शिमला: हिमाचल सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए अपने शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की है. आईआईएम से ट्रेनिंग देने के बाद अब प्रदेश सरकार ने सिंगापुर की प्रतिष्ठित प्रिंसिपल्स एकेडमी के साथ एक महत्वपूर्ण करार (MoU) किया है. इस समझौते के अंतर्गत हिमाचल के शिक्षकों को सिंगापुर में आधुनिक शिक्षण विधियों, नेतृत्व कौशल और नवाचार आधारित शिक्षण प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के नेतृत्व में हिमाचल का एक दल सिंगापुर पहुंचा. शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की उपस्थिति में प्रिंसिपल्स एकेडमी के साथ यह ऐतिहासिक समझौता हुआ. इस दल में पूर्व सीपीएस आशीष बुटेल, समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा और प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, संयुक्त शिक्षा सचिव सुनील वर्मा और अतिरिक्त सचिव निशांत ठाकुर, अतिरिक्त उच्च शिक्षा निदेशक संजीव सूद, सचिव हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड मेजर विशाल शर्मा भी शामिल थे.
सिंगापुर में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में प्रिंसिपल्स एकेडमी के चेयरमैन एवं सीईओ एज्रा नग, एडवाइजरी कमेटी की चेयरपर्सन लिम लाई चेंग, जनरल मैनेजर जेरमिन नाई, एसोसिएट डायरेक्टर डैरेन और जोसेफ सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.
प्रिंसिपल्स एकेडमी के साथ करार से नहीं पड़ेगा वित्तीय भार
हिमाचल का प्रिंसिपल्स एकेडमी के साथ करार से जहां हिमाचल के शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण मिलेगा. वहीं बड़ी बात यह है कि इस करार से हिमाचल पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा. इस ऐतिहासिक साझेदारी के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों को अत्याधुनिक प्रशिक्षण प्रदान दिया जाएगा.
इसका उद्देश्य शिक्षकों की क्षमताओं को मजबूत बनाना, नवीनतम शिक्षण तकनीकों से उन्हें अवगत करवाना और स्कूलों के नेतृत्व को और प्रबल करना है. यह समझौता शिक्षकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ शिक्षण प्रणालियों का अनुभव प्रदान करेगा, जिससे वे अपने छात्रों को वैश्विक दृष्टिकोण से शिक्षित कर सकें. इससे हिमाचल के शिक्षकों को जरूरत के हिसाब से प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे पठन-पाठन में संरचनात्मक बदलाव आएंगे.
इस करार के तहत दोनों पक्षों के बीच सहयोग कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाएगा. इसमें स्कूलों के प्रधानाचार्यों, प्रशासकों और शिक्षकों के लिए नवीन शिक्षण पद्धतियों, नेतृत्व क्षमता और स्कूल प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है. इसके साथ ही शिक्षकों के ज्ञानवर्धन के लिए कार्यशालाएं, सेमिनार और आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन और प्रत्यक्ष प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए जाएंगे, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर की बेहतरीन शिक्षा पद्धतियों को समझ सकें और अपना सकें. इस सहयोग के तहत विशेष रूप से विकसित की गई प्रशिक्षण सामग्री और शिक्षण विधियों को लागू किया जाएगा, ताकि शिक्षकों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के अनुरूप प्रशिक्षित किया जा सके.
प्रशिक्षण कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को परखने के लिए नियमित आकलन और मूल्यांकन भी किया जाएगा, जिससे कार्यक्रमों में निरंतर सुधार संभव हो सके. इसके साथ ही शिक्षकों के लिए प्रमाणन कार्यक्रमों की संभावनाओं को भी देखा जाएगा, ताकि उन्हें उनके कौशल विकास का औपचारिक प्रमाण प्राप्त हो सके.
इस समझौते की सबसे खास बात यह है कि केवल हिमाचल के शिक्षक ही सिंगापुर नहीं जाएंगे, बल्कि सिंगापुर के अनुभवी शिक्षक और विशेषज्ञ भी हिमाचल प्रदेश का दौरा करेंगे. वे यहां के स्कूलों में शिक्षण प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करेंगे और स्थानीय जरूरतों के अनुसार शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में सहयोग प्रदान करेंगे. इससे हिमाचल के स्कूलों तक अंतरराष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञता पहुंचाई जा सकेगी और शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा "सिंगापुर के साथ हमारा जुड़ाव केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई शताब्दियों से भारत के सिंगापुर के साथ गहरे संबंधों पर आधारित रहा है. भारत और सिंगापुर के बीच मजबूत प्रौद्योगिकी, आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि सिंगापुर ने भारत के विकास में अहम योगदान दिया है. सिंगापुर भारत को शहरी योजना, प्रौद्योगिकी और स्मार्ट सिटी मिशन में अपनी विशेषज्ञता प्रदान कर रहा है."
गौरतलब है कि हिमाचल के 50 मेधावी छात्रों का एक दल हाल ही में कंबोडिया और सिंगापुर की शैक्षणिक यात्रा पर गया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा रवाना किया गया यह दल कंबोडिया की यात्रा पूरी करने के बाद सिंगापुर में विभिन्न वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक स्थलों का दौरा कर रहा है.
छात्र सिंगापुर साइंस सेंटर, ओमनी थियेटर, यूनिवर्सल स्टूडियो, टाइम कैप्सूल और सिंगापुर फ्लायर जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर जाकर डिजिटल तकनीक, मनोरंजन उद्योग और विज्ञान की प्रगति की बारीकियों को समझेंगे. इसके अलावा, गार्डन्स बाय द बे और सिंगापुर नाइट सफारी जैसी जगहों पर जाकर वे जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण की महत्वपूर्ण जानकारियां भी प्राप्त करेंगे. हिमाचल की यह पहल प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक मानकों तक ले जाने के साथ-साथ शिक्षकों और छात्रों के भविष्य को भी उज्जवल बनाने में मील का पत्थर साबित होगी.
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