल पर हो रहा है चुनाव! ज्वलंत मुद्दे हुए गायब
- लोकसभा चुनाव 2024: उम्मीदवारों की छवि बना रहे 'सोशल मीडिया वॉर रूम'
- उत्तराखंड पर निर्भर बीजेपी का 400 पार का नारा, देवभूमि देगी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का संदेश!
- उत्तराखंड में बीजेपी का 5 लाख वोटों से जीत का दावा, आंकड़े बयां कर रहे कांग्रेस की मुश्किलें!